జమ్మి చెట్టు శ్లోకం

|| జమ్మి చెట్టు శ్లోకం || శమీ శమయ తే పాపం శమీ శత్రు వినాశినీ | అర్జునస్య ధనుర్ధారీ రామస్య ప్రియదర్శిని || శమీం కమలపత్రాక్షీం శమీం కంటకధారిణీమ్ | ఆరోహతు శమీం లక్ష్మీం నృణామాయుష్యవర్ధనీమ్ || నమో విశ్వాసవృక్షాయ పార్థశస్త్రాస్త్రధారిణే | త్వత్తః పత్రం ప్రతీక్ష్యామి సదా మే విజయీ భవ || ధర్మాత్మా సత్యసంధశ్చ రామో దాశరథిర్యది | పౌరుషే చాఽప్రతిద్వంద్వశ్చరైనం జహిరావణిమ్ || అమంగళానాం ప్రశమీం దుష్కృతస్య చ నాశినీమ్ |…

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं – श्लोक अर्थ सहित

॥ अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं – श्लोक ॥ अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातात्मजं नमामि ॥ हिंदी अर्थ: यह श्लोक भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करता है। जिनकी शक्ति अतुलनीय है, जिनका शरीर सोने के पहाड़ों की भाँति है। जिन्होंने दानवों को नष्ट किया, जो ज्ञानियों में अग्रणी हैं।जो समस्त गुणों के स्वामी…

बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् – श्लोक अर्थ सहित

॥बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् – श्लोक अर्थ सहित॥ बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् निर्भयत्वम् अरोगताम् अजाड्यम् वाक् पटुत्वम् च हनुमत् स्मरणात् भवेत् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: बुद्धि (विवेक), बल (शक्ति), यश (कीर्ति), धैर्य (धीरज), निर्भयता (निडरता), अरोग्यता (आरोग्य), आलस्य से मुक्त (अजाद्यम्), और वाणी में कुशलता (वचन कौशल)…

अधरं मधुरं वदनं मधुरं – श्लोक अर्थ सहित

॥ अधरं मधुरं वदनं मधुरं – श्लोक ॥ अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: श्री मधुराधिपति (श्री कृष्ण) का सभी कुछ मधुर है। उनके अधर (होंठ) मधुर है, मुख मधुर है, नेत्र मधुर है,…

एकोनविंशे विंशतिमे – श्लोक अर्थ सहित

॥ एकोनविंशे विंशतिमे – श्लोक ॥ एकोनविंशे विंशतिमे वृष्णिषु प्राप्य जन्मनी । रामकृष्णाविति भुवो भगवानहरद्भरम् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: वृष्णिवंशी कुल में उन्नीसवें तथा बीसवें अवतारों में भगवान कृष्ण के रूप में अवतरित हुए और इस तरह उन्होंने संसार के भार को दूर किया। Ekona-vinse vinsatim vrsnisu…

कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय – श्लोक अर्थ सहित

॥ कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय – श्लोक ॥ कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च । नन्दगोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: वासुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण को, और देवकी नंदन है अर्थात देवकी के पुत्र को, ग्वाल नंद के पुत्र को, जो स्वयं भगवान श्री गोविंद…

विद्या मित्रं प्रवासेषु – श्लोक अर्थ सहित

॥ विद्या मित्रं प्रवासेषु – श्लोक ॥ विद्या मित्रं प्रवासेषु, भार्या मित्रं गृहेषु च । व्याधितस्यौषधं मित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्य च ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: ज्ञान यात्राओं में मित्र होता है, पत्नी घर में मित्र होती है। बीमार के समय औषधि मित्र होती है, और मरते समय…

संसारकटुवृक्षस्य – श्लोक अर्थ सहित

॥ संसारकटुवृक्षस्य – श्लोक ॥ संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे । सुभाषितरसास्वादः सङ्गतिः सुजने जने ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: संसार के कड़वे पेड़ के दो फल होते हैं जो अमृत के समान होते हैं। एक है मधुर शब्दों का स्वाद और दूसरा सज्जन व्यक्तियों की संगति। Sansaara-katu-vrksasya dve…

श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि – श्लोक अर्थ सहित

॥ श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि – श्लोक ॥ श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि यदुक्तं ग्रन्थकोटिभिः । परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: जो करोडो ग्रंथों में कहा है, वह मैं आधे श्लोक में कहता हूँ; दूसरों की हित करना पुण्यकारी है, दूसरों को पीड़ित करना पापकारी है। Shlokardhena pravakshyami yaduktam…

कर्मफल-यदाचरित – श्लोक अर्थ सहित

॥ कर्मफल-यदाचरित – श्लोक ॥ कर्मफल-यदाचरित कल्याणि ! शुभं वा यदि वाऽशुभम् । तदेव लभते भद्रे! कर्त्ता कर्मजमात्मनः ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: मनुष्य जैसा भी कर्म करता है, वह चाहे अच्छा या बुरा हो, उसे वैसा ही फल मिलता है । कर्त्ता को अपने कर्म का फल…

धर्मज्ञो धर्मकर्ता च – श्लोक अर्थ सहित

॥ धर्मज्ञो धर्मकर्ता च – श्लोक ॥ धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः। तत्त्वेभ्यः सर्व शास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: जो धर्म को जानने वाला है, उसे धर्म का पालन करने वाला, और सदैव धर्मपरायण है। जो सभी शास्त्रों के अर्थ को समझकर उनका उपदेश करता है, वह…

दारिद्रय रोग दुःखानि – श्लोक अर्थ सहित

।। दारिद्रय रोग दुःखानि – श्लोक ।। दारिद्रय रोग दुःखानि बंधन व्यसनानि च। आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्।। हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: दारिद्र्य, रोग, दुख, बंधन और व्यसन व्यक्ति द्वारा किये गए पाप रूपी वृक्ष के फल अर्थात परिणाम होते हैं। इन फलों का उपभोग मनुष्य को करना ही…

मूर्खशिष्योपदेशेन – श्लोक अर्थ सहित

॥ मूर्ख शिष्योपदेशेन – श्लोक ॥ मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च। दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: मूर्ख शिष्य के उपदेश देने से और दुष्ट स्त्री के साथ रहने से, संकटपूर्ण परिस्थितियों के कारण पंडित भी दुःखित हो जाता है। Murkha-sishyopadesena dushtastribharanena cha, duhkhitah samprayogena pandito pyavasidati. English Meaning:…

येषां न विद्या – श्लोक अर्थ सहित

|| येषां न विद्या – श्लोक || येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः | ते मर्त्यलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगश्चरन्ति || हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित: जिनके पास न विद्या है, न तप, न दान, न ज्ञान, न शील, न गुण, और न…

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय – श्लोक अर्थ सहित

।। वासांसि जीर्णानि यथा विहाय – श्लोक ।। वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णा – न्यन्यानि संयाति नवानि देही।। हिंदी अर्थ: यह श्लोक संसारिक अनुभवों को व्यक्त करने के लिए है और इसका मतलब है कि: जैसे कोई व्यक्ति पुराने और प्रयुक्त वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र पहनता है, उसी…