जय जगत्महरणा – सूर्याची आरती

जय जय जगत्महरणा दिनकर सुखकिराणा । उदयाचल जगभासक दिनमणि शुभस्मरणा ॥ पद्मासन सुखमुर्ती सुहास्यवरवदना । पद्मकरा वरदप्रभ भास्वत सुखसदना ॥ १ ॥ जय देव जय देव जय भास्कर सूर्या । विधिहरिशंकररूपा जय सुरवरवर्या ॥ ध्रु० ॥ कनकाकृतिरथ एकचक्रांकित तरणी । सप्ताननाश्वभूषित रथि ता बैसोनी ॥ योजनसह्स्त्र द्वे द्वे शतयोजन दोनी । निमिषार्धे जग क्रमिसी अद्भुत…

त्र्यंबकेश्वराची आरती

॥ त्र्यंबकेश्वराची आरती ॥ जय जय त्र्यंबकराज गिरिजानाचा गंगाधरा हो । त्रिशूलपाणी शंभो नीलग्रीचा शशिशेखरा हो ॥ वृषभारूढ फणिभुषण दशभुज पंचानन शंकरा हो । विभूतिमाळा जटा सुंदर गजचर्मांबरधरा हो ॥ जय जय त्र्यंबकराज गिरिजानाचा… पडलें गोहत्येचें पातक गौतमऋषिच्या शिरीं हो ॥ त्यानें तप मांडिलें ध्याना आणुनि तुज अंतरीं हो ॥ प्रसन्न होउनि त्यातें स्नाना दिधली…

श्रीहरितालिकेची आरती

।। श्रीहरितालिकेची आरती ।। जयदेवी हरितालिके। सखी पार्वती अंबिके ।। आरती ओवाळीतें । ज्ञानदीपकळिके ।। धृ।। हरअर्धागीं वससी । जासी यज्ञा माहेरासि ।। तेथे अपमान पावसी । यज्ञकुंडींत गुप्त होसी ।।१।। रिघसी हिमाद्रीच्या पोटी। कन्या होसी तू गोमटी ।। उग्र तपश्चर्या मोठी । आचरसी उठाउठी ।। २।। तापपंचाग्निसाधनें । धूम्रपानें अधोवदनें ।। केली बहू उपोषणें…

श्री मंगळागौरीची आरती

।। श्री मंगळागौरीची आरती ।। जय देवी मंगळागौरी । ओंवाळीन सोनियाताटीं ।। रत्नांचे दिवे । माणिकांच्या वाती। हिरेया ज्योती ।। धृ।। मंगळमूर्ती उपजली कार्या। प्रसन्न झाली अल्पायुषी राया ।। तिष्ठली राज्यबाळी । अयोषण द्यावया ।।१।। पूजेला ग आणिती जाईजुईच्या कळ्या । सोळा तिकटीं सोळा दूर्वा ।। सोळा परींची पत्री । जाई जुई आबुल्या शेवंती नागचांफे…

वटसावित्रीची आरती

।। वटसावित्रीची आरती ।। अश्वपती पुसता झाला । नारद सांगताती तयाला ।। अल्पायुषी सत्यवंत । सावित्रीनें का प्रणीला ।। आणखी वर वरी बाळे । मनीं निश्चय जो केला ।। आरती वडराजा ।। १ ।। दयावंत यमदूजा । सत्यवंत ही सावित्री ।। भावे करीन मी पूजा । आरती वडराजा ।। धृ।। ज्येष्ठामास त्रयोदशी । करिती पूजन…

वीरभद्र गायत्री मंत्र विधि और लाभ

॥ वीरभद्र मंत्र का जाप विधि ॥ सुबह सूर्योदय के साथ या सूर्यास्त बाद करें। बस्त्र रंग – लाल काधारण करे। दक्षिण दिशा के और बैठे सबसे पहले गणेश जी को अर्घ्य दें। घी का दीपक जलाएं। मन में वीरभद्र स्वामी का मानसिक चित्र बनाएं। रुद्राक्ष माला के सहारे मंत्र का 108 बार जाप करें।…

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं – श्लोक अर्थ सहित

॥ अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं – श्लोक ॥ अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातात्मजं नमामि ॥ हिंदी अर्थ: यह श्लोक भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करता है। जिनकी शक्ति अतुलनीय है, जिनका शरीर सोने के पहाड़ों की भाँति है। जिन्होंने दानवों को नष्ट किया, जो ज्ञानियों में अग्रणी हैं।जो समस्त गुणों के स्वामी…

बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् – श्लोक अर्थ सहित

॥बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् – श्लोक अर्थ सहित॥ बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् निर्भयत्वम् अरोगताम् अजाड्यम् वाक् पटुत्वम् च हनुमत् स्मरणात् भवेत् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: बुद्धि (विवेक), बल (शक्ति), यश (कीर्ति), धैर्य (धीरज), निर्भयता (निडरता), अरोग्यता (आरोग्य), आलस्य से मुक्त (अजाद्यम्), और वाणी में कुशलता (वचन कौशल)…

अधरं मधुरं वदनं मधुरं – श्लोक अर्थ सहित

॥ अधरं मधुरं वदनं मधुरं – श्लोक ॥ अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: श्री मधुराधिपति (श्री कृष्ण) का सभी कुछ मधुर है। उनके अधर (होंठ) मधुर है, मुख मधुर है, नेत्र मधुर है,…

एकोनविंशे विंशतिमे – श्लोक अर्थ सहित

॥ एकोनविंशे विंशतिमे – श्लोक ॥ एकोनविंशे विंशतिमे वृष्णिषु प्राप्य जन्मनी । रामकृष्णाविति भुवो भगवानहरद्भरम् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: वृष्णिवंशी कुल में उन्नीसवें तथा बीसवें अवतारों में भगवान कृष्ण के रूप में अवतरित हुए और इस तरह उन्होंने संसार के भार को दूर किया। Ekona-vinse vinsatim vrsnisu…

कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय – श्लोक अर्थ सहित

॥ कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय – श्लोक ॥ कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च । नन्दगोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: वासुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण को, और देवकी नंदन है अर्थात देवकी के पुत्र को, ग्वाल नंद के पुत्र को, जो स्वयं भगवान श्री गोविंद…

विद्या मित्रं प्रवासेषु – श्लोक अर्थ सहित

॥ विद्या मित्रं प्रवासेषु – श्लोक ॥ विद्या मित्रं प्रवासेषु, भार्या मित्रं गृहेषु च । व्याधितस्यौषधं मित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्य च ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: ज्ञान यात्राओं में मित्र होता है, पत्नी घर में मित्र होती है। बीमार के समय औषधि मित्र होती है, और मरते समय…

संसारकटुवृक्षस्य – श्लोक अर्थ सहित

॥ संसारकटुवृक्षस्य – श्लोक ॥ संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे । सुभाषितरसास्वादः सङ्गतिः सुजने जने ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: संसार के कड़वे पेड़ के दो फल होते हैं जो अमृत के समान होते हैं। एक है मधुर शब्दों का स्वाद और दूसरा सज्जन व्यक्तियों की संगति। Sansaara-katu-vrksasya dve…

श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि – श्लोक अर्थ सहित

॥ श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि – श्लोक ॥ श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि यदुक्तं ग्रन्थकोटिभिः । परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: जो करोडो ग्रंथों में कहा है, वह मैं आधे श्लोक में कहता हूँ; दूसरों की हित करना पुण्यकारी है, दूसरों को पीड़ित करना पापकारी है। Shlokardhena pravakshyami yaduktam…

कर्मफल-यदाचरित – श्लोक अर्थ सहित

॥ कर्मफल-यदाचरित – श्लोक ॥ कर्मफल-यदाचरित कल्याणि ! शुभं वा यदि वाऽशुभम् । तदेव लभते भद्रे! कर्त्ता कर्मजमात्मनः ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: मनुष्य जैसा भी कर्म करता है, वह चाहे अच्छा या बुरा हो, उसे वैसा ही फल मिलता है । कर्त्ता को अपने कर्म का फल…

धर्मज्ञो धर्मकर्ता च – श्लोक अर्थ सहित

॥ धर्मज्ञो धर्मकर्ता च – श्लोक ॥ धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः। तत्त्वेभ्यः सर्व शास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: जो धर्म को जानने वाला है, उसे धर्म का पालन करने वाला, और सदैव धर्मपरायण है। जो सभी शास्त्रों के अर्थ को समझकर उनका उपदेश करता है, वह…

दारिद्रय रोग दुःखानि – श्लोक अर्थ सहित

।। दारिद्रय रोग दुःखानि – श्लोक ।। दारिद्रय रोग दुःखानि बंधन व्यसनानि च। आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्।। हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: दारिद्र्य, रोग, दुख, बंधन और व्यसन व्यक्ति द्वारा किये गए पाप रूपी वृक्ष के फल अर्थात परिणाम होते हैं। इन फलों का उपभोग मनुष्य को करना ही…

मूर्खशिष्योपदेशेन – श्लोक अर्थ सहित

॥ मूर्ख शिष्योपदेशेन – श्लोक ॥ मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च। दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: मूर्ख शिष्य के उपदेश देने से और दुष्ट स्त्री के साथ रहने से, संकटपूर्ण परिस्थितियों के कारण पंडित भी दुःखित हो जाता है। Murkha-sishyopadesena dushtastribharanena cha, duhkhitah samprayogena pandito pyavasidati. English Meaning:…

येषां न विद्या – श्लोक अर्थ सहित

|| येषां न विद्या – श्लोक || येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः | ते मर्त्यलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगश्चरन्ति || हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित: जिनके पास न विद्या है, न तप, न दान, न ज्ञान, न शील, न गुण, और न…

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय – श्लोक अर्थ सहित

।। वासांसि जीर्णानि यथा विहाय – श्लोक ।। वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णा – न्यन्यानि संयाति नवानि देही।। हिंदी अर्थ: यह श्लोक संसारिक अनुभवों को व्यक्त करने के लिए है और इसका मतलब है कि: जैसे कोई व्यक्ति पुराने और प्रयुक्त वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र पहनता है, उसी…

धर्मो रक्षति रक्षित – श्लोक अर्थ सहित

।⁠। धर्मो रक्षति रक्षित – श्लोक ।⁠। धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद् धर्मं न त्यजामि मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।⁠। हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: जो धर्म का नाश करता है, धर्म उसी का नाश कर देता है और जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी…

परित्राणाय साधूनां – श्लोक अर्थ सहित

।। परित्राणाय साधूनां – श्लोक ।। परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।। हिंदी अर्थ: श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: साधुओं की रक्षा के लिए और दुष्कर्मियों (पाप करने वालों) का नाश करने के लिए, और धर्म की स्थापना के लिए मैं युगों-युगों में प्रकट होता हूँ। Paritranaya sadhunam…

आलस्यं हि मनुष्याणां – श्लोक अर्थ सहित

।। आलस्यं हि मनुष्याणां – श्लोक ।। आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः। नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।। हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: मनुष्यों के लिए आलस्य उनके शरीर में बसा महान शत्रु है। उद्यमी व्यक्ति के लिए परिश्रम जैसा कोई मित्र नहीं होता, क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी…

काक चेष्टा, बको ध्यानं – श्लोक अर्थ सहित

।। काक चेष्टा, बको ध्यानं – श्लोक ।। काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च। अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।। हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित: विद्या के लिए प्रतिबद्ध विद्यार्थी (छात्र) मे यह पांच लक्षण होने चाहिए – कौवे की तरह जानने की चेष्टा, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की…

सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात् – श्लोक अर्थ सहित

।। सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात् – श्लोक ।। सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् एष धर्मः सनातन: हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित: सत्य बोलें, प्रिय बातें बोलें, पर अप्रिय सत्य नहीं बोलें। प्रिय असत्य भी न बोलें, यही सनातन धर्म है। यह श्लोक मानवीय संवाद…

पंचदेव ध्यान मंत्र

।। पंचदेव ध्यान मंत्र ।। श्री गणेश मंत्र: “प्रात: स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम्। उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड-माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम्।।” सूर्य देव मंत्र: “प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं, रूपं हि मण्डलमृचोअथ तनुर्यन्जूषि। सामानि यस्य किरणा: प्रभावादिहेतुं, ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्।।” भगवान विष्णु मंत्र: “प्रात: स्मरामि भवभीतिमहार्तिनाशं नारायणं गरुडवाहनमब्जनाभम्। महाभिभृतवरवारणमुक्तिहेतुं चक्रायुधं तरुणवारिजपत्रनेत्रम्॥” भगवान शिव मंत्र: “प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् । खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥” मां दुर्गा…

पंचदेव गायत्री मंत्र

।। पंचदेव गायत्री मंत्र ।। गणेश गायत्री मंत्र- ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।। विष्णु गायत्री महामंत्र- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम। मां दुर्गा मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ भगवान शिव- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय…

श्री राम स्तुति

॥दोहा॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं । नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं । पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं ॥ भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं । रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥ शिर मुकुट…

श्री राम चालीसा

॥ दोहा ॥ आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम् पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं ॥ चौपाई ॥ श्री रघुबीर भक्त हितकारी । सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥ निशि दिन ध्यान धरै जो कोई । ता सम भक्त और नहिं होई ॥…

शिव आवाहन मंत्र लाभ सहित

।। शिव आवाहन मंत्र ।। ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन । तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।। वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने । आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।। नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने । नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।। त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः । नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।। नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च…

श्री अर्धनारीश्वर सहस्रनामावली

॥ श्री अर्धनारीश्वर सहस्रनामावली ॥ ॐ अंशुमते नमः। ॐ अंशुमत्सेव्यायै नमः। ॐ अकारादिक्षकारान्त-वर्णमालाविभूषणाय नमः। ॐ अखण्डमण्डलाकाराय नमः। ॐ अखिलाण्डेकनायिकायै नमः। ॐ अखिलाभीष्टदायिन्यै नमः। ॐ अघघ्ने नमः। ॐ अघसंहन्यै नमः। ॐ अङ्कारोपितषण्मुखायै नमः। ॐ अङ्गनायै नमः। ॐ अङ्गीकृतमहाक्ष्वेलाय नमः। ॐ अजनार्थविधायिन्यै नमः। ॐ अजिताय नमः। ॐ अञ्जनातनयाराध्याय नमः। ॐ अण्डकोटिसहस्रेशाय नमः। ॐ अण्डाद्बाह्यनिकेतनायै नमः। ॐ अदितिवन्दितायै…

गरुड़ देव सहस्रनामावली

।। गरुड़ देव सहस्रनामावली ।। ॐ आकण्ठ-कुङ्कुगाभाय नमः। ॐ आकाशगतये नमः। ॐ आकेशान्तात्सितेतराय नमः। ॐ आत्मक्रीडाय नमः। ॐ आत्मने नमः। ॐ आत्मरतये नमः। ॐ आनन्दाय नमः। ॐ आर्याय नमः। ॐ आशाकृते नमः। ॐ आशुगमनाय नमः। ॐ आहृतपीपूषाय नमः। ॐ क्षणदाय नमः। ॐ क्षणाय नमः। ॐ क्षतजाक्षाय नमः। ॐ क्षत्रियपूज्याय नमः। ॐ क्षमाभूषाय नमः। ॐ क्षयरहिताय…

भगवान राम सहस्रनामावली

।।भगवान राम सहस्रनामावली।। ॐ अकल्मषाय नमः। ॐ अकायाय नमः। ॐ अकारवाच्याय नमः। ॐ अकीर्तिनाशनाय नमः। ॐ अक्रूराय नमः। ॐ अक्षयाय नमः। ॐ अक्षय्याय नमः। ॐ अगदाय नमः। ॐ अग्रगण्याय नमः। ॐ अग्रण्ये नमः। ॐ अघनाशनाय नमः। ॐ अचलाय नमः। ॐ अचलाय नमः। ॐ अचलाय नमः। ॐ अच्युताय नमः। ॐ अच्युताय नमः। ॐ अच्युताय नमः। ॐ…

श्री वाल्मीकि कृत सीता सहस्रनामावली

।।श्री वाल्मीकि कृत सीता सहस्रनामावली।। ॐ अकलङ्कायै नमः। ॐ अक्षुद्रायै नमः। ॐ अगोत्रायै नमः। ॐ अचिन्त्यमहिम्ने नमः। ॐ अचिन्त्यायै नमः। ॐ अचिन्त्यायै नमः। ॐ अच्युतायै नमः। ॐ अतिलालसायै नमः। ॐ अदित्यै नमः। ॐ अनन्तदृष्ट्यै नमः। ॐ अनन्तवर्णायै नमः। ॐ अनन्तशयनायै नमः। ॐ अनन्तायै नमः। ॐ अनन्तायै नमः। ॐ अनन्तोरसिस्थितायै नमः। ॐ अनन्यस्थायै नमः। ॐ अनवच्छिन्नायै…

देवी कमला सहस्रनामावली

।।देवी कमला सहस्रनामावली।। ॐ अंशुमालिन्यै नमः। ॐ अकलङ्कायै नमः। ॐ अक्षतायै नमः। ॐ अक्षयायै नमः। ॐ अग्राह्यायै नमः। ॐ अचिन्त्यानन्तविभवायै नमः। ॐ अच्युतायै नमः। ॐ अजितायै नमः। ॐ अदित्यै नमः। ॐ अध्यात्मविद्यायै नमः। ॐ अनघायै नमः। ॐ अनन्तरूपायै नमः। ॐ अनन्तसम्भवायै नमः। ॐ अनन्तस्थायै नमः। ॐ अनन्तात्मने नमः। ॐ अनन्तायै नमः। ॐ अनसूयायै नमः। ॐ…

श्री वाराही देवी ध्यानम मंत्र अर्थ सहित

।। श्री वाराही देवी ध्यानम मंत्र ।। पाथोरुहपीठगतां पाथोरुहमेचकां कुटिलदंष्ट्राम् । कपिलाक्षित्रितयां घनकुचकुम्भां प्रणत वाञ्छितवदान्याम् । दक्षोर्ध्वतोऽरिखङ्गां मुसलमभीतिं तदन्यतस्तद्वत् । शङ्खं खेटं हलवरान् करैर्दधानां स्मरामि वार्तालीम् । ।। श्री वाराही देवी ध्यानम मंत्र अर्थ सहित ।। पाथोरुहपीठगतां पाथोरुहमेचकां कुटिलदंष्ट्राम्: पत्थर के सीने में बैठी हुई और पत्थर की मूर्ति, कुटिल दंतों वाली धरा की छटा हुई…

कामदेव शाबर मंत्र लाभ सहित

।। कामदेव शाबर मंत्र ।। ‘ऊँ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।’ कामदेव मंत्र ऊँ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्। मोहिनी कामदेव मंत्र “ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसहलिए वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा।” कामदेव…

24 गायत्री मंत्र लाभ सहित

।। 24 गायत्री मंत्र ।। गणेश – गायत्री मन्त्र ओइम् एक दंष्ट्राय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्। नृसिंह – गायत्री मन्त्र ओइम् उग्रनृसिंहाय विद्महे बज्रनखाय धीमहि तन्नो नृसिंह प्रचोदयात्। विष्णु – गायत्री मन्त्र ओइम् नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्। शिव – गायत्री मन्त्र ओइम् पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात्। कृष्ण…

माँ लक्ष्मी मंत्र

।।माँ लक्ष्मी मंत्र।। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ। ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं…

नवनाथ शाबर मंत्र लाभ व विधि

नवनाथ शाबर मंत्र के लाभ: नवनाथ शाबर मंत्र का जाप करने से भय और दुःख का निवारण होता है। नवनाथ शाबर मंत्र का जाप करने से भूत, प्रेत, जादू, टोने का समाधान होता है। इस मंत्र के जाप से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। नवनाथ जी के रूप का ध्यान करके इस मंत्र का जाप…

नवनाथ स्तुति लाभ सहित

।। नवनाथ स्तुति ।। आदि-नाथ कैलाश-निवासी, उदय-नाथ काटै जम-फाँसी। सत्य-नाथ सारनी सन्त भाखै, सन्तोष-नाथ सदा सन्तन की राखै। कन्थडी-नाथ सदा सुख-दाई, अञ्चति अचम्भे-नाथ सहाई। ज्ञान-पारखी सिद्ध चौरङ्गी, मत्स्येन्द्र-नाथ दादा बहुरङ्गी। गोरख-नाथ सकल घट-व्यापी, काटै कलि-मल, तारै भव-पीरा। नव-नाथों के नाम सुमिरिए, तनिक भस्मी ले मस्तक धरिए। रोग-शोक-दारिद नशावै, निर्मल देह परम सुख पावै। भूत-प्रेत-भय-भञ्जना, नव-नाथों…

श्री गणपतीची आरती

॥ श्री गणपतीची आरती ॥ सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची। नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची। सर्वांगी सुन्दर उटि शेंदुराची। कण्ठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥ जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति। दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥ रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा। चन्दनाची उटि कुंकुमकेशरा। हिरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा। रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥ जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति। दर्शनमात्रे मनकामना…

श्री शंकराची आरती

॥ श्री शंकराची आरती ॥ लवथवती विक्राळा ब्रह्माण्डी माळा। वीषे कण्ठ काळा त्रिनेत्री ज्वाळा। लावण्य सुन्दर मस्तकी बाळा। तेथुनिया जळ निर्मळ वाहे झुळझुळा॥ जय देव जय देव जय श्रीशंकरा। आरती ओवाळू तुज कर्पुरगौरा॥ कर्पुर्गौरा भोळा नयनी विशाळा। अर्धांगी पार्वती सुमनांच्या माळा। विभुतीचे उधळण शितिकण्ठ नीळा। ऐसा शंकर शोभे उमावेल्हाळा॥ जय देव जय देव जय श्रीशंकरा।…

श्री रामाची आरती

॥ श्री रामाची आरती ॥ त्रिभुवनमंडितमाळ गळां। आरती ओवाळूं पाहूं ब्रह्मपुतळा॥ श्रीराम जय राम जय जय राम। आरती ओवाळूं पाहूं सुन्दर मेघश्यामा॥ ठकाराचे ठाण वारीं धनुष्यबाण। मारुती सन्मुख उभा कर जोडून॥ श्रीराम जय राम जय जय राम। आरती ओवाळूं पाहूं सुन्दर मेघश्यामा॥ भरत शत्रुघ्न दोघे चामर ढाळिती। स्वर्गाहून देव पुष्पवृष्टि करिती॥ श्रीराम जय राम जय…

श्री महालक्ष्मीची आरती

॥ श्री महालक्ष्मीची आरती ॥ जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी। वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥ करवीरपुरवासिनी सुरवरमुनिमाता। पुरहरवरदायिनी मुरहरप्रियकान्ता। कमलाकारें जठरी जन्मविला धाता। सहस्रवदनी भूधर न पुरे गुण गातां॥ जय देवी जय देवी…॥ मातुलिंग गदा खेटक रविकिरणीं। झळके हाटकवाटी पीयुषरसपाणी। माणिकरसना सुरंगवसना मृगनयनी। शशिकरवदना राजस मदनाची जननी॥ जय देवी जय देवी…॥ तारा शक्ति अगम्या शिवभजकां…

श्री विठोबाची आरती

॥ श्री विठोबाची आरती ॥ युगें अठ्ठावीस विटेवरी उभा। वामांगी रखुमाई दिसे दिव्य शोभा। पुण्डलिकाचे भेटी परब्रह्म आलें गा। चरणी वाहे भीमा उद्धरी जगा॥ जय देव जय देव जय पाण्डुरंगा। रखुमाईवल्लभा राईच्या वल्लभा पावें जिवलगा॥ तुळसीमाळा गळां कर ठेवुनि कटीं कांसे पीताम्बर कस्तुरि लल्लाटी। देव सुरवर नित्य येती भेटी। गरुड हनुमन्त पुढे उभे राहती॥ जय…

रुद्रयामल सूर्य सहस्रनामावली

॥ रुद्रयामल सूर्य सहस्रनामावली ॥ ॐ अंअःस्वरूपमन्त्राङ्गाय नमः। ॐ अंबीजरूपवते नमः। ॐ अंविद्याभूषणाय नमः। ॐ अःस्वरूपाय नमः। ॐ अकारमातृकानाथाय नमः। ॐ अकारसूर्याय नमः। ॐ अग्नये नमः। ॐ अचराय नमः। ॐ अचिन्त्याय नमः। ॐ अच्युताय नमः। ॐ अजय्याय नमः। ॐ अजाताय नमः। ॐ अजिताय नमः। ॐ अथर्वणशाखिनः त्वष्ट्रे नमः। ॐ अधोक्षजाय नमः। ॐ अध्यात्मने नमः। ॐ…

स्कन्द पुराण सूर्य सहस्रनामावली

॥ स्कन्द पुराण सूर्य सहस्रनामावली ॥ ॐ अकारादिक्षकारान्तवर्णमालाविभूषणाय नमः। ॐ अकुण्ठविक्रमाय नमः। ॐ अकोपनाय नमः। ॐ अक्षरसंज्ञिकाय नमः। ॐ अग्नये नमः। ॐ अग्नये नमः। ॐ अग्निवायुपरायणाय नमः। ॐ अग्राय नमः। ॐ अघोराक्षाय नमः। ॐ अच्युताय नमः। ॐ अजिराप्रभवे नमः। ॐ अजिराप्रभवे नमः। ॐ अजेश्वराय नमः। ॐ अणवे नमः। ॐ अण्डजभयापहाय नमः। ॐ अत्युग्राय नमः। ॐ…

भगवान इन्द्र सहस्रनामावली

॥ भगवान इन्द्र सहस्रनामावली ॥ ॐ अकल्पाय नमः। ॐ अकवारये नमः। ॐ अकामकर्शनाय नमः। ॐ अकूपाराय नमः। ॐ अकेतवे केतुं कृण्वते नमः। ॐ अक्ष्तोतये नमः। ॐ अगोरुधाय नमः। ॐ अङ्गैरस्तमाय नमः। ॐ अचक्रयास्वधय नमः। ॐ अच्युतच्युते नमः। ॐ अच्युताय नमः। ॐ अजराय नमः। ॐ अजातशत्रवे नमः। ॐ अजाय नमः। ॐ अजुराय नमः। ॐ अत्कं वसानाय…

भगवान कार्तिकेय सहस्रनामावली

॥ भगवान कार्तिकेय सहस्रनामावली ॥ ॐ अंसपीठधृतभूतिकाय नमः। ॐ अंसाम्छिदुराय नमः। ॐ अकलहाय नमः। ॐ अकल्पाय नमः। ॐ अकल्याय नमः। ॐ अकुसृतये नमः। ॐ अकृन्त्रिमाचाराय नमः। ॐ अकोटये नमः। ॐ अकोपाय नमः। ॐ अक्रमाय नमः। ॐ अक्षरविचारकाय नमः। ॐ अक्षराय नमः। ॐ अखिलभूतानां वर्धनाय नमः। ॐ अगजाभर्त्रे नमः। ॐ अगजार्चिताय नमः। ॐ अगजावञ्चनपेशलाय नमः। ॐ…

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