সিদ্ধ কুঞ্জিকা স্তোত্র

|| সিদ্ধ কুঞ্জিকা স্তোত্র || || শিব উবাচ || শৃণু দেবি প্রবক্ষ্যামি কুঞ্জিকাস্তোত্রমুত্তমম্। যেন মন্ত্রপ্রভাবেণ চণ্ডীজাপ: ভবেৎ॥1॥ ন কবচং নার্গলাস্তোত্রং কীলকং ন রহস্যকম্। ন সূক্তং নাপি ধ্যানং চ ন ন্যাসো ন চ বার্চনম্॥2॥ কুঞ্জিকাপাঠমাত্রেণ দুর্গাপাঠফলং লভেৎ। অতি গুহ্যতরং দেবি দেবানামপি দুর্লভম্॥3॥ গোপনীয়ং প্রয়ত্নেন স্বয়োনিরিব পার্বতি। মারণং মোহনং বশ্যং স্তম্ভনোচ্চাটনাদিকম্। পাঠমাত্রেণ সংসিদ্ধ্ যেৎ কুঞ্জিকাস্তোত্রমুত্তমম্॥4॥ || অথ…

बेलपत्र बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र

|| बेलपत्र बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र || नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥ दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌ । अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌ ॥ त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌ । त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌ ॥ अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव…

मंत्र: णमोकार महामंत्र

|| मंत्र: णमोकार महामंत्र || णमोकार मंत्र है न्यारा, इसने लाखों को तारा। इस महा मंत्र का जाप करो, भव जल से मिले किनारा। णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं । एसोपंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो । मंगला णं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं ।

श्री कृष्णाष्टकम् -भजे व्रजैक मण्डनम्

|| श्री कृष्णाष्टकम् -भजे व्रजैक मण्डनम् || भजे व्रजैक मण्डनम्, समस्त पाप खण्डनम्, स्वभक्त चित्त रञ्जनम्, सदैव नन्द नन्दनम्, सुपिन्छ गुच्छ मस्तकम् , सुनाद वेणु हस्तकम् , अनङ्ग रङ्ग सागरम्, नमामि कृष्ण नागरम् ॥ १ ॥ मनोज गर्व मोचनम् विशाल लोल लोचनम्, विधूत गोप शोचनम् नमामि पद्म लोचनम्, करारविन्द भूधरम् स्मितावलोक सुन्दरम्, महेन्द्र मान दारणम्,…

मंत्र: प्रातः स्मरण – दैनिक उपासना

|| मंत्र: प्रातः स्मरण – दैनिक उपासना || प्रात: कर-दर्शनम् कराग्रे वसते लक्ष्मी:, करमध्ये सरस्वती । कर मूले तु गोविन्द:, प्रभाते करदर्शनम ॥१॥ पृथ्वी क्षमा प्रार्थना समुद्रवसने देवि ! पर्वतस्तनमंड्ले । विष्णुपत्नि! नमस्तुभ्यं पाद्स्पर्श्म क्षमस्वे ॥२॥ त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण- ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरांतकारी भानु: शाशी भूमिसुतो बुधश्च । गुरुश्च शुक्र: शनि-राहु-केतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम…

गजाननं भूत गणादि सेवितं – गणेश मंत्र

|| गजाननं भूत गणादि सेवितं – गणेश मंत्र || गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् । उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥

स्वस्ति स्वस्तिक मंत्र

|| स्वस्ति स्वस्तिक मंत्र || स्वस्ति मन्त्र शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता है। स्वस्ति = सु + अस्ति = कल्याण हो। ऐसा माना जाता है कि इससे हृदय और मन मिल जाते हैं। स्वस्ति मन्त्र का पाठ करने की क्रिया स्वस्तिवाचन कहलाती है। ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति…

पितृ गायत्री मंत्र

|| पितृ गायत्री मंत्र || ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च । नमः स्वाहायै स्वाधायै नित्यमेव नमो नमः ॥ ॐ पितृभ्यो नमः ॥

ಸಿದ್ಧ ಕುಂಜಿಕಾ ಸ್ತೋತ್ರ

|| ಸಿದ್ಧ ಕುಂಜಿಕಾ ಸ್ತೋತ್ರ || || ಶಿವ ಉವಾಚ || ಶೃಣು ದೇವಿ ಪ್ರವಕ್ಷ್ಯಾಮಿ ಕುಂಜಿಕಾಸ್ತೋತ್ರಮುತ್ತಮಂ. ಯೇನ ಮಂತ್ರಪ್ರಭಾವೇಣ ಚಂಡೀಜಾಪ: ಭವೇತ್..1.. ನ ಕವಚಂ ನಾರ್ಗಲಾಸ್ತೋತ್ರಂ ಕೀಲಕಂ ನ ರಹಸ್ಯಕಂ. ನ ಸೂಕ್ತಂ ನಾಪಿ ಧ್ಯಾನಂ ಚ ನ ನ್ಯಾಸೋ ನ ಚ ವಾರ್ಚನಂ..2.. ಕುಂಜಿಕಾಪಾಠಮಾತ್ರೇಣ ದುರ್ಗಾಪಾಠಫಲಂ ಲಭೇತ್. ಅತಿ ಗುಹ್ಯತರಂ ದೇವಿ ದೇವಾನಾಮಪಿ ದುರ್ಲಭಂ..3.. ಗೋಪನೀಯಂ ಪ್ರಯತ್ನೇನ ಸ್ವಯೋನಿರಿವ ಪಾರ್ವತಿ. ಮಾರಣಂ ಮೋಹನಂ ವಶ್ಯಂ ಸ್ತಂಭನೋಚ್ಚಾಟನಾದಿಕಂ. ಪಾಠಮಾತ್ರೇಣ ಸಂಸಿದ್ಧ್ ಯೇತ್ ಕುಂಜಿಕಾಸ್ತೋತ್ರಮುತ್ತಮಂ..4.. || ಅಥ…

पत्नीं मनोरमां देहि – सुंदर पत्नी प्राप्ति मंत्र

|| पत्नीं मनोरमां देहि – सुंदर पत्नी प्राप्ति मंत्र || दुर्गा सप्तशती के इस मंत्र के जाप से सुन्दर, सुलोचना, सभी गुणों से युक्त, मनचाही और घर को बसाने वाली पत्नी मिलती है। इस मंत्र का जाप कुंवारे व्यक्ति को ही करना चाहिए। पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम् । तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम् ॥ दुर्गा सप्तशती

सप्त चिरंजीवी – मंत्र

|| सप्त चिरंजीवी – मंत्र || अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः । कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः ॥1 सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम् । जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित ॥2 अर्थात: अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सात महामानव चिरंजीवी हैं। [1] यदि इन सात महामानवों और आठवे ऋषि मार्कण्डेय का नित्य स्मरण किया जाए तो शरीर…

സിദ്ധ കുഞ്ജികാ സ്തോത്ര

|| സിദ്ധ കുഞ്ജികാ സ്തോത്ര || || ശിവ ഉവാച || ശൃണു ദേവി പ്രവക്ഷ്യാമി കുഞ്ജികാസ്തോത്രമുത്തമം. യേന മന്ത്രപ്രഭാവേണ ചണ്ഡീജാപ: ഭവേത്..1.. ന കവചം നാർഗലാസ്തോത്രം കീലകം ന രഹസ്യകം. ന സൂക്തം നാപി ധ്യാനം ച ന ന്യാസോ ന ച വാർചനം..2.. കുഞ്ജികാപാഠമാത്രേണ ദുർഗാപാഠഫലം ലഭേത്. അതി ഗുഹ്യതരം ദേവി ദേവാനാമപി ദുർലഭം..3.. ഗോപനീയം പ്രയത്നേന സ്വയോനിരിവ പാർവതി. മാരണം മോഹനം വശ്യം സ്തംഭനോച്ചാടനാദികം. പാഠമാത്രേണ സംസിദ്ധ് യേത് കുഞ്ജികാസ്തോത്രമുത്തമം..4.. || അഥ…

गणेश अंग पूजा मंत्र

|| गणेश अंग पूजा मंत्र || सनातन पूजा पद्धति में अंग पूजा किसी भी देव पूजा अनुष्ठान का अभिन्न अंग है। श्री गणेश पूजा के दौरान, भक्त भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का प्रयोग अंग पूजा के लिए करते हैं। इसके अंतर्गत अंग पूजा में भगवान श्री गणेश के शरीर के…

भाग्यदा लक्ष्मी बारम्मा: मंत्र

|| भाग्यदा लक्ष्मी बारम्मा: मंत्र || भाग्यद लक्ष्मी बारम्मा । नम्मम्म नी सौभाग्यद लक्ष्मी बारम्मा ॥ हेज्जेय मेले हेज्जेयनिक्कुत गेज्जे काल्गळ ध्वनिय तोरुत । सज्जन साधु पूजेय वेळेगे मज्जिगेयोळगिन बेण्णेयन्ते ॥ 1 ॥ भाग्यद लक्ष्मी बारम्मा ॥ कनक वृष्टिय करेयुत बारे मनकामनेय सिद्धिय तोरे । दिनकर कोटि तेजदि होळेयुव जनकरायन कुमारि बेग ॥ 2 ॥…

श्रील प्रभुपाद प्रणति

|| श्रील प्रभुपाद प्रणति || नम ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतले श्रीमते भक्तिवेदांत-स्वामिन् इति नामिने । नमस्ते सारस्वते देवे गौर-वाणी-प्रचारिणे निर्विशेष-शून्यवादि-पाश्चात्य-देश-तारिणे ॥

Karacharana Kritam Vaa Mantra

|| Karacharana Kritam Vaa Mantra || Kara-Charanna Kratam Vaak-Kaaya-Jam Karma-Jam Vaa । Shravanna-Nayana-Jam Vaa Maanasam Va-Aparaadham । Vihitam-Avihitam Vaa Sarvam-Etat-Kssamasva । Jaya Jaya Karunna-Abdhe Shrii-Mahaadeva Shambho ॥ Karacharana Krtam Va mantra is known as Shiv Forgiveness mantra and Shiva Meditation mantra.

సిద్ధ కుంజికా స్తోత్ర

|| సిద్ధ కుంజికా స్తోత్ర || || శివ ఉవాచ || శృణు దేవి ప్రవక్ష్యామి కుంజికాస్తోత్రముత్తమం. యేన మంత్రప్రభావేణ చండీజాప: భవేత్..1.. న కవచం నార్గలాస్తోత్రం కీలకం న రహస్యకం. న సూక్తం నాపి ధ్యానం చ న న్యాసో న చ వార్చనం..2.. కుంజికాపాఠమాత్రేణ దుర్గాపాఠఫలం లభేత్. అతి గుహ్యతరం దేవి దేవానామపి దుర్లభం..3.. గోపనీయం ప్రయత్నేన స్వయోనిరివ పార్వతి. మారణం మోహనం వశ్యం స్తంభనోచ్చాటనాదికం. పాఠమాత్రేణ సంసిద్ధ్ యేత్ కుంజికాస్తోత్రముత్తమం..4.. || అథ…

करचरण कृतं वा – क्षमा मंत्र

|| करचरण कृतं वा – क्षमा मंत्र || करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा । श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं । विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व । जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥ यह कराचरण क्रतम वा मंत्र शिव क्षमा मंत्र तथा शिव ध्यान मंत्र के रूप में जाना जाता है।

ॐ सर्वेशां स्वस्तिर्भवतु मंत्र

|| ॐ सर्वेशां स्वस्तिर्भवतु मंत्र || ॐ सर्वेशां स्वस्तिर्भवतु । सर्वेशां शान्तिर्भवतु । सर्वेशां पुर्णंभवतु । सर्वेशां मङ्गलंभवतु । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

ஸித்³த⁴ குஞ்ஜிகா ஸ்தோத்ர

ஸித்³த⁴ குஞ்ஜிகா ஸ்தோத்ர || ஶிவ உவாச || ஶ்ருʼணு தே³வி ப்ரவக்ஷ்யாமி குஞ்ஜிகாஸ்தோத்ரமுத்தமம். யேன மந்த்ரப்ரபா⁴வேண சண்டீ³ஜாப: ப⁴வேத்..1.. ந கவசம்ʼ நார்க³லாஸ்தோத்ரம்ʼ கீலகம்ʼ ந ரஹஸ்யகம். ந ஸூக்தம்ʼ நாபி த்⁴யானம்ʼ ச ந ந்யாஸோ ந ச வார்சனம்..2.. குஞ்ஜிகாபாட²மாத்ரேண து³ர்கா³பாட²ப²லம்ʼ லபே⁴த். அதி கு³ஹ்யதரம்ʼ தே³வி தே³வாநாமபி து³ர்லப⁴ம்..3.. கோ³பனீயம்ʼ ப்ரயத்னேன ஸ்வயோநிரிவ பார்வதி. மாரணம்ʼ மோஹனம்ʼ வஶ்யம்ʼ ஸ்தம்ப⁴னோச்சாடநாதி³கம். பாட²மாத்ரேண ஸம்ʼஸித்³த்⁴ யேத் குஞ்ஜிகாஸ்தோத்ரமுத்தமம்..4.. || அத² மந்த்ர ||…

శ్రీ సూర్య నమస్కార మంత్రం

|| శ్రీ సూర్య నమస్కార మంత్రం || ఓం ధ్యాయేస్సదా సవితృమండలమధ్యవర్తీ నారాయణస్సరసిజాసన సన్నివిష్టః | కేయూరవాన్ మకరకుండలవాన్ కిరీటీ హారీ హిరణ్మయవపుః ధృతశంఖచక్రః || ఓం మిత్రాయ నమః | 1 | ఓం రవయే నమః | 2 | ఓం సూర్యాయ నమః | 3 | ఓం భానవే నమః | 4 | ఓం ఖగాయ నమః | 5 | ఓం పూష్ణే నమః | 6 |…

श्री सूर्य नमस्कार मन्त्रं

|| श्री सूर्य नमस्कार मन्त्रं || ॐ ध्यायेस्सदा सवितृमण्डलमध्यवर्ती नारायणस्सरसिजासन सन्निविष्टः । केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी हारी हिरण्मयवपुः धृतशङ्खचक्रः ॥ ॐ मित्राय नमः । ॐ रवये नमः । ॐ सूर्याय नमः । ॐ भानवे नमः । ॐ खगाय नमः । ॐ पूष्णे नमः । ॐ हिरण्यगर्भाय नमः । ॐ मरीचये नमः । ॐ आदित्याय नमः ।…

ਸ਼੍ਰੀ ਸੂਰ੍ਯ ਨਮਸ੍ਕਾਰ ਮਂਤ੍ਰਂ

|| ਸ਼੍ਰੀ ਸੂਰ੍ਯ ਨਮਸ੍ਕਾਰ ਮਂਤ੍ਰਂ || ਓਂ ਧ੍ਯਾਯੇਸ੍ਸਦਾ ਸਵਿਤ੍ਰੁਰੁਇਮਂਡਲਮਧ੍ਯਵਰ੍ਤੀ ਨਾਰਾਯਣਸ੍ਸਰਸਿਜਾਸਨ ਸਨ੍ਨਿਵਿਸ਼੍ਟਃ । ਕੇਯੂਰਵਾਨ੍ ਮਕਰਕੁਂਡਲਵਾਨ੍ ਕਿਰੀਟੀ ਹਾਰੀ ਹਿਰਣ੍ਮਯਵਪੁਃ ਧ੍ਰੁਰੁਇਤਸ਼ਂਖਚਕ੍ਰਃ ॥ ਓਂ ਮਿਤ੍ਰਾਯ ਨਮਃ । ਓਂ ਰਵਯੇ ਨਮਃ । ਓਂ ਸੂਰ੍ਯਾਯ ਨਮਃ । ਓਂ ਭਾਨਵੇ ਨਮਃ । ਓਂ ਖਗਾਯ ਨਮਃ । ਓਂ ਪੂਸ਼੍ਣੇ ਨਮਃ । ਓਂ ਹਿਰਣ੍ਯਗਰ੍ਭਾਯ ਨਮਃ । ਓਂ ਮਰੀਚਯੇ ਨਮਃ । ਓਂ ਆਦਿਤ੍ਯਾਯ ਨਮਃ ।…

ଶ୍ରୀ ସୂର୍ୟ ନମସ୍କାର ମଂତ୍ରଂ

|| ଶ୍ରୀ ସୂର୍ୟ ନମସ୍କାର ମଂତ୍ରଂ || ଓଂ ଧ୍ୟାୟେସ୍ସଦା ସଵିତୃମଂଡଲମଧ୍ୟଵର୍ତୀ ନାରାୟଣସ୍ସରସିଜାସନ ସନ୍ନିଵିଷ୍ଟଃ । କେୟୂରଵାନ୍ ମକରକୁଂଡଲଵାନ୍ କିରୀଟୀ ହାରୀ ହିରଣ୍ମୟଵପୁଃ ଧୃତଶଂଖଚକ୍ରଃ ॥ ଓଂ ମିତ୍ରାୟ ନମଃ । ଓଂ ରଵୟେ ନମଃ । ଓଂ ସୂର୍ୟାୟ ନମଃ । ଓଂ ଭାନଵେ ନମଃ । ଓଂ ଖଗାୟ ନମଃ । ଓଂ ପୂଷ୍ଣେ ନମଃ । ଓଂ ହିରଣ୍ୟଗର୍ଭାୟ ନମଃ । ଓଂ ମରୀଚୟେ ନମଃ । ଓଂ ଆଦିତ୍ୟାୟ ନମଃ ।…

শ্রী সূর্য নমস্কার মংত্রং

|| শ্রী সূর্য নমস্কার মংত্রং || ওং ধ্যাযেস্সদা সবিতৃমংডলমধ্যবর্তী নারাযণস্সরসিজাসন সন্নিবিষ্টঃ । কেযূরবান্ মকরকুংডলবান্ কিরীটী হারী হিরণ্মযবপুঃ ধৃতশংখচক্রঃ ॥ ওং মিত্রায নমঃ । ওং রবযে নমঃ । ওং সূর্যায নমঃ । ওং ভানবে নমঃ । ওং খগায নমঃ । ওং পূষ্ণে নমঃ । ওং হিরণ্যগর্ভায নমঃ । ওং মরীচযে নমঃ । ওং আদিত্যায নমঃ ।…

ବଟ ସାବିତ୍ରୀ ବ୍ରତ କଥା ଏବଂ ପୂଜା ବିଧି

|| ବଟ ସାବିତ୍ରୀ ପୂଜା ମୁହୂର୍ତ || ଅମାବସ୍ୟା ତିଥି ପ୍ରାରମ୍ଭ – ଜୂନ 05, 2024 କୋ 07:54 PM ବଜେ ଅମାବସ୍ୟା ତିଥି ସମାପ୍ତ – ଜୂନ 06, 2024 କୋ 06:07 PM ବଜେ || ପୂଜା ବିଧି || ଇସ ପାବନ ଦିନ ସୁବହ ଜଲ୍ଦୀ ଉଠକର ସ୍ନାନ ଆଦି ସେ ନିବୃତ୍ତ ହୋ ଜାଏଂ। ଘର କେ ମନ୍ଦିର ମେଂ ଦୀପ ପ୍ରଜ୍ୱଲିତ କରେଂ। ଇସ ପାବନ ଦିନ ବଟ…

वट सावित्री व्रत! पतिव्रता का प्रतीक, जानिए व्रत कथा, महत्व, पूजन विधि और लाभ

vat savitri vrat

वट सावित्री व्रत, हिंदू धर्म में सुहागिन स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत जेष्ठ माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है और इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। वट सावित्री व्रत की कहानी पतिव्रता सावित्री के अटूट प्रेम और…

वट सावित्री व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| वट सावित्री पूजा मुहूर्त || अमावस्या तिथि प्रारम्भ – जून 05, 2024 को 07:54 PM बजे अमावस्या तिथि समाप्त – जून 06, 2024 को 06:07 PM बजे || पूजा विधि || इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। इस पावन दिन वट…

श्री सूर्य नमस्कार मंत्रं

|| श्री सूर्य नमस्कार मंत्रं || ॐ ध्यायेस्सदा सवितृमंडलमध्यवर्ती नारायणस्सरसिजासन सन्निविष्टः । केयूरवान् मकरकुंडलवान् किरीटी हारी हिरण्मयवपुः धृतशंखचक्रः ॥ ॐ मित्राय नमः । ॐ रवये नमः । ॐ सूर्याय नमः । ॐ भानवे नमः । ॐ खगाय नमः । ॐ पूष्णे नमः । ॐ हिरण्यगर्भाय नमः । ॐ मरीचये नमः । ॐ आदित्याय नमः ।…

ശ്രീ സൂര്യ നമസ്കാര മംത്രം

|| ശ്രീ സൂര്യ നമസ്കാര മംത്രം || ഓം ധ്യായേസ്സദാ സവിതൃമംഡലമധ്യവര്തീ നാരായണസ്സരസിജാസന സന്നിവിഷ്ടഃ । കേയൂരവാന് മകരകുംഡലവാന് കിരീടീ ഹാരീ ഹിരണ്മയവപുഃ ധൃതശംഖചക്രഃ ॥ ഓം മിത്രായ നമഃ । ഓം രവയേ നമഃ । ഓം സൂര്യായ നമഃ । ഓം ഭാനവേ നമഃ । ഓം ഖഗായ നമഃ । ഓം പൂഷ്ണേ നമഃ । ഓം ഹിരണ്യഗര്ഭായ നമഃ । ഓം മരീചയേ നമഃ । ഓം ആദിത്യായ നമഃ ।…

ಶ್ರೀ ಸೂರ್ಯ ನಮಸ್ಕಾರ ಮಂತ್ರಂ

|| ಶ್ರೀ ಸೂರ್ಯ ನಮಸ್ಕಾರ ಮಂತ್ರಂ || ಸೂರ್ಯ ನಮಸ್ಕಾರ ಮಂತ್ರವು ಸೂರ್ಯ ದೇವರನ್ನು ಪೂಜಿಸಲು. ಸೂರ್ಯ ನಮಸ್ಕಾರವು ಹನ್ನೆರಡು ಯೋಗ ಭಂಗಿಗಳು ಅಥವಾ ಸೂರ್ಯನ ಚಕ್ರಗಳನ್ನು ಪ್ರತಿನಿಧಿಸುವ ಆಸನಗಳನ್ನು ಒಳಗೊಂಡಿದೆ, ಇದು ಸರಿಸುಮಾರು ಹನ್ನೆರಡು ಮತ್ತು ಕಾಲು ವರ್ಷಗಳವರೆಗೆ ನಡೆಯುತ್ತದೆ. ಸೂರ್ಯ ನಮಸ್ಕಾರವು ನಿಮ್ಮ ಭೌತಿಕ ಚಕ್ರ ಮತ್ತು ಸೂರ್ಯನ ನಡುವೆ ಈ ಸಾಮರಸ್ಯವನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಲು ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತದೆ. ಸೂರ್ಯ ನಮಸ್ಕಾರವನ್ನು ಸೂರ್ಯ ನಮಸ್ಕಾರ ಮಂತ್ರಗಳು ಅಥವಾ ಸೂರ್ಯ ನಮಸ್ಕಾರ ಮಂತ್ರಗಳು ಎಂಬ ಪಠಣಗಳೊಂದಿಗೆ ಸೇರಿಸಬಹುದು….

શ્રી સૂર્ય નમસ્કાર મંત્રં

|| શ્રી સૂર્ય નમસ્કાર મંત્રં || ઓં ધ્યાયેસ્સદા સવિતૃમંડલમધ્યવર્તી નારાયણસ્સરસિજાસન સન્નિવિષ્ટઃ । કેયૂરવાન્ મકરકુંડલવાન્ કિરીટી હારી હિરણ્મયવપુઃ ધૃતશંખચક્રઃ ॥ ઓં મિત્રાય નમઃ । ઓં રવયે નમઃ । ઓં સૂર્યાય નમઃ । ઓં ભાનવે નમઃ । ઓં ખગાય નમઃ । ઓં પૂષ્ણે નમઃ । ઓં હિરણ્યગર્ભાય નમઃ । ઓં મરીચયે નમઃ । ઓં આદિત્યાય નમઃ ।…

श्री सूर्य नमस्कार मंत्र

|| श्री सूर्य नमस्कार मंत्र || ॐ ध्यायेस्सदा सवितृमण्डलमध्यवर्ती नारायणस्सरसिजासन सन्निविष्टः | केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी हारी हिरण्मयवपुः धृतशङ्खचक्रः ‖ ॐ मित्राय नमः | 1 ॐ रवये नमः | 2 ॐ सूर्याय नमः | 3 ॐ भानवे नमः | 4 ॐ खगाय नमः | 5 ॐ पूष्णे नमः | 6 ॐ हिरण्यगर्भाय नमः | 7 ॐ…

ধন্বংতরী মংত্র

|| ধন্বংতরী মংত্র || ধ্যানং অচ্যুতানংত গোবিংদ বিষ্ণো নারাযণাঽমৃত রোগান্মে নাশযাঽশেষানাশু ধন্বংতরে হরে । আরোগ্যং দীর্ঘমাযুষ্যং বলং তেজো ধিযং শ্রিযং স্বভক্তেভ্যোঽনুগৃহ্ণংতং বংদে ধন্বংতরিং হরিম্ ॥ শংখং চক্রং জলৌকাং দধদমৃতঘটং চারুদোর্ভিশ্চতুর্ভিঃ । সূক্ষ্মস্বচ্ছাতিহৃদ্যাংশুক পরিবিলসন্মৌলিমংভোজনেত্রম্ । কালাংভোদোজ্জ্বলাংগং কটিতটবিলসচ্চারুপীতাংবরাঢ্যম্ । বংদে ধন্বংতরিং তং নিখিলগদবনপ্রৌঢদাবাগ্নিলীলম্ ॥ ধন্বংতরেরিমং শ্লোকং ভক্ত্যা নিত্যং পঠংতি যে । অনারোগ্যং ন তেষাং স্যাত্ সুখং জীবংতি…

ధన్వంతరీ మంత్ర

|| ధన్వంతరీ మంత్ర || ధ్యానం అచ్యుతానంత గోవింద విష్ణో నారాయణాఽమృత రోగాన్మే నాశయాఽశేషానాశు ధన్వంతరే హరే । ఆరోగ్యం దీర్ఘమాయుష్యం బలం తేజో ధియం శ్రియం స్వభక్తేభ్యోఽనుగృహ్ణంతం వందే ధన్వంతరిం హరిమ్ ॥ శంఖం చక్రం జలౌకాం దధదమృతఘటం చారుదోర్భిశ్చతుర్భిః । సూక్ష్మస్వచ్ఛాతిహృద్యాంశుక పరివిలసన్మౌళిమంభోజనేత్రమ్ । కాలాంభోదోజ్జ్వలాంగం కటితటవిలసచ్చారుపీతాంబరాఢ్యమ్ । వందే ధన్వంతరిం తం నిఖిలగదవనప్రౌఢదావాగ్నిలీలమ్ ॥ ధన్వంతరేరిమం శ్లోకం భక్త్యా నిత్యం పఠంతి యే । అనారోగ్యం న తేషాం స్యాత్ సుఖం జీవంతి…

धन्वन्तरी मन्त्रः

|| धन्वन्तरी मन्त्रः || ध्यानं अच्युतानन्त गोविन्द विष्णो नारायणाऽमृत रोगान्मे नाशयाऽशेषानाशु धन्वन्तरे हरे । आरोग्यं दीर्घमायुष्यं बलं तेजो धियं श्रियं स्वभक्तेभ्योऽनुगृह्णन्तं वन्दे धन्वन्तरिं हरिम् ॥ शङ्खं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्भिः । सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमम्भोजनेत्रम् । कालाम्भोदोज्ज्वलाङ्गं कटितटविलसच्चारुपीताम्बराढ्यम् । वन्दे धन्वन्तरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम् ॥ धन्वन्तरेरिमं श्लोकं भक्त्या नित्यं पठन्ति ये । अनारोग्यं न तेषां स्यात् सुखं जीवन्ति…

ਧਨ੍ਵਂਤਰੀ ਮਂਤ੍ਰ

|| ਧਨ੍ਵਂਤਰੀ ਮਂਤ੍ਰ || ਧ੍ਯਾਨਂ ਅਚ੍ਯੁਤਾਨਂਤ ਗੋਵਿਂਦ ਵਿਸ਼੍ਣੋ ਨਾਰਾਯਣਾਮ੍ਰੁਰੁਇਤ ਰੋਗਾਨ੍ਮੇ ਨਾਸ਼ਯਾਸ਼ੇਸ਼ਾਨਾਸ਼ੁ ਧਨ੍ਵਂਤਰੇ ਹਰੇ । ਆਰੋਗ੍ਯਂ ਦੀਰ੍ਘਮਾਯੁਸ਼੍ਯਂ ਬਲਂ ਤੇਜੋ ਧਿਯਂ ਸ਼੍ਰਿਯਂ ਸ੍ਵਭਕ੍ਤੇਭ੍ਯੋਨੁਗ੍ਰੁਰੁਇਹ੍ਣਂਤਂ ਵਂਦੇ ਧਨ੍ਵਂਤਰਿਂ ਹਰਿਮ੍ ॥ ਸ਼ਂਖਂ ਚਕ੍ਰਂ ਜਲੌਕਾਂ ਦਧਦਮ੍ਰੁਰੁਇਤਘਟਂ ਚਾਰੁਦੋਰ੍ਭਿਸ਼੍ਚਤੁਰ੍ਭਿਃ । ਸੂਕ੍ਸ਼੍ਮਸ੍ਵਚ੍ਛਾਤਿਹ੍ਰੁਰੁਇਦ੍ਯਾਂਸ਼ੁਕ ਪਰਿਵਿਲਸਨ੍ਮੌਲ਼ਿਮਂਭੋਜਨੇਤ੍ਰਮ੍ । ਕਾਲਾਂਭੋਦੋਜ੍ਜ੍ਵਲਾਂਗਂ ਕਟਿਤਟਵਿਲਸਚ੍ਚਾਰੁਪੀਤਾਂਬਰਾਢ੍ਯਮ੍ । ਵਂਦੇ ਧਨ੍ਵਂਤਰਿਂ ਤਂ ਨਿਖਿਲਗਦਵਨਪ੍ਰੌਢਦਾਵਾਗ੍ਨਿਲੀਲਮ੍ ॥ ਧਨ੍ਵਂਤਰੇਰਿਮਂ ਸ਼੍ਲੋਕਂ ਭਕ੍ਤ੍ਯਾ ਨਿਤ੍ਯਂ ਪਠਂਤਿ ਯੇ । ਅਨਾਰੋਗ੍ਯਂ ਨ ਤੇਸ਼ਾਂ ਸ੍ਯਾਤ੍ ਸੁਖਂ ਜੀਵਂਤਿ…

ଧନ୍ଵଂତରୀ ମଂତ୍ର

|| ଧନ୍ଵଂତରୀ ମଂତ୍ର || ଧ୍ୟାନଂ ଅଚ୍ୟୁତାନଂତ ଗୋଵିଂଦ ଵିଷ୍ଣୋ ନାରାୟଣାଽମୃତ ରୋଗାନ୍ମେ ନାଶୟାଽଶେଷାନାଶୁ ଧନ୍ଵଂତରେ ହରେ । ଆରୋଗ୍ୟଂ ଦୀର୍ଘମାୟୁଷ୍ୟଂ ବଲଂ ତେଜୋ ଧିୟଂ ଶ୍ରିୟଂ ସ୍ଵଭକ୍ତେଭ୍ୟୋଽନୁଗୃହ୍ଣଂତଂ ଵଂଦେ ଧନ୍ଵଂତରିଂ ହରିମ୍ ॥ ଶଂଖଂ ଚକ୍ରଂ ଜଲୌକାଂ ଦଧଦମୃତଘଟଂ ଚାରୁଦୋର୍ଭିଶ୍ଚତୁର୍ଭିଃ । ସୂକ୍ଷ୍ମସ୍ଵଚ୍ଛାତିହୃଦ୍ୟାଂଶୁକ ପରିଵିଲସନ୍ମୌଳିମଂଭୋଜନେତ୍ରମ୍ । କାଲାଂଭୋଦୋଜ୍ଜ୍ଵଲାଂଗଂ କଟିତଟଵିଲସଚ୍ଚାରୁପୀତାଂବରାଢ୍ୟମ୍ । ଵଂଦେ ଧନ୍ଵଂତରିଂ ତଂ ନିଖିଲଗଦଵନପ୍ରୌଢଦାଵାଗ୍ନିଲୀଲମ୍ ॥ ଧନ୍ଵଂତରେରିମଂ ଶ୍ଲୋକଂ ଭକ୍ତ୍ୟା ନିତ୍ୟଂ ପଠଂତି ୟେ । ଅନାରୋଗ୍ୟଂ ନ ତେଷାଂ ସ୍ୟାତ୍ ସୁଖଂ ଜୀଵଂତି…

ಧನ್ವಂತರೀ ಮಂತ್ರ

|| ಧನ್ವಂತರೀ ಮಂತ್ರ || ಧ್ಯಾನಂ ಅಚ್ಯುತಾನಂತ ಗೋವಿಂದ ವಿಷ್ಣೋ ನಾರಾಯಣಾಽಮೃತ ರೋಗಾನ್ಮೇ ನಾಶಯಾಽಶೇಷಾನಾಶು ಧನ್ವಂತರೇ ಹರೇ । ಆರೋಗ್ಯಂ ದೀರ್ಘಮಾಯುಷ್ಯಂ ಬಲಂ ತೇಜೋ ಧಿಯಂ ಶ್ರಿಯಂ ಸ್ವಭಕ್ತೇಭ್ಯೋಽನುಗೃಹ್ಣಂತಂ ವಂದೇ ಧನ್ವಂತರಿಂ ಹರಿಮ್ ॥ ಶಂಖಂ ಚಕ್ರಂ ಜಲೌಕಾಂ ದಧದಮೃತಘಟಂ ಚಾರುದೋರ್ಭಿಶ್ಚತುರ್ಭಿಃ । ಸೂಕ್ಷ್ಮಸ್ವಚ್ಛಾತಿಹೃದ್ಯಾಂಶುಕ ಪರಿವಿಲಸನ್ಮೌಳಿಮಂಭೋಜನೇತ್ರಮ್ । ಕಾಲಾಂಭೋದೋಜ್ಜ್ವಲಾಂಗಂ ಕಟಿತಟವಿಲಸಚ್ಚಾರುಪೀತಾಂಬರಾಢ್ಯಮ್ । ವಂದೇ ಧನ್ವಂತರಿಂ ತಂ ನಿಖಿಲಗದವನಪ್ರೌಢದಾವಾಗ್ನಿಲೀಲಮ್ ॥ ಧನ್ವಂತರೇರಿಮಂ ಶ್ಲೋಕಂ ಭಕ್ತ್ಯಾ ನಿತ್ಯಂ ಪಠಂತಿ ಯೇ । ಅನಾರೋಗ್ಯಂ ನ ತೇಷಾಂ ಸ್ಯಾತ್ ಸುಖಂ ಜೀವಂತಿ…

ધન્વંતરી મંત્ર

|| ધન્વંતરી મંત્ર || ધ્યાનં અચ્યુતાનંત ગોવિંદ વિષ્ણો નારાયણાઽમૃત રોગાન્મે નાશયાઽશેષાનાશુ ધન્વંતરે હરે । આરોગ્યં દીર્ઘમાયુષ્યં બલં તેજો ધિયં શ્રિયં સ્વભક્તેભ્યોઽનુગૃહ્ણંતં વંદે ધન્વંતરિં હરિમ્ ॥ શંખં ચક્રં જલૌકાં દધદમૃતઘટં ચારુદોર્ભિશ્ચતુર્ભિઃ । સૂક્ષ્મસ્વચ્છાતિહૃદ્યાંશુક પરિવિલસન્મૌળિમંભોજનેત્રમ્ । કાલાંભોદોજ્જ્વલાંગં કટિતટવિલસચ્ચારુપીતાંબરાઢ્યમ્ । વંદે ધન્વંતરિં તં નિખિલગદવનપ્રૌઢદાવાગ્નિલીલમ્ ॥ ધન્વંતરેરિમં શ્લોકં ભક્ત્યા નિત્યં પઠંતિ યે । અનારોગ્યં ન તેષાં સ્યાત્ સુખં જીવંતિ…

धन्वंतरी मंत्र

|| धन्वंतरी मंत्र || ध्यानं अच्युतानंत गोविंद विष्णो नारायणाऽमृत रोगान्मे नाशयाऽशेषानाशु धन्वंतरे हरे । आरोग्यं दीर्घमायुष्यं बलं तेजो धियं श्रियं स्वभक्तेभ्योऽनुगृह्णंतं वंदे धन्वंतरिं हरिम् ॥ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्भिः । सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम् । कालांभोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारुपीतांबराढ्यम् । वंदे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम् ॥ धन्वंतरेरिमं श्लोकं भक्त्या नित्यं पठंति ये । अनारोग्यं न तेषां स्यात् सुखं जीवंति…

শুক্র কবচম্

|| শুক্র কবচম্ || অথ ধ্য়ানম্‌ মৃণালকুংদেংদুপয়োজসুপ্রভং পীতাংবরং প্রসৃতমক্ষমালিনম্‌ | সমস্তশাস্ত্রার্থ বিধিং মহাংতং, ধ্য়ায়েত্কবিং বাংছিতমর্থ সিদ্ধয়ে || অথ শুক্র কবচম্‌ ওং শিরো মে ভার্গব: পাতু ভালং পাতু গ্রহাদিপ: | নেত্রে দৈত্য়গুরু: পাতু শ্রোত্রে মে চংদনদ্য়ুতি: || ১ || পাতু মে নাসিকাং কাব্য়ো বদনং দৈত্য়বংদিত: | বচনং চোশনা: পাতু কংঠং শ্রীকংঠ ভক্তিমান || ২ || ভুজৌ…

శుక్ర కవచం

|| శుక్ర కవచం || ధ్యానం మృణాలకుందేందుపయోజసుప్రభం పీతాంబరం ప్రసృతమక్షమాలినమ్ । సమస్తశాస్త్రార్థవిధిం మహాంతం ధ్యాయేత్కవిం వాంఛితమర్థసిద్ధయే ॥ 1 ॥ అథ శుక్రకవచం శిరో మే భార్గవః పాతు భాలం పాతు గ్రహాధిపః । నేత్రే దైత్యగురుః పాతు శ్రోత్రే మే చందనద్యుతిః ॥ 2 ॥ పాతు మే నాసికాం కావ్యో వదనం దైత్యవందితః । వచనం చోశనాః పాతు కంఠం శ్రీకంఠభక్తిమాన్ ॥ 3 ॥ భుజౌ తేజోనిధిః పాతు కుక్షిం పాతు…

ਸ਼ੁਕ੍ਰ ਕਵਚਮ੍

|| ਸ਼ੁਕ੍ਰ ਕਵਚਮ੍ || ਧ੍ਯਾਨਮ੍ ਮ੍ਰੁਰੁਇਣਾਲਕੁਂਦੇਂਦੁਪਯੋਜਸੁਪ੍ਰਭਂ ਪੀਤਾਂਬਰਂ ਪ੍ਰਸ੍ਰੁਰੁਇਤਮਕ੍ਸ਼ਮਾਲਿਨਮ੍ । ਸਮਸ੍ਤਸ਼ਾਸ੍ਤ੍ਰਾਰ੍ਥਵਿਧਿਂ ਮਹਾਂਤਂ ਧ੍ਯਾਯੇਤ੍ਕਵਿਂ ਵਾਂਛਿਤਮਰ੍ਥਸਿਦ੍ਧਯੇ ॥ 1 ॥ ਅਥ ਸ਼ੁਕ੍ਰਕਵਚਮ੍ ਸ਼ਿਰੋ ਮੇ ਭਾਰ੍ਗਵਃ ਪਾਤੁ ਭਾਲਂ ਪਾਤੁ ਗ੍ਰਹਾਧਿਪਃ । ਨੇਤ੍ਰੇ ਦੈਤ੍ਯਗੁਰੁਃ ਪਾਤੁ ਸ਼੍ਰੋਤ੍ਰੇ ਮੇ ਚਂਦਨਦ੍ਯੁਤਿਃ ॥ 2 ॥ ਪਾਤੁ ਮੇ ਨਾਸਿਕਾਂ ਕਾਵ੍ਯੋ ਵਦਨਂ ਦੈਤ੍ਯਵਂਦਿਤਃ । ਵਚਨਂ ਚੋਸ਼ਨਾਃ ਪਾਤੁ ਕਂਠਂ ਸ਼੍ਰੀਕਂਠਭਕ੍ਤਿਮਾਨ੍ ॥ 3 ॥ ਭੁਜੌ ਤੇਜੋਨਿਧਿਃ ਪਾਤੁ ਕੁਕ੍ਸ਼ਿਂ ਪਾਤੁ…

ଶୁକ୍ର କଵଚମ୍

|| ଶୁକ୍ର କଵଚମ୍ || ଧ୍ୟାନମ୍ ମୃଣାଲକୁଂଦେଂଦୁପୟୋଜସୁପ୍ରଭଂ ପୀତାଂବରଂ ପ୍ରସୃତମକ୍ଷମାଲିନମ୍ । ସମସ୍ତଶାସ୍ତ୍ରାର୍ଥଵିଧିଂ ମହାଂତଂ ଧ୍ୟାୟେତ୍କଵିଂ ଵାଂଛିତମର୍ଥସିଦ୍ଧୟେ ॥ 1 ॥ ଅଥ ଶୁକ୍ରକଵଚମ୍ ଶିରୋ ମେ ଭାର୍ଗଵଃ ପାତୁ ଭାଲଂ ପାତୁ ଗ୍ରହାଧିପଃ । ନେତ୍ରେ ଦୈତ୍ୟଗୁରୁଃ ପାତୁ ଶ୍ରୋତ୍ରେ ମେ ଚଂଦନଦ୍ୟୁତିଃ ॥ 2 ॥ ପାତୁ ମେ ନାସିକାଂ କାଵ୍ୟୋ ଵଦନଂ ଦୈତ୍ୟଵଂଦିତଃ । ଵଚନଂ ଚୋଶନାଃ ପାତୁ କଂଠଂ ଶ୍ରୀକଂଠଭକ୍ତିମାନ୍ ॥ 3 ॥ ଭୁଜୌ ତେଜୋନିଧିଃ ପାତୁ କୁକ୍ଷିଂ ପାତୁ…

शुक्र कवचम्

|| शुक्र कवचम् || ध्यानम् मृणालकुंदेंदुपयोजसुप्रभं पीतांबरं प्रसृतमक्षमालिनम् । समस्तशास्त्रार्थविधिं महांतं ध्यायेत्कविं वांछितमर्थसिद्धये ॥ 1 ॥ अथ शुक्रकवचम् शिरो मे भार्गवः पातु भालं पातु ग्रहाधिपः । नेत्रे दैत्यगुरुः पातु श्रोत्रे मे चंदनद्युतिः ॥ 2 ॥ पातु मे नासिकां काव्यो वदनं दैत्यवंदितः । वचनं चोशनाः पातु कंठं श्रीकंठभक्तिमान् ॥ 3 ॥ भुजौ तेजोनिधिः पातु कुक्षिं पातु…

ಶುಕ್ರ ಕವಚಂ

|| ಶುಕ್ರ ಕವಚಂ || ಧ್ಯಾನಂ ಮೃಣಾಲಕುಂದೇಂದುಪಯೋಜಸುಪ್ರಭಂ ಪೀತಾಂಬರಂ ಪ್ರಸೃತಮಕ್ಷಮಾಲಿನಮ್ । ಸಮಸ್ತಶಾಸ್ತ್ರಾರ್ಥವಿಧಿಂ ಮಹಾಂತಂ ಧ್ಯಾಯೇತ್ಕವಿಂ ವಾಂಛಿತಮರ್ಥಸಿದ್ಧಯೇ ॥ 1 ॥ ಅಥ ಶುಕ್ರಕವಚಂ ಶಿರೋ ಮೇ ಭಾರ್ಗವಃ ಪಾತು ಭಾಲಂ ಪಾತು ಗ್ರಹಾಧಿಪಃ । ನೇತ್ರೇ ದೈತ್ಯಗುರುಃ ಪಾತು ಶ್ರೋತ್ರೇ ಮೇ ಚಂದನದ್ಯುತಿಃ ॥ 2 ॥ ಪಾತು ಮೇ ನಾಸಿಕಾಂ ಕಾವ್ಯೋ ವದನಂ ದೈತ್ಯವಂದಿತಃ । ವಚನಂ ಚೋಶನಾಃ ಪಾತು ಕಂಠಂ ಶ್ರೀಕಂಠಭಕ್ತಿಮಾನ್ ॥ 3 ॥ ಭುಜೌ ತೇಜೋನಿಧಿಃ ಪಾತು ಕುಕ್ಷಿಂ ಪಾತು…

શુક્ર કવચમ્

|| શુક્ર કવચમ્ || ધ્યાનમ્ મૃણાલકુંદેંદુપયોજસુપ્રભં પીતાંબરં પ્રસૃતમક્ષમાલિનમ્ । સમસ્તશાસ્ત્રાર્થવિધિં મહાંતં ધ્યાયેત્કવિં વાંછિતમર્થસિદ્ધયે ॥ 1 ॥ અથ શુક્રકવચમ્ શિરો મે ભાર્ગવઃ પાતુ ભાલં પાતુ ગ્રહાધિપઃ । નેત્રે દૈત્યગુરુઃ પાતુ શ્રોત્રે મે ચંદનદ્યુતિઃ ॥ 2 ॥ પાતુ મે નાસિકાં કાવ્યો વદનં દૈત્યવંદિતઃ । વચનં ચોશનાઃ પાતુ કંઠં શ્રીકંઠભક્તિમાન્ ॥ 3 ॥ ભુજૌ તેજોનિધિઃ પાતુ કુક્ષિં પાતુ…

ശുക്ര കവചമ്

|| ശുക്ര കവചമ് || ധ്യാനമ് മൃണാലകുംദേംദുപയോജസുപ്രഭം പീതാംബരം പ്രസൃതമക്ഷമാലിനമ് । സമസ്തശാസ്ത്രാര്ഥവിധിം മഹാംതം ധ്യായേത്കവിം വാംഛിതമര്ഥസിദ്ധയേ ॥ 1 ॥ അഥ ശുക്രകവചമ് ശിരോ മേ ഭാര്ഗവഃ പാതു ഭാലം പാതു ഗ്രഹാധിപഃ । നേത്രേ ദൈത്യഗുരുഃ പാതു ശ്രോത്രേ മേ ചംദനദ്യുതിഃ ॥ 2 ॥ പാതു മേ നാസികാം കാവ്യോ വദനം ദൈത്യവംദിതഃ । വചനം ചോശനാഃ പാതു കംഠം ശ്രീകംഠഭക്തിമാന് ॥ 3 ॥ ഭുജൌ തേജോനിധിഃ പാതു കുക്ഷിം പാതു…

రాహు కవచం

|| రాహు కవచం || ధ్యానం ప్రణమామి సదా రాహుం శూర్పాకారం కిరీటినమ్ । సైంహికేయం కరాలాస్యం లోకానామభయప్రదమ్ ॥ 1॥ । అథ రాహు కవచమ్ । నీలాంబరః శిరః పాతు లలాటం లోకవందితః । చక్షుషీ పాతు మే రాహుః శ్రోత్రే త్వర్ధశరిరవాన్ ॥ 2॥ నాసికాం మే ధూమ్రవర్ణః శూలపాణిర్ముఖం మమ । జిహ్వాం మే సింహికాసూనుః కంఠం మే కఠినాంఘ్రికః ॥ 3॥ భుజంగేశో భుజౌ పాతు నీలమాల్యాంబరః కరౌ ।…

What is HinduNidhi? & Why?
Preserving and Celebrating Hindu Devotion and Scriptures
At HinduNidhi.Com, we are dedicated to preserving and sharing the vast spiritual and cultural heritage of Hinduism. Our extensive collection includes Aarti, Chalisa, Vrat Katha, Stotram, Sahastranaam, Ashtakam, Ashtottara, Bhajan, Path, Suktam, Kavach, Hridayam, Stuti, Shloka, Mantra, Pooja Vidhi, and more. Additionally, explore our curated Hindu scriptures in PDF format and deepen your knowledge with our insightful articles in Hindu Gyan. Join our community to connect with the timeless wisdom and traditions that have shaped our civilization.

--- Connect with HinduNidhi ---

HinduNidhi Facebook HinduNidhi X (Twitter)
Download HinduNidhi App