शिवपदमणिमाला

|| शिवपदमणिमाला || शिवेति द्वौवर्णौ परपद नयद्धंस गरुतौ तटौ संसाराब्धेर्निजविषय बोधाङ्कुर दले । श्रुतेरन्तर्गोपायित पररहस्यौ हृदिचरौ घरट्‍टग्रावाणौ भव विटपि बीजौघ दलने ॥ १ ॥ शिवेति द्वौवर्णौ जनन विजय स्तम्भ कलशौ दुरन्तान्तर्ध्वान्त प्रमथन शुभाधान चतुरौ । महायात्राध्वस्य प्रमुख जनता कञ्चुकिवरौ मरुज्घम्पायौतौ कृतफल नवाम्भोदमथने ॥ २ ॥ शिवेति द्वौवर्णौ शिवमवदतां चैव वसुधा- -मुभाभ्यां वर्णाभ्यां रथरथिक यो राज्यकलनात्…

हरियाली तीज व्रत कथा

|| हरियाली तीज व्रत कथा || भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का एक अद्भुत पर्व है हरियाली तीज। इस पर्व से जुड़ी कथा में जानेंगे कि किस प्रकार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में प्राप्त किया। हरियाली तीज व्रत कथा के अनुसार, इस कथा का वाचन स्वयं भगवान…

ஶ்ரீ ஸூக்தம்

|| ஶ்ரீ ஸூக்தம் || ஹிர॑ண்யவர்ணாம்॒ ஹரி॑ணீம் ஸு॒வர்ண॑ரஜ॒தஸ்ர॑ஜாம் । ச॒ந்த்³ராம் ஹி॒ரண்ம॑யீம் ல॒க்ஷ்மீம் ஜாத॑வேதோ³ ம॒ ஆவ॑ஹ ॥ 1 ॥ தாம் ம॒ ஆவ॑ஹ॒ ஜாத॑வேதோ³ ல॒க்ஷ்மீமந॑பகா³॒மிநீ᳚ம் । யஸ்யாம்॒ ஹிர॑ண்யம் வி॒ந்தே³யம்॒ கா³மஶ்வம்॒ புரு॑ஷாந॒ஹம் ॥ 2 ॥ அ॒ஶ்வ॒பூ॒ர்வாம் ர॑த²ம॒த்⁴யாம் ஹ॒ஸ்திநா॑த³ப்ர॒போ³தி⁴॑நீம் । ஶ்ரியம்॑ தே³॒வீமுப॑ஹ்வயே॒ ஶ்ரீர்மா॑தே³॒வீர்ஜு॑ஷதாம் ॥ 3 ॥ காம்॒ ஸோ᳚ஸ்மி॒தாம் ஹிர॑ண்யப்ரா॒காரா॑மா॒ர்த்³ராம் ஜ்வல॑ந்தீம் த்ரு॒ப்தாம் த॒ர்பய॑ந்தீம் । ப॒த்³மே॒ ஸ்தி²॒தாம் ப॒த்³மவ॑ர்ணாம்॒ தாமி॒ஹோப॑ஹ்வயே॒ ஶ்ரியம் ॥ 4…

ಶ್ರೀ ಸೂಕ್ತಮ್

|| ಶ್ರೀ ಸೂಕ್ತಮ್ || ಹಿರ॑ಣ್ಯವರ್ಣಾಂ॒ ಹರಿ॑ಣೀಂ ಸು॒ವರ್ಣ॑ರಜ॒ತಸ್ರ॑ಜಾಮ್ । ಚ॒ನ್ದ್ರಾಂ ಹಿ॒ರಣ್ಮ॑ಯೀಂ ಲ॒ಕ್ಷ್ಮೀಂ ಜಾತ॑ವೇದೋ ಮ॒ ಆವ॑ಹ ॥ 1 ॥ ತಾಂ ಮ॒ ಆವ॑ಹ॒ ಜಾತ॑ವೇದೋ ಲ॒ಕ್ಷ್ಮೀಮನ॑ಪಗಾ॒ಮಿನೀ᳚ಮ್ । ಯಸ್ಯಾಂ॒ ಹಿರ॑ಣ್ಯಂ ವಿ॒ನ್ದೇಯಂ॒ ಗಾಮಶ್ವಂ॒ ಪುರು॑ಷಾನ॒ಹಮ್ ॥ 2 ॥ ಅ॒ಶ್ವ॒ಪೂ॒ರ್ವಾಂ ರ॑ಥಮ॒ಧ್ಯಾಂ ಹ॒ಸ್ತಿನಾ॑ದಪ್ರ॒ಬೋಧಿ॑ನೀಮ್ । ಶ್ರಿಯಂ॑ ದೇ॒ವೀಮುಪ॑ಹ್ವಯೇ॒ ಶ್ರೀರ್ಮಾ॑ದೇ॒ವೀರ್ಜು॑ಷತಾಮ್ ॥ 3 ॥ ಕಾಂ॒ ಸೋ᳚ಸ್ಮಿ॒ತಾಂ ಹಿರ॑ಣ್ಯಪ್ರಾ॒ಕಾರಾ॑ಮಾ॒ರ್ದ್ರಾಂ ಜ್ವಲ॑ನ್ತೀಂ ತೃ॒ಪ್ತಾಂ ತ॒ರ್ಪಯ॑ನ್ತೀಮ್ । ಪ॒ದ್ಮೇ॒ ಸ್ಥಿ॒ತಾಂ ಪ॒ದ್ಮವ॑ರ್ಣಾಂ॒ ತಾಮಿ॒ಹೋಪ॑ಹ್ವಯೇ॒ ಶ್ರಿಯಮ್ ॥ 4…

श्री सूक्तम्

|| श्री सूक्तम् || हिर॑ण्यवर्णां॒ हरि॑णीं सु॒वर्ण॑रज॒तस्र॑जाम् । च॒न्द्रां हि॒रण्म॑यीं ल॒क्ष्मीं जात॑वेदो म॒ आव॑ह ॥ १ ॥ तां म॒ आव॑ह॒ जात॑वेदो ल॒क्ष्मीमन॑पगा॒मिनी᳚म् । यस्यां॒ हिर॑ण्यं वि॒न्देयं॒ गामश्वं॒ पुरु॑षान॒हम् ॥ २ ॥ अ॒श्व॒पू॒र्वां र॑थम॒ध्यां ह॒स्तिना॑दप्र॒बोधि॑नीम् । श्रियं॑ दे॒वीमुप॑ह्वये॒ श्रीर्मा॑दे॒वीर्जु॑षताम् ॥ ३ ॥ कां॒ सो᳚स्मि॒तां हिर॑ण्यप्रा॒कारा॑मा॒र्द्रां ज्वल॑न्तीं तृ॒प्तां त॒र्पय॑न्तीम् । प॒द्मे॒ स्थि॒तां प॒द्मव॑र्णां॒ तामि॒होप॑ह्वये॒ श्रियम् ॥ ४…

Shri Suktam

hira̍ṇyavarṇā̱ṃ hari̍ṇīṃ su̱varṇa̍raja̱tasra̍jām | ca̱ndrāṃ hi̱raṇma̍yīṃ la̱kṣmīṃ jāta̍vedo ma̱ āva̍ha || 1 || tāṃ ma̱ āva̍ha̱ jāta̍vedo la̱kṣmīmana̍pagā̱minī̎m | yasyā̱ṃ hira̍ṇyaṃ vi̱ndeya̱ṃ gāmaśva̱ṃ puru̍ṣāna̱ham || 2 || a̱śva̱pū̱rvāṃ ra̍thama̱dhyāṃ ha̱stinā̍dapra̱bodhi̍nīm | śriya̍ṃ de̱vīmupa̍hvaye̱ śrīrmā̍de̱vīrju̍ṣatām || 3 || kā̱ṃ so̎smi̱tāṃ hira̍ṇyaprā̱kārā̍mā̱rdrāṃ jvala̍ntīṃ tṛ̱ptāṃ ta̱rpaya̍ntīm | pa̱dme̱ sthi̱tāṃ pa̱dmava̍rṇā̱ṃ tāmi̱hopa̍hvaye̱ śriyam || 4 || ca̱ndrāṃ pra̍bhā̱sāṃ ya̱śasā̱…

Brahamand Puran Part 2 (ब्रह्माण्ड पुराण – भाग 2)

Brahamand Puran Part 2 (ब्रह्माण्ड पुराण - भाग 2)

ब्रह्माण्ड पुराण हिंदू धर्म के प्रमुख अठारह महापुराणों में से एक है। इस पुराण का दूसरा भाग विभिन्न विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, विभिन्न युगों का वर्णन, देवताओं और ऋषियों की कथाएँ शामिल हैं। यहाँ हम ब्रह्माण्ड पुराण के दूसरे भाग के प्रमुख विषयों का वर्णन करेंगे। ब्रह्माण्ड पुराण…

Brahamand Puran Part 1 (ब्रह्मांड पुराण – भाग 1)

Brahamand Puran Part 1 (ब्रह्मांड पुराण - भाग 1)

ब्रह्मांड पुराण हिंदू धर्म के प्रमुख पुराणों में से एक है और इसमें ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के साथ-साथ सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, और अंत के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। यह पुराण ब्रह्मा के जन्म और सृष्टि के प्रारंभ से लेकर ब्रह्मा के अंत और सृष्टि के पुनर्निर्माण तक की घटनाओं का…

દિવાસો વ્રત કથા

|| દિવાસો વ્રત કથા || એવરત-જીવરતનું વ્રત અષાઢ વદ તેરસથી અમાસ સુધી ત્રણ દિવસ કરવાનું વિધાન છે. વ્રતકર્તાએ મીઠા વિનાનું ભોજન લઈ એકટાણું કરવુું. જાગરણ કરી માતાજીના ગરબા ગાવા અને માતાજી સમક્ષ અખંડ દીવો પ્રગટાવેલો રાખવો. એવરત-જીવરતની કથા આ મુજબ છે. એક જમાનો એવો હતો કે જો સ્ત્રી નિઃસંતાન હોય તો કોઈ તેનું મોઢું ન…

Rawan Samhita Part 1 (रावण संहिता – भाग 1)

Rawan Sahinta Part 1 (रावण संहिता - भाग 1)

रावण संहिता एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो राजा रावण द्वारा रचित माना जाता है। यह ग्रंथ ज्योतिष, तंत्र, मंत्र, आयुर्वेद, और विभिन्न प्रकार की विद्या का अद्वितीय संग्रह है। रावण संहिता का पहला भाग इन विषयों के आधारभूत सिद्धांतों और उपयोगी जानकारी का विस्तृत वर्णन करता है। रावण, जो लंका का राजा और एक महान…

नाग पंचमी पौराणिक कथा

।। नाग पंचमी पौराणिक कथा ।। प्राचीन काल में एक सेठजी के सात पुत्र थे। सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की विदूषी और सुशील थी, परंतु उसके भाई नहीं था। एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने को पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ…

Atharvaved Part 2 (अथर्ववेद – भाग 2)

Atharvaved Part 2 (अथर्ववेद - भाग 2)

अथर्ववेद के दूसरे भाग में वैज्ञानिक और व्यावहारिक ज्ञान का भी विशेष महत्व है। इसमें प्राकृतिक आपदाओं के निवारण, औषधियों के उपयोग, और स्वास्थ्य संबंधी उपायों का विस्तृत वर्णन है। इसमें समाज, परिवार, और राजनीति के नियमों का भी उल्लेख है, जो व्यक्ति के जीवन को व्यवस्थित और सफल बनाने में सहायता करते हैं। अथर्ववेद…

Atharvaved Part 1 (अथर्ववेद – भाग 1)

Atharvaved Part 1 (अथर्ववेद - भाग 1)

अथर्ववेद हिंदू धर्म के चार प्रमुख वेदों में से एक है। यह वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, और सामवेद से अलग है क्योंकि इसमें धार्मिक और आध्यात्मिक मंत्रों के साथ-साथ जादू-टोना, औषधि, स्वास्थ्य, और दैनिक जीवन से संबंधित विभिन्न विषयों का विस्तृत वर्णन है। अथर्ववेद को “ब्राह्मणों का वेद” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें धार्मिक अनुष्ठानों…

Rigved (ऋग्वेद)

Rigved (ऋग्वेद)

ऋग्वेद हिंदू धर्म के चार प्रमुख वेदों में से एक है और इसे सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण वेद माना जाता है। यह वेद भारतीय संस्कृति, धर्म और ज्ञान का एक अनमोल खजाना है। ऋग्वेद मुख्य रूप से देवताओं की स्तुति और प्रार्थना के मंत्रों का संग्रह है। ऋग्वेद की रचना का श्रेय प्राचीन ऋषियों को…

Samved (सामवेद)

Samved (सामवेद)

सामवेद हिंदू धर्म के चार प्रमुख वेदों में से एक है। यह वेद मुख्यतः संगीत और ऋचाओं के गायन पर केंद्रित है। सामवेद का प्रमुख उद्देश्य यज्ञों और अनुष्ठानों के दौरान गाए जाने वाले मंत्रों और ऋचाओं का संकलन करना और उन्हें संगीत के माध्यम से प्रस्तुत करना है। इसे “गान वेद” भी कहा जाता…

Kalki Puran (कल्की पुराण)

Kalki Puran (कल्की पुराण)

कल्की पुराण हिंदू धर्म के महा पुराणों में से एक है और यह एक विशेष पुराण है जो भगवान विष्णु के दस अवतारों में अंतिम अवतार, काल्की अवतार, के बारे में विवरण प्रदान करता है। यह पुराण भविष्य की घटनाओं, धार्मिक विचारधाराओं, और ब्रह्मा, विष्णु और शिव के बारे में विशेष जानकारी प्रदान करता है।…

Narsimha Puran (नरसिंह पुराण)

Narsimha Puran (नरसिंह पुराण)

नृसिंह पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। यह पुराण भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार को समर्पित है, जो आधे सिंह और आधे मानव के रूप में प्रकट हुए थे। नृसिंह पुराण में भगवान विष्णु के इस अवतार की महिमा, उनकी लीलाओं, धर्म, भक्ति, और पौराणिक कथाओं का विस्तार से…

Vishnu Puran (विष्णु पुराण)

Vishnu Puran (विष्णु पुराण)

विष्णु पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। यह पुराण भगवान विष्णु को समर्पित है और उनकी महिमा, लीलाओं, अवतारों, धर्म, भक्ति, और पौराणिक कथाओं का विस्तार से वर्णन करता है। विष्णु पुराण का अध्ययन धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। विष्णु पुराण की रचना महर्षि पराशर ने…

Brahmvaivatra Puran (ब्रह्मवैवर्त पुराण)

Brahmvaivatra Puran (ब्रह्मवैवर्त पुराण)

ब्रह्मवैवर्त पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण और विशिष्ट पुराण है। यह पुराण ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के रूपों के साथ-साथ देवी राधा और भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में सृष्टि, धर्म, भक्ति, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत विवरण मिलता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण की रचना महर्षि…

Vaman Puran (वामन पुराण)

Vaman Puran (वामन पुराण)

वामन पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। इस पुराण का नाम भगवान विष्णु के वामन अवतार के नाम पर रखा गया है। वामन पुराण में भगवान विष्णु के इस अवतार की महिमा, उनकी लीलाओं, धर्म, भक्ति, तीर्थ यात्रा, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। वामन पुराण की…

Shiv Puran (शिव पुराण)

Shiv Puran (शिव पुराण)

शिव पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध पुराण है। यह पुराण भगवान शिव को समर्पित है और उनके विभिन्न रूपों, लीलाओं, और उपासना विधियों का विस्तार से वर्णन करता है। शिव पुराण में शिव भक्ति, शिवलिंग पूजा, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। शिव पुराण की…

Padma Puran (पद्म पुराण)

Padma Puran (पद्म पुराण)

पद्म पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण और विशाल पुराण है। इस पुराण का नाम कमल (पद्म) के नाम पर रखा गया है, जो भगवान विष्णु के प्रतीक रूप में देखा जाता है। पद्म पुराण में धर्म, नीति, भक्ति, तीर्थ यात्रा, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसे धार्मिक…

सिद्धि विनायक स्तोत्र

|| सिद्धि विनायक स्तोत्र || विघ्नेश विघ्नचयखण्डननामधेय श्रीशङ्करात्मज सुराधिपवन्द्यपाद। दुर्गामहाव्रतफलाखिलमङ्गलात्मन् विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। सत्पद्मरागमणिवर्णशरीरकान्तिः श्रीसिद्धिबुद्धिपरिचर्चितकुङ्कुमश्रीः। दक्षस्तने वलियितातिमनोज्ञशुण्डो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। पाशाङ्कुशाब्जपरशूंश्च दधच्चतुर्भि- र्दोर्भिश्च शोणकुसुमस्रगुमाङ्गजातः। सिन्दूरशोभितललाटविधुप्रकाशो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। कार्येषु विघ्नचयभीतविरिञ्चिमुख्यैः संपूजितः सुरवरैरपि मोहकाद्यैः। सर्वेषु च प्रथममेव सुरेषु पूज्यो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। शीघ्राञ्चनस्खलनतुङ्गरवोर्ध्वकण्ठ- स्थूलेन्दुरुद्रगणहासितदेवसङ्घः। शूर्पश्रुतिश्च पृथुवर्त्तुलतुङ्गतुन्दो विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्। यज्ञोपवीतपदलम्भितनागराजो मासादिपुण्यददृशीकृत-ऋक्षराजः।…

Narad Puran (नारद पुराण)

Narad Puran (नारद पुराण)

नारद पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण और प्राचीन पुराण है। यह पुराण देवर्षि नारद के नाम पर है, जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त और ब्रह्मांड के यात्रा करने वाले ऋषि माने जाते हैं। नारद पुराण में धर्म, भक्ति, संगीत, और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई…

Markandya Puran (मार्कण्डेय पुराण)

Markandya Puran (मार्कण्डेय पुराण)

मार्कण्डेय पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख और अत्यंत महत्वपूर्ण पुराण है। इसका नाम ऋषि मार्कण्डेय के नाम पर रखा गया है, जो इस पुराण के प्रमुख ऋषि हैं। मार्कण्डेय पुराण में विभिन्न धार्मिक, नैतिक, और आध्यात्मिक विषयों का विस्तृत वर्णन है। इसमें देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) का भी उल्लेख है,…

Ling Puran (लिंग पुराण)

Ling Puran (लिंग पुराण)

लिंग पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख पुराण है। यह पुराण भगवान शिव और शिवलिंग की महिमा को समर्पित है। लिंग पुराण में शिवलिंग की उत्पत्ति, महत्व, पूजा विधियाँ, विभिन्न तीर्थ स्थलों का विवरण, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन है। इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता…

Bhavishya Puran (भविष्य पुराण)

Bhavishya Puran (भविष्य पुराण)

भविष्य पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख पुराण है। इस पुराण का नाम “भविष्य” (भविष्यकाल) पर आधारित है, जो इसके विषयवस्तु को दर्शाता है। भविष्य पुराण में आने वाले समय के घटनाओं, भविष्यवाणियों, और विभिन्न युगों का वर्णन मिलता है। यह पुराण विशेषकर धार्मिक और सामाजिक परंपराओं, विधियों, और रीति-रिवाजों का…

ಗಣೇಶ ಪಂಚಾಕ್ಷರ ಸ್ತೋತ್ರ

|| ಗಣೇಶ ಪಂಚಾಕ್ಷರ ಸ್ತೋತ್ರ || ವಕ್ರತುಂಡ ಮಹಾಕಾಯ ಸೂರ್ಯಕೋಟಿಸಮಪ್ರಭ। ನಿರ್ವಿಘ್ನಂ ಕುರು ಮೇ ದೇವ ಸರ್ವಕಾರ್ಯೇಷು ಸರ್ವದಾ। ಅಗಜಾನನಪದ್ಮಾರ್ಕಂ ಗಜಾನನಮಹರ್ನಿಶಂ। ಅನೇಕದಂ ತಂ ಭಕ್ತಾನಾಮೇಕದಂತಮುಪಾಸ್ಮಹೇ। ಗೌರೀಸುಪುತ್ರಾಯ ಗಜಾನನಾಯ ಗೀರ್ವಾಣಮುಖ್ಯಾಯ ಗಿರೀಶಜಾಯ। ಗ್ರಹರ್ಕ್ಷಪೂಜ್ಯಾಯ ಗುಣೇಶ್ವರಾಯ ನಮೋ ಗಕಾರಾಯ ಗಣೇಶ್ವರಾಯ। ನಾದಸ್ವರೂಪಾಯ ನಿರಂಕುಶಾಯ ನಂದ್ಯಪ್ರಶಸ್ತಾಯ ನೃತಿಪ್ರಿಯಾಯ। ನಮತ್ಸುರೇಶಾಯ ನಿರಗ್ರಜಾಯ ನಮೋ ಣಕಾರಾಯ ಗಣೇಶ್ವರಾಯ। ವಾಣೀವಿಲಾಸಾಯ ವಿನಾಯಕಾಯ ವೇದಾಂತವೇದ್ಯಾಯ ಪರಾತ್ಪರಾಯ। ಸಮಸ್ತವಿದ್ಯಾಽಽಶುವರಪ್ರದಾಯ ನಮೋ ವಕಾರಾಯ ಗಣೇಶ್ವರಾಯ। ರವೀಂದುಭೌಮಾದಿಭಿರರ್ಚಿತಾಯ ರಕ್ತಾಂಬರಾಯೇಷ್ಟವರಪ್ರದಾಯ। ಋದ್ಧಿಪ್ರಿಯಾಯೇಂದ್ರಜಯಪ್ರದಾಯ ನಮೋಽಸ್ತು ರೇಫಾಯ ಗಣೇಶ್ವರಾಯ। ಯಕ್ಷಾಧಿನಾಥಾಯ ಯಮಾಂತಕಾಯ ಯಶಸ್ವಿನೇ ಚಾಮಿತಕೀರ್ತಿತಾಯ।…

Brahma Puran (ब्रह्म पुराण)

Brahma Puran (ब्रह्म पुराण)

ब्रह्म पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। यह पुराण भगवान ब्रह्मा को समर्पित है, जो सृष्टि के रचयिता माने जाते हैं। ब्रह्म पुराण में ब्रह्मा की महिमा, सृष्टि की उत्पत्ति, धर्म, आचार, पूजा विधियाँ, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन है। इसे वैदिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना…

Bhagwat Puran (भागवत पुराण)

Bhagwat Puran (भागवत पुराण)

भागवत पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित पुराण है। इसे श्रीमद्भागवत या सिर्फ भागवत के नाम से भी जाना जाता है। यह पुराण भगवान विष्णु और उनके अवतारों, विशेषकर श्रीकृष्ण के जीवन और लीलाओं का विस्तृत वर्णन करता है। भागवत पुराण में भक्तिभावना, धर्म, और ज्ञान का समृद्ध संगम…

Garuda Puran (गरुड़ पुराण)

Garuda Puran (गरुड़ पुराण)

गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख पुराण है। यह पुराण भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ को समर्पित है। गरुड़ पुराण में मृत्यु, आत्मा, पुनर्जन्म, कर्म, और मोक्ष के विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई है। इसे विशेष रूप से मृत्युकाल में सुनने और पढ़ने का महत्व बताया गया है, जिससे…

Kurma Puran (कूर्म पुराण)

Kurma Puran (कूर्म पुराण)

कूर्म पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। यह पुराण भगवान विष्णु के कूर्म (कछुआ) अवतार को समर्पित है। कूर्म पुराण में धर्म, आचार, पूजा विधियाँ, तीर्थ यात्रा, और विभिन्न पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन है। इसे धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। कूर्म पुराण की…

गणेश पंचाक्षर स्तोत्र

|| गणेश पंचाक्षर स्तोत्र || वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा। अगजाननपद्मार्कं गजाननमहर्निशम्। अनेकदं तं भक्तानामेकदन्तमुपास्महे। गौरीसुपुत्राय गजाननाय गीर्वाणमुख्याय गिरीशजाय। ग्रहर्क्षपूज्याय गुणेश्वराय नमो गकाराय गणेश्वराय। नादस्वरूपाय निरङ्कुशाय नन्द्यप्रशस्ताय नृतिप्रियाय। नमत्सुरेशाय निरग्रजाय नमो णकाराय गणेश्वराय। वाणीविलासाय विनायकाय वेदान्तवेद्याय परात्पराय। समस्तविद्याऽऽशुवरप्रदाय नमो वकाराय गणेश्वराय। रवीन्दुभौमादिभिरर्चिताय रक्ताम्बरायेष्टवरप्रदाय। ऋद्धिप्रियायेन्द्रजयप्रदाय नमोऽस्तु रेफाय गणेश्वराय। यक्षाधिनाथाय यमान्तकाय यशस्विने चामितकीर्तिताय।…

వక్రతుండ స్తుతి

|| వక్రతుండ స్తుతి || సదా బ్రహ్మభూతం వికారాదిహీనం వికారాదిభూతం మహేశాదివంద్యం । అపారస్వరూపం స్వసంవేద్యమేకం నమామః సదా వక్రతుండం భజామః ॥ అజం నిర్వికల్పం కలాకాలహీనం హృదిస్థం సదా సాక్షిరూపం పరేశం । జనజ్ఞానకారం ప్రకాశైర్విహీనం నమామః సదా వక్రతుండం భజామః ॥ అనంతస్వరూపం సదానందకందం ప్రకాశస్వరూపం సదా సర్వగం తం । అనాదిం గుణాదిం గుణాధారభూతం నమామః సదా వక్రతుండం భజామః ॥ ధరావాయుతేజోమయం తోయభావం సదాకాశరూపం మహాభూతసంస్థం । అహంకారధారం తమోమాత్రసంస్థం నమామః…

வக்ரதுண்ட ஸ்துதி

|| வக்ரதுண்ட ஸ்துதி || ஸதா ப்ரஹ்மபூதம் விகாராதிஹீனம் விகாராதிபூதம் மஹேஶாதிவந்த்யம் । அபாரஸ்வரூபம் ஸ்வஸம்வேத்யமேகம் நமாம꞉ ஸதா வக்ரதுண்டம் பஜாம꞉ ॥ அஜம் நிர்விகல்பம் கலாகாலஹீனம் ஹ்ருதிஸ்தம் ஸதா ஸாக்ஷிரூபம் பரேஶம் । ஜனஜ்ஞானகாரம் ப்ரகாஶைர்விஹீனம் நமாம꞉ ஸதா வக்ரதுண்டம் பஜாம꞉ ॥ அனந்தஸ்வரூபம் ஸதானந்தகந்தம் ப்ரகாஶஸ்வரூபம் ஸதா ஸர்வகம் தம் । அநாதிம் குணாதிம் குணாதாரபூதம் நமாம꞉ ஸதா வக்ரதுண்டம் பஜாம꞉ ॥ தராவாயுதேஜோமயம் தோயபாவம் ஸதாகாஶரூபம் மஹாபூதஸம்ஸ்தம் । அஹங்காரதாரம் தமோமாத்ரஸம்ஸ்தம் நமாம꞉…

ವಕ್ರತುಂಡ ಸ್ತುತಿ

|| ವಕ್ರತುಂಡ ಸ್ತುತಿ || ಸದಾ ಬ್ರಹ್ಮಭೂತಂ ವಿಕಾರಾದಿಹೀನಂ ವಿಕಾರಾದಿಭೂತಂ ಮಹೇಶಾದಿವಂದ್ಯಂ । ಅಪಾರಸ್ವರೂಪಂ ಸ್ವಸಂವೇದ್ಯಮೇಕಂ ನಮಾಮಃ ಸದಾ ವಕ್ರತುಂಡಂ ಭಜಾಮಃ ॥ ಅಜಂ ನಿರ್ವಿಕಲ್ಪಂ ಕಲಾಕಾಲಹೀನಂ ಹೃದಿಸ್ಥಂ ಸದಾ ಸಾಕ್ಷಿರೂಪಂ ಪರೇಶಂ । ಜನಜ್ಞಾನಕಾರಂ ಪ್ರಕಾಶೈರ್ವಿಹೀನಂ ನಮಾಮಃ ಸದಾ ವಕ್ರತುಂಡಂ ಭಜಾಮಃ ॥ ಅನಂತಸ್ವರೂಪಂ ಸದಾನಂದಕಂದಂ ಪ್ರಕಾಶಸ್ವರೂಪಂ ಸದಾ ಸರ್ವಗಂ ತಂ । ಅನಾದಿಂ ಗುಣಾದಿಂ ಗುಣಾಧಾರಭೂತಂ ನಮಾಮಃ ಸದಾ ವಕ್ರತುಂಡಂ ಭಜಾಮಃ ॥ ಧರಾವಾಯುತೇಜೋಮಯಂ ತೋಯಭಾವಂ ಸದಾಕಾಶರೂಪಂ ಮಹಾಭೂತಸಂಸ್ಥಂ । ಅಹಂಕಾರಧಾರಂ ತಮೋಮಾತ್ರಸಂಸ್ಥಂ ನಮಾಮಃ…

वक्रतुंड स्तुति

|| वक्रतुंड स्तुति || सदा ब्रह्मभूतं विकारादिहीनं विकारादिभूतं महेशादिवन्द्यम् । अपारस्वरूपं स्वसंवेद्यमेकं नमामः सदा वक्रतुण्डं भजामः ॥ अजं निर्विकल्पं कलाकालहीनं हृदिस्थं सदा साक्षिरूपं परेशम् । जनज्ञानकारं प्रकाशैर्विहीनं नमामः सदा वक्रतुण्डं भजामः ॥ अनन्तस्वरूपं सदानन्दकन्दं प्रकाशस्वरूपं सदा सर्वगं तम् । अनादिं गुणादिं गुणाधारभूतं नमामः सदा वक्रतुण्डं भजामः ॥ धरावायुतेजोमयं तोयभावं सदाकाशरूपं महाभूतसंस्थम् । अहङ्कारधारं तमोमात्रसंस्थं नमामः…

ഗജാനന സ്തോത്രം

|| ഗജാനന സ്തോത്രം || ഗണേശ ഹേരംബ ഗജാനനേതി മഹോദര സ്വാനുഭവപ്രകാശിൻ। വരിഷ്ഠ സിദ്ധിപ്രിയ ബുദ്ധിനാഥ വദന്തമേവം ത്യജത പ്രഭീതാഃ। അനേകവിഘ്നാന്തക വക്രതുണ്ഡ സ്വസഞ്ജ്ഞവാസിംശ്ച ചതുർഭുജേതി। കവീശ ദേവാന്തകനാശകാരിൻ വദന്തമേവം ത്യജത പ്രഭീതാഃ। മഹേശസൂനോ ഗജദൈത്യശത്രോ വരേണ്യസൂനോ വികട ത്രിനേത്ര। പരേശ പൃഥ്വീധര ഏകദന്ത വദന്തമേവം ത്യജത പ്രഭീതാഃ। പ്രമോദ മേദേതി നരാന്തകാരേ ഷഡൂർമിഹന്തർഗജകർണ ഢുണ്ഢേ। ദ്വന്ദ്വാഗ്നിസിന്ധോ സ്ഥിരഭാവകാരിൻ വദന്തമേവം ത്യജത പ്രഭീതാഃ। വിനായക ജ്ഞാനവിഘാതശത്രോ പരാശരസ്യാത്മജ വിഷ്ണുപുത്ര। അനാദിപൂജ്യാഖുഗ സർവപൂജ്യ വദന്തമേവം ത്യജത പ്രഭീതാഃ। വൈരിഞ്ച്യ…

గజానన స్తోత్రం

|| గజానన స్తోత్రం || గణేశ హేరంబ గజాననేతి మహోదర స్వానుభవప్రకాశిన్। వరిష్ఠ సిద్ధిప్రియ బుద్ధినాథ వదంతమేవం త్యజత ప్రభీతాః। అనేకవిఘ్నాంతక వక్రతుండ స్వసంజ్ఞవాసింశ్చ చతుర్భుజేతి। కవీశ దేవాంతకనాశకారిన్ వదంతమేవం త్యజత ప్రభీతాః। మహేశసూనో గజదైత్యశత్రో వరేణ్యసూనో వికట త్రినేత్ర। పరేశ పృథ్వీధర ఏకదంత వదంతమేవం త్యజత ప్రభీతాః। ప్రమోద మేదేతి నరాంతకారే షడూర్మిహంతర్గజకర్ణ ఢుంఢే। ద్వంద్వాగ్నిసింధో స్థిరభావకారిన్ వదంతమేవం త్యజత ప్రభీతాః। వినాయక జ్ఞానవిఘాతశత్రో పరాశరస్యాత్మజ విష్ణుపుత్ర। అనాదిపూజ్యాఖుగ సర్వపూజ్య వదంతమేవం త్యజత ప్రభీతాః। వైరించ్య…

கஜானன ஸ்தோத்திரம்

|| கஜானன ஸ்தோத்திரம் || கணேஶ ஹேரம்ப கஜானனேதி மஹோதர ஸ்வானுபவப்ரகாஶின்। வரிஷ்ட ஸித்திப்ரிய புத்திநாத வதந்தமேவம் த்யஜத ப்ரபீதா꞉। அனேகவிக்னாந்தக வக்ரதுண்ட ஸ்வஸஞ்ஜ்ஞவாஸிம்ஶ்ச சதுர்புஜேதி। கவீஶ தேவாந்தகநாஶகாரின் வதந்தமேவம் த்யஜத ப்ரபீதா꞉। மஹேஶஸூனோ கஜதைத்யஶத்ரோ வரேண்யஸூனோ விகட த்ரிநேத்ர। பரேஶ ப்ருத்வீதர ஏகதந்த வதந்தமேவம் த்யஜத ப்ரபீதா꞉। ப்ரமோத மேதேதி நராந்தகாரே ஷடூர்மிஹந்தர்கஜகர்ண டுண்டே। த்வந்த்வாக்நிஸிந்தோ ஸ்திரபாவகாரின் வதந்தமேவம் த்யஜத ப்ரபீதா꞉। விநாயக ஜ்ஞானவிகாதஶத்ரோ பராஶரஸ்யாத்மஜ விஷ்ணுபுத்ர। அநாதிபூஜ்யாகுக ஸர்வபூஜ்ய வதந்தமேவம் த்யஜத ப்ரபீதா꞉। வைரிஞ்ச்ய…

गजानन स्तोत्र

|| गजानन स्तोत्र || गणेश हेरम्ब गजाननेति महोदर स्वानुभवप्रकाशिन्। वरिष्ठ सिद्धिप्रिय बुद्धिनाथ वदन्तमेवं त्यजत प्रभीताः। अनेकविघ्नान्तक वक्रतुण्ड स्वसंज्ञवासिंश्च चतुर्भुजेति। कवीश देवान्तकनाशकारिन् वदन्तमेवं त्यजत प्रभीताः। महेशसूनो गजदैत्यशत्रो वरेण्यसूनो विकट त्रिनेत्र। परेश पृथ्वीधर एकदन्त वदन्तमेवं त्यजत प्रभीताः। प्रमोद मेदेति नरान्तकारे षडूर्मिहन्तर्गजकर्ण ढुण्ढे। द्वन्द्वाग्निसिन्धो स्थिरभावकारिन् वदन्तमेवं त्यजत प्रभीताः। विनायक ज्ञानविघातशत्रो पराशरस्यात्मज विष्णुपुत्र। अनादिपूज्याखुग सर्वपूज्य वदन्तमेवं त्यजत प्रभीताः। वैरिञ्च्य…

ಗಜಾನನ ಸ್ತೋತ್ರ

 || ಗಜಾನನ ಸ್ತೋತ್ರ || ಗಣೇಶ ಹೇರಂಬ ಗಜಾನನೇತಿ ಮಹೋದರ ಸ್ವಾನುಭವಪ್ರಕಾಶಿನ್। ವರಿಷ್ಠ ಸಿದ್ಧಿಪ್ರಿಯ ಬುದ್ಧಿನಾಥ ವದಂತಮೇವಂ ತ್ಯಜತ ಪ್ರಭೀತಾಃ। ಅನೇಕವಿಘ್ನಾಂತಕ ವಕ್ರತುಂಡ ಸ್ವಸಂಜ್ಞವಾಸಿಂಶ್ಚ ಚತುರ್ಭುಜೇತಿ। ಕವೀಶ ದೇವಾಂತಕನಾಶಕಾರಿನ್ ವದಂತಮೇವಂ ತ್ಯಜತ ಪ್ರಭೀತಾಃ। ಮಹೇಶಸೂನೋ ಗಜದೈತ್ಯಶತ್ರೋ ವರೇಣ್ಯಸೂನೋ ವಿಕಟ ತ್ರಿನೇತ್ರ। ಪರೇಶ ಪೃಥ್ವೀಧರ ಏಕದಂತ ವದಂತಮೇವಂ ತ್ಯಜತ ಪ್ರಭೀತಾಃ। ಪ್ರಮೋದ ಮೇದೇತಿ ನರಾಂತಕಾರೇ ಷಡೂರ್ಮಿಹಂತರ್ಗಜಕರ್ಣ ಢುಂಢೇ। ದ್ವಂದ್ವಾಗ್ನಿಸಿಂಧೋ ಸ್ಥಿರಭಾವಕಾರಿನ್ ವದಂತಮೇವಂ ತ್ಯಜತ ಪ್ರಭೀತಾಃ। ವಿನಾಯಕ ಜ್ಞಾನವಿಘಾತಶತ್ರೋ ಪರಾಶರಸ್ಯಾತ್ಮಜ ವಿಷ್ಣುಪುತ್ರ। ಅನಾದಿಪೂಜ್ಯಾಖುಗ ಸರ್ವಪೂಜ್ಯ ವದಂತಮೇವಂ ತ್ಯಜತ ಪ್ರಭೀತಾಃ। ವೈರಿಂಚ್ಯ…

വിഘ്നരാജ സ്തോത്രം

|| വിഘ്നരാജ സ്തോത്രം || കപില ഉവാച – നമസ്തേ വിഘ്നരാജായ ഭക്താനാം വിഘ്നഹാരിണേ। അഭക്താനാം വിശേഷേണ വിഘ്നകർത്രേ നമോ നമഃ॥ ആകാശായ ച ഭൂതാനാം മനസേ ചാമരേഷു തേ। ബുദ്ധ്യൈരിന്ദ്രിയവർഗേഷു വിവിധായ നമോ നമഃ॥ ദേഹാനാം ബിന്ദുരൂപായ മോഹരൂപായ ദേഹിനാം। തയോരഭേദഭാവേഷു ബോധായ തേ നമോ നമഃ॥ സാംഖ്യായ വൈ വിദേഹാനാം സംയോഗാനാം നിജാത്മനേ। ചതുർണാം പഞ്ചമായൈവ സർവത്ര തേ നമോ നമഃ॥ നാമരൂപാത്മകാനാം വൈ ശക്തിരൂപായ തേ നമഃ। ആത്മനാം രവയേ തുഭ്യം ഹേരംബായ…

విఘ్నరాజ స్తోత్రం

|| విఘ్నరాజ స్తోత్రం || కపిల ఉవాచ – నమస్తే విఘ్నరాజాయ భక్తానాం విఘ్నహారిణే। అభక్తానాం విశేషేణ విఘ్నకర్త్రే నమో నమః॥ ఆకాశాయ చ భూతానాం మనసే చామరేషు తే। బుద్ధ్యైరింద్రియవర్గేషు వివిధాయ నమో నమః॥ దేహానాం బిందురూపాయ మోహరూపాయ దేహినాం। తయోరభేదభావేషు బోధాయ తే నమో నమః॥ సాంఖ్యాయ వై విదేహానాం సంయోగానాం నిజాత్మనే। చతుర్ణాం పంచమాయైవ సర్వత్ర తే నమో నమః॥ నామరూపాత్మకానాం వై శక్తిరూపాయ తే నమః। ఆత్మనాం రవయే తుభ్యం హేరంబాయ…

விக்னராஜ ஸ்தோத்திரம்

|| விக்னராஜ ஸ்தோத்திரம் || கபில உவாச – நமஸ்தே விக்னராஜாய பக்தானாம் விக்னஹாரிணே। அபக்தானாம் விஶேஷேண விக்னகர்த்ரே நமோ நம꞉॥ ஆகாஶாய ச பூதானாம் மனஸே சாமரேஷு தே। புத்த்யைரிந்த்ரியவர்கேஷு விவிதாய நமோ நம꞉॥ தேஹானாம் பிந்துரூபாய மோஹரூபாய தேஹினாம்। தயோரபேதபாவேஷு போதாய தே நமோ நம꞉॥ ஸாங்க்யாய வை விதேஹானாம் ஸம்யோகானாம் நிஜாத்மனே। சதுர்ணாம் பஞ்சமாயைவ ஸர்வத்ர தே நமோ நம꞉॥ நாமரூபாத்மகானாம் வை ஶக்திரூபாய தே நம꞉। ஆத்மனாம் ரவயே துப்யம் ஹேரம்பாய…

ವಿಘ್ನರಾಜ ಸ್ತೋತ್ರ

|| ವಿಘ್ನರಾಜ ಸ್ತೋತ್ರ || ಕಪಿಲ ಉವಾಚ – ನಮಸ್ತೇ ವಿಘ್ನರಾಜಾಯ ಭಕ್ತಾನಾಂ ವಿಘ್ನಹಾರಿಣೇ। ಅಭಕ್ತಾನಾಂ ವಿಶೇಷೇಣ ವಿಘ್ನಕರ್ತ್ರೇ ನಮೋ ನಮಃ॥ ಆಕಾಶಾಯ ಚ ಭೂತಾನಾಂ ಮನಸೇ ಚಾಮರೇಷು ತೇ। ಬುದ್ಧ್ಯೈರಿಂದ್ರಿಯವರ್ಗೇಷು ವಿವಿಧಾಯ ನಮೋ ನಮಃ॥ ದೇಹಾನಾಂ ಬಿಂದುರೂಪಾಯ ಮೋಹರೂಪಾಯ ದೇಹಿನಾಂ। ತಯೋರಭೇದಭಾವೇಷು ಬೋಧಾಯ ತೇ ನಮೋ ನಮಃ॥ ಸಾಂಖ್ಯಾಯ ವೈ ವಿದೇಹಾನಾಂ ಸಂಯೋಗಾನಾಂ ನಿಜಾತ್ಮನೇ। ಚತುರ್ಣಾಂ ಪಂಚಮಾಯೈವ ಸರ್ವತ್ರ ತೇ ನಮೋ ನಮಃ॥ ನಾಮರೂಪಾತ್ಮಕಾನಾಂ ವೈ ಶಕ್ತಿರೂಪಾಯ ತೇ ನಮಃ। ಆತ್ಮನಾಂ ರವಯೇ ತುಭ್ಯಂ ಹೇರಂಬಾಯ…

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || एक समय राक्षसराज रावण कैलास पर्वत पर भक्तिभावपूर्वक भगवान शिव की आराधना कर रहा था। बहुत दिनों तक आराधना करने के बाद भी जब भगवान शिव उस पर प्रसन्न नहीं हुए, तब वह दूसरी विधि से तप-साधना करने लगा। उसने हिमालय पर्वत से दक्षिण की ओर सघन वृक्षों…

विघ्नराज स्तोत्र

|| विघ्नराज स्तोत्र || कपिल उवाच – नमस्ते विघ्नराजाय भक्तानां विघ्नहारिणे। अभक्तानां विशेषेण विघ्नकर्त्रे नमो नमः।। आकाशाय च भूतानां मनसे चामरेषु ते। बुद्ध्यैरिन्द्रियवर्गेषु विविधाय नमो नमः।। देहानां बिन्दुरूपाय मोहरूपाय देहिनाम्। तयोरभेदभावेषु बोधाय ते नमो नमः।। साङ्ख्याय वै विदेहानां संयोगानां निजात्मने। चतुर्णां पञ्चमायैव सर्वत्र ते नमो नमः।। नामरूपात्मकानां वै शक्तिरूपाय ते नमः। आत्मनां रवये तुभ्यं हेरम्बाय…

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