मरणकण्डिका एक प्राचीन हिंदू ग्रंथ है, जो विशेष रूप से अंतिम संस्कार के समय किए जाने वाले कर्मकांड और विधियों का वर्णन करता है। इस ग्रंथ का उपयोग मुख्य रूप से उन पंडितों और व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, जो पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।
मरणकण्डिका का मुख्य उद्देश्य मृत आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए सही प्रक्रिया का मार्गदर्शन देना है। इसमें मृत्यु के पश्चात किए जाने वाले सभी अनुष्ठानों, जैसे- अंतिम संस्कार, तर्पण, श्राद्ध, और पिंडदान आदि की विधि को विस्तार से समझाया गया है।
मरणकण्डिका ग्रंथ मुख्य विषय
- इसमें बताया गया है कि मृत्यु के बाद शरीर का संस्कार किस प्रकार करना चाहिए, जैसे शव को स्नान कराना, घी और लकड़ी का उपयोग, अग्नि संस्कार आदि।
- इसमें तर्पण और पिंडदान की प्रक्रिया का उल्लेख है, जिसमें मृत आत्मा को जल और अन्न अर्पण कर उसकी तृप्ति की जाती है।
- श्राद्ध विधि के माध्यम से पितरों की आत्मा की शांति के लिए कर्मकांड किए जाते हैं।
- मरणकण्डिका में ऐसे मंत्र और श्लोक शामिल हैं, जो आत्मा की मुक्ति और शांति के लिए उपयोग किए जाते हैं।