शिव-तन्त्र रहस्य पुस्तक, जो ‘काश्मीर-शैवदर्शन’ के प्रमुख आचार्य उत्पलदेव की महान कृति ‘ईश्वरप्रत्यभिज्ञाकारिका’ और आचार्य अभिनवगुप्त की व्याख्या ‘विमर्शिनी’ पर आधारित है, में ‘शिव’ का अद्वितीय योगदान और उसकी सत्ता का महत्व बताया गया है। काश्मीर-शैवदर्शन अद्वैतवादी दर्शन को समझाता है, जो जगत को मोक्षप्राप्ति का साधन मानता है, न कि मिथ्या। नर देह, शिव से संपर्क बनाने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
इस पुस्तक में काश्मीर-शैवदर्शन के तत्व और ज्ञान को सरलता से समझाने का प्रयास किया गया है। परमशिव स्वयं को बंधनमुक्त कर, प्रत्यभिज्ञान के द्वारा अनुभव करते हैं। यह अद्वितीयता इस दर्शन को अलग बनाती है, जो किसी अन्य जगह नहीं मिलती। काश्मीरशैवदर्शन केवल अध्ययन नहीं कराता, बल्कि अनुभव और साधना की ओर भी ले जाता है। यह पुस्तक ‘ईश्वरप्रत्यभिज्ञा’ और ‘विमर्शिनी’ के संदर्भ में गहराई से चर्चा करती है।