महर्षि वाल्मिकी द्वारा रचित आनंद रामायण में प्रभु श्री राम के द्वारा रावण का वध तथा भगवान श्री रामचंद्र के उत्तर लीलाचरित्र का वर्णन करती हैं। इस रामायण में नौ कांड है। इसमे सार कांड, यात्रा कांड, याग कांड, विलास कांड, जन्म कांड, विवाह कांड, राज्य कांड, मनोहर कांड तथा पूर्ण कांड है। यह कथा राम कृष्ण की एकता का उदाहरण है।
आनंद रामायण में 12,323 श्लोक हैं जो विभिन्न धर्मों के 100 से अधिक श्लोकों में फैले हुए हैं। इसमें 109 सर्ग या अध्याय हैं, जो नौ कांडों या पुस्तकों में समाहित हैं।
आनंद रामायण के कांड
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- सार कांड (सारांश की पुस्तक): यह खंड भगवान राम की लौकिक उत्पत्ति से शुरू होता है। यह भगवान विष्णु के राम के रूप में दिव्य अवतार का विवरण देता है।
- यात्रा काण्ड (आनन्द की पुस्तक) : अपने नाम के अनुरूप, मनोहर काण्ड राम के जीवन की तीर्थ यात्रा पर केंद्रित है।
- याग काण्ड (यज्ञ की पुस्तक): यह पुस्तक श्री राम द्वारा किए गए विभिन्न यज्ञों (अनुष्ठानों) का वर्णन करती है।
- विलास कांड (आनंद की पुस्तक) : इसमें रामस्तवराज, देह रामायण और कुछ अन्य दुर्लभ कहानियाँ हैं।
- जन्म काण्ड (जन्म की पुस्तक) : लव और कुश के जन्म के बारे में कहानियाँ।
- विवाह काण्ड (दिव्य विवाह की पुस्तक): इस खंड में लव और कुश के विवाह की कहानियाँ हैं।
- राज्य काण्ड (राजा का ग्रन्थ) : यह दो भागों में विभाजित है – पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध।
- मनोहर कांड (आनंद की पुस्तक):
- पूर्णकाण्ड (पूर्णता की पुस्तक):
- सार कांड (सारांश की पुस्तक): यह खंड भगवान राम की लौकिक उत्पत्ति से शुरू होता है। यह भगवान विष्णु के राम के रूप में दिव्य अवतार का विवरण देता है।