Hindu Scriptures

Atharvaved Part 1 (अथर्ववेद – भाग 1)

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अथर्ववेद हिंदू धर्म के चार प्रमुख वेदों में से एक है। यह वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, और सामवेद से अलग है क्योंकि इसमें धार्मिक और आध्यात्मिक मंत्रों के साथ-साथ जादू-टोना, औषधि, स्वास्थ्य, और दैनिक जीवन से संबंधित विभिन्न विषयों का विस्तृत वर्णन है। अथर्ववेद को “ब्राह्मणों का वेद” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें धार्मिक अनुष्ठानों और कर्मकांडों का विस्तृत वर्णन है।

अथर्ववेद की रचना का श्रेय ऋषि अथर्वा और ऋषि अंगिरा को दिया जाता है। इसमें कुल 20 कांड (अध्याय), 730 सूक्त (स्तुतियाँ), और लगभग 6,000 मंत्र शामिल हैं।

अथर्ववेद – भाग 1 के प्रमुख विषय

  • अथर्ववेद में जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, और विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों का विस्तृत वर्णन है। इसमें विभिन्न प्रकार की बुरी आत्माओं और दुष्ट शक्तियों को दूर करने के लिए मंत्र और उपाय बताए गए हैं।
  • अथर्ववेद में विभिन्न रोगों के उपचार, औषधियों, और जड़ी-बूटियों का वर्णन है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार प्राकृतिक औषधियों का उपयोग करके विभिन्न रोगों का उपचार किया जा सकता है।
  • अथर्ववेद में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और यज्ञों का विस्तृत वर्णन है। इसमें अग्निहोत्र, सोमयज्ञ, और अन्य प्रमुख यज्ञों के लिए उपयुक्त मंत्र और विधियों का संकलन है।
  • अथर्ववेद में धर्म, नैतिकता, और कर्तव्यों का भी वर्णन है। इसमें मनुष्य के जीवन के विभिन्न चरणों के नियम, आचार-विचार, और सामाजिक कर्तव्यों का उल्लेख है। इसमें सत्कर्म, सत्य, अहिंसा, और दान की महिमा का वर्णन किया गया है।
  • अथर्ववेद में प्रकृति के विभिन्न तत्वों और ब्रह्मांड के निर्माण का वर्णन है। इसमें सूर्य, चंद्रमा, नक्षत्र, पृथ्वी, जल और वायु के महत्व और उनकी महिमा का वर्णन मिलता है।
  • अथर्ववेद में आत्मा की शुद्धि, मन की शांति, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए विभिन्न साधनों का उल्लेख है। इसमें ध्यान, प्रार्थना, और योगिक क्रियाओं का विस्तृत वर्णन है।

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