भृगुसंहिता ज्योतिष का एक संस्कृत ग्रन्थ है। इसके रचयिता महर्षि भृगु हैं जो वैदिक काल के सात ऋषियों में से एक हैं। भृगु संहिता महर्षि भृगु और उनके पुत्र शुक्राचार्य के बीच संपन्न हुए वार्तालाप के रूप में है। उसकी भाषा-शैली गीता में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के मध्य हुए संवाद जैसी है।
इस भृगु संहिता में आज के युग अनुरूप फलादेश को लिखने का प्रयास किया गया है, जिससे वर्तमान काल के पाठकों के लिए इस जीवन के भविष्य में घटने वाली घटनाओं और समस्याओं को जानने, समझने तथा उन्हें सुलझानें के प्रयासों में सफलता अवश्य मिलेगी। यहां कई प्रकार के वर्तमान विषयों का स्पर्श किया गया है। प्रत्येक ग्रह के भावगत् वर्णन में उसे सहजता से समझा जा सकता है। कई प्रकार के व्यवसायिक योग स्पष्ट किए गए हैं, जिनके अध्ययन से जातक को अपने भविष्य की रूपरेखा बनाने में सफलता मिलेगी। आशा है कि पाठक वर्ग इस नवीन भृगु संहिता से ज्योतिष संबंधी अपेक्षित ज्ञान प्राप्त करेंगे।