गणेश पुराण हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक है, जिसमें भगवान गणेश की महिमा, उनके जीवन की कथाएँ, और उनकी उपासना से संबंधित गूढ़ ज्ञान का वर्णन किया गया है। यह पुराण दो खंडों में विभाजित है: उपासना खंड और क्रीड़ा खंड।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, शुभकर्ता और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, और इस पुराण में उनकी पूजा की विधियों, उनके विभिन्न अवतारों और भक्तों को प्राप्त होने वाले फलों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
गणेश पुराण के प्रमुख विषय
- इस खंड में भगवान गणेश की पूजा के महत्व और विधियों का वर्णन है। इसमें बताया गया है कि कैसे भगवान गणेश की उपासना से मनुष्य जीवन के सभी संकटों से मुक्ति पा सकता है और समृद्धि प्राप्त कर सकता है। उपासना खंड में गणेश चतुर्थी व्रत, गणेश मंत्र, और गणेश यज्ञ का महत्व भी बताया गया है।
- क्रीड़ा खंड में भगवान गणेश के विभिन्न लीलाओं और अवतारों का वर्णन किया गया है। भगवान गणेश ने विभिन्न समयों पर अलग-अलग रूपों में अवतार लेकर अपने भक्तों की रक्षा की और धर्म की स्थापना की। इस खंड में उनकी बाल लीलाओं से लेकर उनके युद्ध कौशल का भी उल्लेख है।
- गणेश पुराण में भगवान गणेश के चार प्रमुख अवतारों का वर्णन है: महोत्कट विनायक, मयूरविनायक, धूम्रवर्ण और गजानन। इन अवतारों के माध्यम से उन्होंने विभिन्न असुरों का विनाश कर धर्म की पुनर्स्थापना की।
- गणेश पुराण में भगवान गणेश के भक्तों की प्रेरणादायक कथाएँ भी मिलती हैं, जिनमें उनके भक्तों की भक्ति, समर्पण, और भगवान गणेश की कृपा से उन्हें प्राप्त वरदानों का उल्लेख है। इन कथाओं में भक्तों के जीवन में भगवान गणेश की प्रमुख भूमिका का वर्णन किया गया है।
- गणेश पुराण में भगवान गणेश को ज्ञान के देवता के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनकी साधना से व्यक्ति आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। इसमें गणेश मंत्रों और स्तोत्रों का महत्व भी बताया गया है, जो साधक की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होते हैं।