गायत्री संहिता एक अद्भुत स्तोत्र है जो देवी गायत्री को समर्पित है। देवी गायत्री को वेदमाता गायत्री के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और यह जनेऊ संस्कार जैसे विशेष अवसरों पर भी बहुत महत्व रखता है।
गायत्री संहिता का महत्व
श्री गायत्री मंत्र के प्रभाव से मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी प्रकार की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। इसके पाठ से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि आप भी अपनी ज़िंदगी में श्री गायत्री माता की कृपा चाहते हैं, तो श्री गायत्री संहिता का पाठ अवश्य करें।
गायत्री संहिता की विषय-वस्तु
- गायत्री मंत्र की उत्पत्ति ऋग्वेद में मानी जाती है। यह मंत्र ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रिगुणात्मक स्वरूपों का समावेश करता है।
- गायत्री को वेदमाता कहा गया है। उसे सावित्री, संध्या, और सरस्वती के रूप में भी जाना जाता है।
- संहिता में बताया गया है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद शुद्ध आसन पर बैठकर नियमपूर्वक गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। विशेष रूप से 108 बार जप करना अत्यंत फलदायी होता है।
- संहिता में ध्यान की विधियाँ दी गई हैं जो मंत्र को केवल जप न बनाकर आत्मा की अनुभूति बनाती हैं। यह मंत्र हमारे बुद्धि, चित्त और आत्मा को प्रबुद्ध करता है।
गायत्री संहिता के लाभ
- यह संहिता बताती है कि नियमित जप से व्यक्ति की विवेक शक्ति जाग्रत होती है।
- गायत्री मंत्र आत्मा को शुद्ध कर ब्रह्म से एकाकार करने की शक्ति रखता है।
- यह चित्त के विकारों को दूर कर शांति और संतुलन प्रदान करता है।
- संहिता के अनुसार, यह मंत्र पापों का नाश करता है और जीवन में धनात्मक ऊर्जा का संचार करता है।