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ईश्वर का विराट रूप (Ishvar Ka Virat Rup)

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पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित पुस्तक “ईश्वर का विराट रूप” आध्यात्मिकता, दर्शन और ईश्वर के अनंत स्वरूप को समझने का एक उत्कृष्ट साधन है। इस पुस्तक में ईश्वर के सार्वभौमिक, सर्वव्यापी और विराट रूप को सहज, तर्कसंगत और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है जो ईश्वर के व्यापक स्वरूप को जानने और अपने जीवन में उसकी अनुभूति करने की आकांक्षा रखता है।

ईश्वर का विराट रूप पुस्तक की विशेषताएँ

  • इस पुस्तक में ईश्वर के विराट रूप का वर्णन करते हुए इसे प्रकृति, ब्रह्मांड, जीव-जगत और आत्मा से जोड़ा गया है। यह बताया गया है कि ईश्वर केवल मंदिरों, मूर्तियों या पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि वह सम्पूर्ण सृष्टि में विद्यमान है।
  • पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने ईश्वर को समझाने के लिए आध्यात्मिकता के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाया है। उन्होंने ब्रह्मांड के रहस्यों, प्रकृति के नियमों और ईश्वर की सर्वव्यापकता का वैज्ञानिक आधार पर वर्णन किया है।
  • यह पुस्तक पाठकों को यह सिखाती है कि ईश्वर को केवल एक अवधारणा के रूप में न मानें, बल्कि उसे अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में आत्मसात करें। ईश्वर के विराट रूप को समझकर हम अपने जीवन को संतुलित, शांतिपूर्ण और उन्नत बना सकते हैं।
  • इस ग्रंथ में भक्ति और ज्ञान का अद्भुत संतुलन दिखाया गया है। यह न केवल ईश्वर की भक्ति की महिमा को बताता है, बल्कि ईश्वर को समझने और उनके साथ तादात्म्य स्थापित करने के लिए ज्ञान का महत्व भी दर्शाता है।
  • पुस्तक में ईश्वर को धर्म, जाति, और भौगोलिक सीमाओं से परे बताया गया है। यह सार्वभौमिकता का संदेश देती है और मानवता के प्रति एकता, करुणा और प्रेम को बढ़ावा देती है।

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