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कृष्णाश्रयस्तोत्रम् (Krishnashrayastotram)

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कृष्णाश्रयस्तोत्रम् महान वैष्णव संत और आचार्य वल्लभाचार्य द्वारा रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह ग्रंथ भगवान श्रीकृष्ण के प्रति पूर्ण भक्ति और समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। वल्लभाचार्य ने इसे अपनी भावनाओं और भक्ति को व्यक्त करने के लिए लिखा, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप, गुण, और कृपा का सुंदर वर्णन किया गया है।

वल्लभाचार्य (1479-1531) भक्ति आंदोलन के महान संत और पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक थे। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति को सरल और सुलभ बनाया। उनकी रचनाएँ भक्ति और दर्शन का अनूठा संगम हैं। “कृष्णाश्रयस्तोत्रम्” उनकी भक्ति और ज्ञान का एक अद्वितीय उदाहरण है। “कृष्णाश्रयस्तोत्रम्” भगवान श्रीकृष्ण की शरणागति का महत्व और उनके प्रति अटूट प्रेम और विश्वास को दर्शाता है। इसमें यह बताया गया है कि मनुष्य कैसे अपनी सभी परेशानियों और मोह-माया से मुक्ति पाकर भगवान कृष्ण की शरण में आ सकता है।

कृष्णाश्रयस्तोत्रम् मुख्य विशेषताएँ

  • यह स्तोत्र भक्ति मार्ग का आदर्श प्रस्तुत करता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में शरण लेने और उनके प्रति पूर्ण समर्पण की महत्ता को दर्शाया गया है।
  • “कृष्णाश्रयस्तोत्रम्” में श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों, उनके अद्भुत गुणों, और उनकी कृपा का वर्णन मिलता है, जो पाठक को भक्ति की गहराई में ले जाता है।
  • वल्लभाचार्य इस ग्रंथ में बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आने से मनुष्य अपने सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
  • इस ग्रंथ की भाषा सरल, सुमधुर, और भावनात्मक है, जिससे हर व्यक्ति इसे आसानी से समझ सकता है और आत्मसात कर सकता है।

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