भारतीय संस्कृति में त्योहार केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ हमारे गहरे संबंध का प्रतीक हैं। दुर्गा पूजा और नवरात्रि का आगमन ऐसे ही एक विशेष पर्व, “नवपत्रिका पूजा” (Navpatrika Puja) के साथ होता है। यह पूजा, जिसमें नौ तरह के पौधों और पत्तियों का उपयोग होता है, प्रकृति को देवी शक्ति के रूप में पूजने का एक अनूठा तरीका है। अक्सर लोग इसे केवल एक अनुष्ठान मानते हैं, लेकिन इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और सामाजिक महत्व छिपा है। इस ब्लॉग में हम 2025 की नवपत्रिका पूजा की विधि, इसके महत्व और इसके पीछे के रहस्यों को विस्तार से जानेंगे।
नवपत्रिका क्या है? नौ पत्तियों का दिव्य स्वरूप
“नवपत्रिका” (Navpatrika), जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘नौ पत्तियां’, वास्तव में नौ पौधों का समूह है। इन पौधों को देवी दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। हर पौधा किसी न किसी देवी का प्रतिनिधित्व करता है, और इन सबको मिलाकर महालक्ष्मी के स्वरूप में पूजा जाता है।
नवपत्रिका में शामिल नौ पौधे और उनका महत्व
- केला (Banana Plant) – इसे ‘ब्राह्मणी’ के रूप में पूजा जाता है। यह देवी महालक्ष्मी का प्रतीक है और सुख-शांति प्रदान करता है।
- अरबी या कच्चू (Colocasia) – इसे ‘कालिका’ का स्वरूप माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर शुद्धता लाता है।
- हल्दी (Turmeric) – इसे ‘दुर्गा’ के रूप में पूजा जाता है। हल्दी शुभता और आरोग्य का प्रतीक है।
- जौ (Barley) – यह ‘कार्तिकी’ का प्रतीक है, जो अन्न और समृद्धि को दर्शाता है।
- बिल्व पत्र (Wood Apple Leaf) – इसे ‘शिवा’ के रूप में पूजा जाता है। यह ज्ञान और मोक्ष प्रदान करता है।
- अनार (Pomegranate) – यह ‘रक्तदंतिका’ का प्रतीक है और शक्ति एवं ऊर्जा का संचार करता है।
- अशोक (Ashoka Tree) – इसे ‘शोकहरिणी’ के रूप में पूजा जाता है, जो दुखों और कष्टों को हरती है।
- मान कंद (Maan Kochu) – इसे ‘चामुंडा’ का प्रतीक माना जाता है। यह शक्ति और सामर्थ्य को बढ़ाता है।
- धान या चावल की बाली (Paddy) – इसे ‘महालक्ष्मी’ का स्वरूप माना जाता है, जो धन-धान्य और समृद्धि लाती है।
इन नौ पौधों को एक साथ बांधकर, उन्हें लाल कपड़े से ढककर, देवी दुर्गा की मूर्ति के दाहिने ओर स्थापित किया जाता है।
नवपत्रिका पूजा 2025 – तिथि और शुभ मुहूर्त
नवपत्रिका पूजा (Nabapatrika Puja) आमतौर पर दुर्गा पूजा के पहले दिन, यानी महालया के बाद, महाषष्ठी के दिन की जाती है। यह दिन नवरात्रि के छठे दिन भी हो सकता है, जब देवी दुर्गा की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है।
नवपत्रिका पूजा विधि
नवपत्रिका पूजा का अनुष्ठान अत्यंत पवित्र और भक्तिपूर्ण होता है।
- पूजा से एक दिन पहले, सभी नौ पौधों को उनके मूल स्थान से इकट्ठा करें। ध्यान रखें कि पत्ते साफ और अक्षत हों।
- महाषष्ठी के दिन, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
- एक-एक करके सभी नौ पौधों को एक साथ बांधें। उन्हें लाल या पीले रंग के धागे से कसकर लपेटें।
- नवपत्रिका को नदी या तालाब के किनारे ले जाकर पवित्र स्नान कराएं। यह प्रतीकात्मक रूप से देवी को स्नान कराने का अनुष्ठान है। यदि नदी पास न हो तो घर में ही एक पात्र में जल भरकर स्नान कराएं।
- स्नान के बाद, नवपत्रिका को नए, स्वच्छ लाल कपड़े से ढक दें।
- इसे दुर्गा माता की मूर्ति के दाहिने ओर स्थापित करें।
- कलश स्थापना के बाद, नवपत्रिका की पूजा शुरू करें। फूल, बेलपत्र, चंदन, सिंदूर, धूप और दीप से इसकी पूजा करें। देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
नवपत्रिका पूजा का महत्व और वैज्ञानिक रहस्य
यह पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसके कई गहरे मायने हैं:
- प्रकृति संरक्षण का संदेश (Message of Nature Conservation) – यह पूजा हमें सिखाती है कि प्रकृति ही हमारी पोषणकर्ता है। पेड़-पौधे और वनस्पतियां ही हमारी देवी हैं, जिनकी पूजा और रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
- वैज्ञानिक महत्व (Scientific Significance) – इन नौ पौधों में से कई औषधीय गुण (Medicinal Properties) रखते हैं। जैसे हल्दी एंटी-बैक्टीरियल है, बिल्वपत्र पाचन में सहायक है, और अशोक तनाव कम करता है। यह पूजा एक तरह से इन औषधीय पौधों के प्रति सम्मान व्यक्त करती है।
- देवी शक्ति का प्रतीक – हर पौधा देवी के एक विशिष्ट स्वरूप को दर्शाता है। इस प्रकार, इन सबकी पूजा से हम देवी की संपूर्ण शक्ति को एक साथ आह्वान करते हैं, जिससे हमें संपूर्णता का आशीर्वाद मिलता है।
- कृषि का सम्मान (Respect for Agriculture) – भारत एक कृषि प्रधान देश है। इस पूजा में जौ और धान जैसी फसलों का उपयोग, कृषि और किसानों के प्रति सम्मान को दर्शाता है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारा जीवन अन्न पर ही निर्भर है।
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