रावण संहिता एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो राजा रावण द्वारा रचित माना जाता है। यह ग्रंथ ज्योतिष, तंत्र, मंत्र, आयुर्वेद, और विभिन्न प्रकार की विद्या का अद्वितीय संग्रह है। रावण संहिता का पहला भाग इन विषयों के आधारभूत सिद्धांतों और उपयोगी जानकारी का विस्तृत वर्णन करता है।
रावण, जो लंका का राजा और एक महान विद्वान था, ने अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर रावण संहिता की रचना की। यह ग्रंथ विभिन्न विद्या और विज्ञान की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, जो आज भी प्रासंगिक और उपयोगी है।
रावण संहिता के प्रमुख विषय
- रावण संहिता के पहले भाग में ज्योतिष विज्ञान का विस्तृत वर्णन है। इसमें ग्रहों की चाल, नक्षत्रों का प्रभाव, और कुंडली के विश्लेषण के सिद्धांत शामिल हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के योग, दशा, और गोचर का भी विस्तृत वर्णन है।
- रावण संहिता में तंत्र और मंत्र विद्या का भी महत्वपूर्ण स्थान है। इसमें विभिन्न प्रकार के तंत्र-मंत्र, उनके उपयोग, और उनकी शक्तियों का वर्णन है। इसमें तंत्र के माध्यम से समस्याओं के समाधान और इच्छाओं की पूर्ति के उपाय बताए गए हैं।
- रावण संहिता के पहले भाग में आयुर्वेद का भी विस्तृत वर्णन है। इसमें विभिन्न प्रकार की औषधियाँ, जड़ी-बूटियाँ, और उनके उपयोग का विवरण है। इसमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के उपचार और स्वस्थ जीवन जीने के उपाय बताए गए हैं।
- रावण संहिता में धर्म, नैतिकता, और कर्तव्यों का भी वर्णन है। इसमें मनुष्य के जीवन के विभिन्न चरणों के नियम, आचार-विचार, और सामाजिक कर्तव्यों का उल्लेख है। इसमें सत्कर्म, सत्य, अहिंसा, और दान की महिमा का वर्णन किया गया है।
- रावण संहिता में सपनों का भी विशेष महत्व बताया गया है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार सपनों के माध्यम से व्यक्ति भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगा सकता है। इसमें सपनों के प्रकार और उनके प्रभाव का विस्तृत वर्णन है।
- रावण संहिता में तांत्रिक साधनाओं का भी विस्तृत वर्णन है। इसमें विभिन्न तांत्रिक विधियाँ, उनकी शक्तियाँ, और उनके उपयोग के नियम बताए गए हैं। इसमें तांत्रिक साधनाओं के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति के उपाय बताए गए हैं।