अभिषेक शब्द का अर्थ है “स्नान कराना”। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र, यानी भगवान शिव का अभिषेक करना। यह पवित्र स्नान शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के साथ किया जाता है।
रुद्राभिषेक एक शक्तिशाली अनुष्ठान है जो भगवान शिव को प्रसन्न करने और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने का एक उत्तम तरीका है।
रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है?
- रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार, शिव ही रुद्र हैं और रुद्र ही शिव हैं। वे हमारे सभी दुखों को दूर करते हैं।
- रुद्राभिषेक से जीवन में आने वाले संकटों और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
- यह भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक उत्तम तरीका है।
रुद्राभिषेक की पूर्ण विधि
- पूजा स्थल को साफ करें।
- शिवलिंग को स्थापित करें और उसे पंचामृत से स्नान कराएं।
- रुद्र मंत्रों का जाप करें या रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करें।
- रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृत्ति का पाठ किया जाता है। इसे ही लघु रुद्र कहा जाता है।
- यह पंचामृत से की जाने वाली पूजा है।
- इस पूजा को प्रभावशाली मंत्रों और शास्त्रोक्त विधि से विद्वान ब्राह्मण द्वारा संपन्न करवाया जाता है।
- भगवान शिव को फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
- भगवान शिव की आरती करें।
रुद्राभिषेक से लाभ
- जल से अभिषेक: हर तरह के दुखों से मुक्ति
- दूध से अभिषेक: भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्ति
- फलों के रस से अभिषेक: अखंड धन लाभ और कर्ज से मुक्ति
- सरसों के तेल से अभिषेक: ग्रह बाधा नाश
- चने की दाल से अभिषेक: शुभ कार्य का आरंभ और कार्य में उन्नति
- काले तिल से अभिषेक: तंत्र बाधा नाश और बुरी नजर से बचाव
- शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक: संतान प्राप्ति और पारिवारिक सुख-शांति
- घी व शहद से अभिषेक: रोगों का नाश और लंबी आयु
- कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक: आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति
रुद्राभिषेक कैसे करें
- जल से अभिषेक
- हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए।
- ताम्बे के पात्र में शुद्ध जल भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें।
- ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बांधें।
- दूध से अभिषेक
- शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए।
- ताम्बे के पात्र में दूध भर कर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
- ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बांधें।
- फलों का रस
- अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए।
- ताम्बे के पात्र में गन्ने का रस भर कर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
- ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बांधें।
- सरसों के तेल से अभिषेक
- ग्रहबाधा नाश हेतु।
- ताम्बे के पात्र में सरसों का तेल भर कर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
- ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बांधें।
- चने की दाल
- किसी भी शुभ कार्य के आरंभ व कार्य में उन्नति के लिए।
- ताम्बे के पात्र में चने की दाल भर कर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
- ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बांधें।
- काले तिल से अभिषेक
- तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए।
- ताम्बे के पात्र में काले तिल भर कर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
- ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बांधें।
- शहद मिश्रित गंगा जल
- संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु।
- ताम्बे के पात्र में शहद मिश्रित गंगा जल भर कर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
- ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बांधें।
- घी व शहद
- रोगों के नाश व लंबी आयु के लिए।
- ताम्बे के पात्र में घी व शहद भर कर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
- ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बांधें।
- कुमकुम केसर हल्दी
- आकर्षक व्यक्तित्व की प्राप्ति हेतु।
- ताम्बे के पात्र में कुमकुम, केसर, हल्दी और पंचामृत भर कर पात्र को चारों ओर से कुमकुम का तिलक करें।
- ॐ उमायै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बांधें।
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