भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व बताया गया है। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और शिव कृपा प्राप्त होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शास्त्रों में बेलपत्र चढ़ाने के कुछ विशेष नियम और निर्धारित संख्या बताई गई है? यदि इन नियमों का पालन किया जाए, तो पूजा अधिक फलदायी होती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने के सही नियम, उसकी संख्या और इससे जुड़ी शास्त्रीय मान्यताएँ क्या हैं।
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है और यह भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक सरल, लेकिन प्रभावी उपाय है। शास्त्रों में इसके स्पष्ट नियम और निर्धारित संख्या बताई गई है, जिनका पालन करके हम अपनी पूजा को अधिक फलदायी बना सकते हैं। यदि आप सच्चे मन से श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए बेलपत्र अर्पित करते हैं, तो निश्चित ही भगवान शिव की कृपा आप पर बनी रहेगी।
शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने का महत्व
बेलपत्र को अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। बेलपत्र का उल्लेख वेदों, पुराणों और आयुर्वेद में भी मिलता है। भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं, क्योंकि यह त्रिदल (तीन पत्तियों वाला) होता है, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही, यह तीन गुणों – सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण को भी दर्शाता है।
शास्त्रों के अनुसार बेलपत्र का महत्व
शिव पुराण, स्कंद पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में बेलपत्र के महत्व का वर्णन किया गया है। बेलपत्र को त्रिदोषनाशक माना जाता है और यह भगवान शिव के त्रिनेत्र का प्रतीक है। मान्यता है कि बेलपत्र में भगवान शिव का वास होता है और इसे अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
- स्कंद पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विधि-विधान से शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
- शिव महापुराण के अनुसार, यदि कोई बेलपत्र चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करता है, तो उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- लिंग पुराण में उल्लेख है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया बेलपत्र पुनः प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
बेलपत्र अर्पित करने के नियम
- बेलपत्र को सुबह या शाम को स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र धारण करके अर्पित करना चाहिए।
- बेलपत्र को शिवलिंग पर इस प्रकार अर्पित करें कि उसका चिकना भाग शिवलिंग की ओर रहे और खुरदरा भाग भक्त की ओर।
- शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पर 3, 5, 7 या 11 बेलपत्र अर्पित करना शुभ माना जाता है। आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार अधिक बेलपत्र भी अर्पित कर सकते हैं।
- बेलपत्र अर्पित करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए।
- बेलपत्र को कभी भी अशुद्ध हाथों से नहीं तोड़ना चाहिए।
- बेलपत्र को कीड़े लगे या कटे-फटे नहीं होना चाहिए।
- बेलपत्र को बासी नहीं होना चाहिए।
- बेलपत्र को तोड़ते समय पेड़ को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
- पति-पत्नी को एक साथ बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।
- बेलपत्र रविवार और अमावस्या को नहीं तोड़ना चाहिए।
- शास्त्रों के अनुसार, स्त्रियों को बेलपत्र तोड़ने की मनाही होती है।
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की संख्या – क्या कहती हैं शास्त्रीय मान्यताएँ?
शास्त्रों में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की संख्या भी बताई गई है। विभिन्न उद्देश्यों के लिए अलग-अलग संख्या में बेलपत्र अर्पित करने का विधान है।
- 1 बेलपत्र – सामान्य पूजा के लिए उपयुक्त
- 3 बेलपत्र – रज, तम और सत गुणों को संतुलित करने के लिए
- 5 बेलपत्र – पंच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) को संतुलित करने के लिए
- 7 बेलपत्र – रोगों से मुक्ति के लिए
- 11 बेलपत्र – सभी दोषों से मुक्ति के लिए
- 21 बेलपत्र – मनोकामना पूर्ति के लिए
- 27 बेलपत्र – विशेष सिद्धियों की प्राप्ति के लिए
- 51 बेलपत्र – आर्थिक समृद्धि और उन्नति के लिए
- 108 बेलपत्र – संपूर्ण कल्याण और मोक्ष प्राप्ति के लिए
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के लाभ
- यदि किसी व्यक्ति से जाने-अनजाने में पाप हो गए हों, तो शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से पापों का क्षय होता है।
- जो भी भक्त सच्चे मन से बेलपत्र चढ़ाता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु-केतु या अन्य ग्रह दोष हों, तो नियमित रूप से बेलपत्र चढ़ाने से इसका प्रभाव कम होता है।
- शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से मन को शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- यदि कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित है, तो उसे बेलपत्र अर्पण करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए, जिससे रोगों से मुक्ति मिलती है।
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