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नवदुर्गा की नवमी – माँ सिद्धिदात्री की कृपा से मिलती हैं 8 सिद्धियाँ, जानिए पूजन विधि, मंत्र और चमत्कारी लाभ

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नवरात्रि का नौवां दिन, जिसे नवमी कहा जाता है, आध्यात्मिक साधना का शिखर (peak) है। यह दिन माँ दुर्गा के नौवें और अंतिम स्वरूप माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। ‘सिद्धिदात्री’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘सिद्धि’ जिसका अर्थ है अलौकिक शक्ति और ‘दात्री’ जिसका अर्थ है देने वाली। इस तरह, माँ सिद्धिदात्री वह देवी हैं जो अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ (supernatural powers) प्रदान करती हैं। यह दिन न केवल नवरात्रि के समापन का प्रतीक है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि हमारी साधना अब पूर्ण हो चुकी है और हमें अपनी तपस्या का फल मिलने वाला है।

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप

माँ सिद्धिदात्री कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और उनके चार हाथ हैं। एक हाथ में चक्र (chakra), दूसरे में गदा (mace), तीसरे में शंख और चौथे में कमल का फूल होता है। वह शेर की सवारी करती हैं और उनके दिव्य स्वरूप से अद्भुत शांति और शक्ति का अनुभव होता है। उनका रंग लाल होता है, जो शक्ति, प्रेम और शुद्धता का प्रतीक है।
मान्यता है कि माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को न केवल मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि सभी सांसारिक सुख भी मिलते हैं।

माँ सिद्धिदात्री और 8 सिद्धियाँ

पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने भी माँ सिद्धिदात्री की पूजा करके ही अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व नामक आठ सिद्धियाँ प्राप्त की थीं। यही कारण है कि भगवान शिव का आधा शरीर देवी का है और उन्हें ‘अर्धनारीश्वर’ के रूप में जाना जाता है। आइए, इन आठ सिद्धियों को थोड़ा और समझते हैं:

  • अणिमा – शरीर को बहुत छोटा करने की शक्ति।
  • महिमा – शरीर को असीमित रूप से बड़ा करने की शक्ति।
  • गरिमा – शरीर का वजन बहुत भारी करने की शक्ति।
  • लघिमा – शरीर को बहुत हल्का करने की शक्ति, जिससे हवा में भी उड़ा जा सके।
  • प्राप्ति – कहीं भी पहुँचने की शक्ति, यहाँ तक कि दूसरे लोक में भी।
  • प्राकाम्य – इच्छानुसार कुछ भी प्राप्त करने की शक्ति।
  • ईशित्व – हर चीज़ पर नियंत्रण रखने की शक्ति।
  • वशित्व – सभी प्राणियों को अपने वश में करने की शक्ति।

ये सिद्धियाँ केवल आध्यात्मिक लाभ के लिए नहीं हैं। ये हमें हमारे जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की शक्ति और मानसिक स्थिरता भी प्रदान करती हैं।

नवमी के दिन की पूजन विधि

नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। यहाँ एक सरल और प्रभावी पूजन विधि दी गई है:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा शुरू करने से पहले देवी के सामने हाथ जोड़कर व्रत या पूजा का संकल्प लें।
  • माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र को एक साफ़ चौकी पर स्थापित करें।
  • उन्हें गुड़, हलवा, खीर, पूड़ी और नारियल का भोग लगाएं। ये सभी प्रसाद देवी को बहुत प्रिय हैं।
  • घी का दीपक जलाकर देवी के मंत्रों का जाप करें। यह मंत्र विशेष रूप से प्रभावी है: ‘ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नम:’ या ‘सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।। ‘
  • नवमी का दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) के लिए सबसे शुभ माना जाता है। 9 छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनके पैर धोएं, उन्हें भोजन कराएं और दक्षिणा व उपहार देकर उनका आशीर्वाद लें। यह पूजा आपकी साधना को पूर्ण करती है।
  • कई भक्त इस दिन हवन (Havan) भी करते हैं, जिसमें वे देवी के मंत्रों के साथ आहुति देते हैं।

नवमी के चमत्कारी लाभ

नवमी के दिन की गई पूजा और साधना से अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं:

  • माँ सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति के जीवन में कभी धन और सुख की कमी नहीं होती।
  • इस दिन की पूजा से शारीरिक और मानसिक रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • साधना करने वालों को सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • माँ की कृपा से सभी प्रकार के भय (fear) दूर होते हैं और व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • जीवन की बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान मिल जाता है।

यह दिन सिर्फ एक पूजा का दिन नहीं, बल्कि अपनी साधना के फल को पाने का दिन है। इसलिए, पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ सिद्धिदात्री की पूजा करें।

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