विनय-पत्रिका गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित एक महान भक्ति ग्रंथ है, जिसमें उन्होंने भगवान श्रीराम के चरणों में अपनी करुणा, भक्ति, और विनम्रता से भरे भावों को प्रस्तुत किया है। यह ग्रंथ रामभक्तों के लिए न केवल एक भक्ति स्रोत है, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा का मार्गदर्शक भी है।
विनय-पत्रिका क्या है?
‘विनय’ का अर्थ है – नम्र प्रार्थना या विनम्र निवेदन। ‘पत्रिका’ का अर्थ है – पत्र या निवेदन-पत्र।
इस प्रकार, विनय-पत्रिका एक ऐसा भक्तिपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें तुलसीदास जी ने भगवान श्रीराम के चरणों में अपने हृदय की पीड़ा, संसार की वेदना, आत्मग्लानि, और मुक्ति की प्रार्थना को अत्यंत भावुक शैली में प्रस्तुत किया है।
गोस्वामी तुलसीदास जी भक्तिकाल के महानतम संतों में गिने जाते हैं। उन्होंने रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, कवितावली, दोहावली, विनय-पत्रिका जैसी कई भक्तिमय रचनाएँ कीं। उनका संपूर्ण जीवन श्रीराम की भक्ति में समर्पित था।
विनय-पत्रिका की विशेषताएं
- भाषा – ब्रजभाषा
- कुल पद – लगभग 279
- रचना शैली – पद्य (कविता रूप)
- भाव – भक्ति, विनय, आत्मग्लानि, समर्पण
- प्रधान देवता – भगवान श्रीराम
विषयवस्तु
विनय-पत्रिका में तुलसीदास जी ने संसार की दुःखद स्थिति, पापों का वर्णन, आत्म-निंदा, एवं भगवान राम से कृपा की याचना की है। इसमें निम्नलिखित प्रमुख विषय शामिल हैं:
- संसार की माया में फंसे जीव की वेदना
- आत्मा का ईश्वर से विलगाव और उसकी पीड़ा
- भगवान राम के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास
- प्रभु के चरणों में विनम्र प्रार्थना और शरणागति
- हनुमान जी और अन्य भक्तों का वर्णन