Misc

श्री अरहनाथ चालीसा

Arahnath Chalisa Hindi Lyrics

MiscChalisa (चालीसा संग्रह)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

।। चालीसा ।।

श्री अरहनाथ जिनेन्द्र गुणाकर,
ज्ञान-दरस-सुरव-बल रत्ऩाकर ।
कल्पवृक्ष सम सुख के सागर,
पार हुए निज आत्म ध्याकर ।

अरहनाथ नाथ वसु अरि के नाशक,
हुए हस्तिनापुर के शासक ।
माँ मित्रसेना पिता सुर्दशन,
चक्रवर्ती बन किया दिग्दर्शन ।

सहस चौरासी आयु प्रभु की,
अवगाहना थी तीस धनुष की ।
वर्ण सुवर्ण समान था पीत,
रोग शोक थे तुमसे भीत ।

ब्याह हुआ जब प्रिय कुमार का,
स्वप्न हुआ साकार पिता का ।
राज्याभिषेक हुआ अरहजिन का,
हुआ अभ्युदय चक्र रत्न का ।।

एक दिन देखा शरद ऋतु में,
मेघ विलीन हुए क्षण भर मेँ ।
उदित हुआ वैराग्य हृदय में,
लौकांतिक सुर आए पल में ।

‘अरविन्द’ पुत्र को देकर राज,
गए सहेतुक वन जिनराज ।
मंगसिर की दशमी उजियारी,
परम दिगम्बर दिक्षाधारी ।

पंचमुष्टि उखाड़े केश,
तन से ममन्व रहा नहीं दलेश ।
नगर चक्रपुर गए पारण हित,
पढ़गाहें भूपति अपराजित ।

प्रासुक शुद्धाहार कराये,
पंचाश्चर्य देव कराये ।
कठिन तपस्या करते वन में,
लीन रहैं आत्म चिन्तन में ।

कार्तिक मास द्वादशी उज्जवल,
प्रभु विराज्ञे आम्र वृक्ष- तल ।
अन्तर ज्ञान ज्योति प्रगटाई,
हुए केवली श्री जिनराई ।

देव करें उत्सव अति भव्य,
समोशरण को रचना दिव्य ।
सोलह वर्ष का मौनभंग कर,
सप्तभंग जिनवाणी सुखकर ।

चौदह गुणस्थान बताये,
मोह – काय-योग दर्शाये ।
सत्तावन आश्रव बतलाये,
इतने ही संवर गिनवाये ।

संवर हेतु समता लाओ,
अनुप्रेक्षा द्वादश मन भाओ ।
हुए प्रबुद्ध सभी नर- नारी,
दीक्षा व्रत धरि बहु भारी ।

कुम्भार्प आदि गणधर तीस,
अर्द्ध लक्ष थे सकल मुनीश ।
सत्यधर्म का हुआ प्रचार,
दूऱ-दूर तक हुआ विहार ।

एक माह पहले निर्वेद,
सहस मुनिसंग गए सम्मेद ।
चैत्र कृष्ण एकादशी के दिन,
मोक्ष गए श्री अरहनाथ जिन ।

नाटक कूट को पूजे देव,
कामदेव-चक्री…जिनदेव ।
जिनवर का लक्षण था मीन,
धारो जैन धर्म समीचीन ।

प्राणी मात्र का जैन धर्मं है,
जैन धर्म ही परम धर्मं हैं ।
पंचेन्द्रियों को जीतें जो नर,
जिनेन्द्रिय वे वनते जिनवर ।

त्याग धर्म की महिमा गाई,
त्याग में ही सब सुख हों भाई ।
त्याग कर सकें केवल मानव,
हैं सक्षम सब देव और मानव ।

हो स्वाधीन तजो तुम भाई,
बन्धन में पीडा मन लाई ।
हस्तिनापुर में दूसरी नशिया,
कर्म जहाँ पर नसे घातिया ।

जिनके चररणों में धरें,
शीश सभी नरनाथ ।
हम सब पूजे उन्हें,
कृपा करें अरहनाथ ।

ॐ ह्रीं अर्हं श्री अरहनाथाय नमः

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download श्री अरहनाथ चालीसा MP3 (FREE)

♫ श्री अरहनाथ चालीसा MP3
श्री अरहनाथ चालीसा PDF

Download श्री अरहनाथ चालीसा PDF

श्री अरहनाथ चालीसा PDF

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel Download App