श्री शनिदेव चालीसा PDF की सहायता से आप घर पर सरलता से इसका पाठ कर सकते हैं। यह पीडीएफ प्रारूप में आसानी से उपलब्ध है, जिसे मोबाइल या प्रिंट करके नियमित पाठ किया जा सकता है। न्याय के देवता भगवान शनिदेव को समर्पित श्री शनिदेव चालीसा का पाठ करना भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है। यह चालीसा भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी माध्यम है।
श्री शनिदेव चालीसा एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे शनि भक्त शनिवार या शनि अमावस्या के दिन श्रद्धा एवं नियमपूर्वक पढ़ते हैं। इस चालीसा का पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैया या अन्य दोषों से राहत मिलती है और जीवन में स्थायित्व, समृद्धि व न्याय की प्राप्ति होती है।
|| श्री शनिदेव चालीसा (Shanidev Chalisa Hindi PDF) ||
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला ।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥
परम विशाल मनोहर भाला ।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।
हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥
पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन ।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा ।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं ।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥
पर्वतहू तृण होई निहारत ।
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो ।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई ।
मातु जानकी गई चुराई ॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।
मचिगा दल में हाहाकारा ॥
रावण की गतिमति बौराई ।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥
दियो कीट करि कंचन लंका ।
बजि बजरंग बीर की डंका ॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।
चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी ।
हाथ पैर डरवाय तोरी ॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों ।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।
आपहुं भरे डोम घर पानी ॥
तैसे नल पर दशा सिरानी ।
भूंजीमीन कूद गई पानी ॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई ।
पारवती को सती कराई ॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा ।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।
बची द्रौपदी होति उघारी ॥
कौरव के भी गति मति मारयो ।
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला ।
लेकर कूदि परयो पाताला ॥
शेष देवलखि विनती लाई ।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥
वाहन प्रभु के सात सजाना ।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा ।
सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै ।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।
चोरी आदि होय डर भारी ॥
तैसहि चारि चरण यह नामा ।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥
समता ताम्र रजत शुभकारी ।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै ।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला ।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।
दीप दान दै बहु सुख पावत ॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥
॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥
|| श्री शनिदेव चालीसा पाठ विधि (Vidhi) ||
- पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें, अधिमानतः अपने पूजा घर में।
- कुशा या ऊनी आसन पर बैठें। पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।
- पाठ शुरू करने से पहले, भगवान शनिदेव का ध्यान करें और अपने उद्देश्य (जैसे शनि दोष निवारण, शांति, समृद्धि) का संकल्प लें।
- यदि संभव हो, तो शनिदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उन्हें काला तिल, उड़द दाल, नीले फूल आदि अर्पित करें।
- शांत मन से और स्पष्ट उच्चारण के साथ श्री शनिदेव चालीसा का पाठ करें। कम से कम एक बार पाठ अवश्य करें, और यदि संभव हो तो 7, 11, 21 या 108 बार भी पाठ किया जा सकता है।
- पाठ के बाद शनिदेव की आरती करें। शनिवार के दिन इस चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
|| श्री शनिदेव चालीसा के लाभ (Laabh) ||
श्री शनिदेव चालीसा के नियमित पाठ से कई लाभ प्राप्त होते हैं:
- यह शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सहायक है।
- यह मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है, तनाव और भय को दूर करता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति दिलाने में मदद करता है।
- जीवन में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने में सहायक है। आर्थिक उन्नति और समृद्धि के मार्ग खोलता है।
- यह आत्मविश्वास बढ़ाता है और व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
- शनिदेव की कृपा से व्यक्ति को उनके कर्मों के शुभ फल प्राप्त होते हैं।
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