|| चैत्र अमावस्या व्रत कथा PDF ||
चैत्र अमावस्या का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन पितरों की शांति और दान-पुण्य के लिए समर्पित है। इस दिन व्रत रखने और कथा सुनने का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं चैत्र अमावस्या व्रत कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था। परिवार में पति-पत्नी और उनके दो बच्चे थे। वे अत्यंत धर्मपरायण थे और भगवान पर अटूट विश्वास रखते थे। हालाँकि, उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी।
एक बार चैत्र अमावस्या का दिन आया। ब्राह्मण और उनकी पत्नी ने सोचा कि इस दिन पितरों के निमित्त कुछ दान-पुण्य करना चाहिए, लेकिन उनके पास कुछ भी नहीं था। वे बड़े दुखी हुए। ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पति से कहा, “स्वामी, हमारे पास कुछ भी नहीं है जिससे हम पितरों का तर्पण कर सकें। हमें क्या करना चाहिए?”
ब्राह्मण ने कहा, “देवी, हमें चिंता नहीं करनी चाहिए। भगवान सब देखते हैं। हम मन से पितरों का स्मरण करेंगे और उनसे क्षमा याचना करेंगे। शायद यही हमारा सच्चा तर्पण होगा।”
उसी समय, उनके घर के बाहर एक महात्मा भिक्षा मांगने आए। ब्राह्मण और उनकी पत्नी ने उन्हें खाली हाथ लौटाने के बजाय, अपने पास जो थोड़ा सा जल था, वही उन्हें अर्पित कर दिया। महात्मा उनकी श्रद्धा और भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए।
महात्मा ने ब्राह्मण दंपत्ति से कहा, “हे भक्तों, तुम सच्चे हृदय से पितरों का स्मरण कर रहे हो। तुम्हारे इस जल दान से तुम्हारे पितर अत्यंत तृप्त हुए हैं। चैत्र अमावस्या के दिन श्रद्धापूर्वक पितरों का स्मरण करने और सामर्थ्य अनुसार दान करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।”
महात्मा ने उन्हें चैत्र अमावस्या का महत्व बताया और कहा कि इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से व्रत रखता है, पितरों का तर्पण करता है और यथाशक्ति दान करता है, उसके घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
ब्राह्मण दंपत्ति ने महात्मा के वचनों को सुना और उसी दिन से उन्होंने हर चैत्र अमावस्या को श्रद्धापूर्वक व्रत रखना और यथाशक्ति दान करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा और उनका जीवन सुखमय हो गया।
|| चैत्र अमावस्या के दिन क्या करें ||
- इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण (जल देना) करें।
- पिंडदान करना बहुत शुभ माना जाता है।
- किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं या दान दें।
- पीपल के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं।
- शाम के समय सरसों के तेल का दीपक दक्षिण दिशा में जलाएं।
Found a Mistake or Error? Report it Now