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कैंची धाम का वो चमत्कार जिसने ‘एप्पल’ (Apple) कंपनी की किस्मत बदल दी

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क्या आप यकीन करेंगे कि दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी एप्पल (Apple) और सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक (Facebook/Meta) की सफलता का राज सिलिकॉन वैली (Silicon Valley) की किसी लैब में नहीं, बल्कि भारत के उत्तराखंड की पहाड़ियों में छिपे एक छोटे से आश्रम में है?

जी हाँ, यह कहानी है नैनीताल के पास स्थित कैंची धाम (Kainchi Dham) और वहां के चमत्कारी संत नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) की। आइए जानते हैं उस ‘चमत्कार’ (Miracle) के बारे में जिसने स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) की डूबती नैया को पार लगाया और दुनिया को आईफोन (iPhone) जैसा तोहफा दिया।

जब स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) भारत आए – एक तलाश

बात 1974 की है। स्टीव जॉब्स उस समय एक नौजवान थे और अपने जीवन के उद्देश्य (Purpose of Life) को लेकर बहुत उलझन में थे। ‘एप्पल’ कंपनी अभी भविष्य के गर्भ में थी। मानसिक शांति और सच्चे ज्ञान (Enlightenment) की तलाश में उन्होंने भारत आने का फैसला किया।

उन्हें किसी ने नीम करोली बाबा (जिन्हें भक्त प्यार से ‘महाराज जी’ कहते हैं) के बारे में बताया था। जॉब्स अमेरिका से सात समंदर पार करके उत्तराखंड के नैनीताल पहुंचे। लेकिन, किस्मत (Destiny) को कुछ और ही मंजूर था। जब वे आश्रम पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि बाबा ने कुछ समय पहले ही समाधि ले ली थी।

Note – भले ही जॉब्स बाबा से मिल नहीं पाए, लेकिन आश्रम की ऊर्जा (Energy) ने उन्हें रोक लिया। वे वहां रुके, ध्यान (Meditation) किया और घंटों आश्रम की शांति में बिताए।

वो ‘आइडिया’ जो आश्रम से मिला

कहा जाता है कि कैंची धाम में बिताए गए उस समय ने स्टीव जॉब्स के सोचने का तरीका बदल दिया। उन्होंने बाद में स्वीकार किया कि भारत के उस दौरे ने उन्हें “तर्क से ज्यादा अंतर्ज्ञान (Intuition)” पर भरोसा करना सिखाया।

एक प्रचलित किस्सा (Legend) यह भी है कि नीम करोली बाबा को ‘सेब’ (Apple) बहुत पसंद थे। वे अक्सर अपने भक्तों को प्रसाद के रूप में सेब दिया करते थे। कई लोगों का मानना है कि स्टीव जॉब्स ने अपनी कंपनी का नाम ‘Apple’ और उसका लोगो (Logo) इसी याद को संजोए रखने के लिए चुना। हालांकि, यह आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन यह कहानी आश्रम के भक्तों के बीच बहुत मशहूर है।

जब फेसबुक (Facebook) मुसीबत में था – स्टीव की सलाह

यह चमत्कार सिर्फ स्टीव जॉब्स तक सीमित नहीं रहा। साल 2015 में जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे, तब फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया था।

जुकरबर्ग ने बताया कि जब फेसबुक अपने शुरुआती दौर में कठिन समय (Tough Times) से गुजर रहा था और वे कंपनी बेचने की सोच रहे थे, तब वे सलाह लेने स्टीव जॉब्स के पास गए थे।

स्टीव जॉब्स ने उनसे कहा:

“भारत जाओ, नैनीताल में एक विशिष्ट मंदिर (Temple) है, वहां कुछ समय बिताओ। मुझे वहां मेरे विजन (Vision) की स्पष्टता मिली थी, तुम्हें भी मिलेगी।”

जुकरबर्ग ने ऐसा ही किया। वे कैंची धाम आए, वहां समय बिताया और वापस जाकर फेसबुक को दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी बना दिया। वे मानते हैं कि उस यात्रा ने उन्हें वह आत्मविश्वास (Confidence) दिया जिसकी उन्हें सख्त जरूरत थी।

कौन हैं नीम करोली बाबा? (Who is Neem Karoli Baba)

नीम करोली बाबा, जिन्हें भक्त हनुमान जी का अवतार मानते हैं, 20वीं सदी के सबसे महान संतों में से एक हैं। उनकी सादगी ही उनका सबसे बड़ा चमत्कार था। वे हमेशा एक कंबल (Blanket) ओढ़े रहते थे और किसी को अपने पैर नहीं छूने देते थे।

उनका मुख्य संदेश (Message) बहुत सरल था

  • सबको प्रेम करो (Love Everyone)
  • सबकी सेवा करो (Serve Everyone)
  • भगवान को याद रखो (Remember God)

कैंची धाम – एक शक्तिपुंज (Powerhouse of Energy)

नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित यह आश्रम सिर्फ एक मंदिर नहीं है, बल्कि शांति का एक केंद्र है। यह शिप्रा नदी के किनारे बसा है।

  • स्थापना – 15 जून 1964
  • मुख्य आयोजन – हर साल 15 जून को यहां भव्य भंडारा होता है, जिसमें लाखों भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं।

यहाँ आने वाले भक्तों का कहना है कि जैसे ही आप आश्रम की सीमा में प्रवेश करते हैं, आपके मन के सारे विचार थम जाते हैं और एक अजीब सी शांति (Deep Peace) महसूस होती है। शायद यही वह ‘शून्य’ (Zero) की अवस्था है जहाँ से बड़े-बड़े विचारों (Ideas) का जन्म होता है।

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