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स्टीव जॉब्स से लेकर मार्क जुकरबर्ग तक – आखिर क्यों दुनिया के अमीर लोग नीम करोली बाबा को मानते हैं?

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कमाल की बात है! दुनिया के सबसे अमीर और सबसे ज़्यादा ‘टेक्नोलॉजी’ (Technology) वाले लोग, भारत के एक सरल संत, नीम करोली बाबा, के सामने नतमस्तक हैं। यह कहानी केवल आस्था की नहीं, बल्कि उस गहन ‘कनेक्शन’ (Connection) की है जो धन-दौलत से परे, जीवन के असली ‘मकसद’ (Purpose) को खोजने से जुड़ा है।

उत्तराखंड के नैनीताल के पास स्थित शांत ‘कैंची धाम’ (Kainchi Dham) से लेकर सिलिकॉन वैली (Silicon Valley) के ‘पावर कॉरिडोर’ (Power Corridor) तक, नीम करौली बाबा का ‘चमत्कार’ (Miracle) और उनकी शिक्षाएं आज भी गूंज रही हैं।

स्टीव जॉब्स – ‘एप्पल’ (Apple) की बुनियाद में कैंची धाम का आध्यात्मिक स्पर्श

‘एप्पल’ (Apple) के सह-संस्थापक (Co-founder) स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) को कौन नहीं जानता? 70 के दशक में, जब वह अपनी ज़िंदगी और कंपनी की दिशा को लेकर दुविधा में थे, तो उन्होंने ‘आध्यात्मिक ज्ञान’ (Spiritual Knowledge) की तलाश में भारत का रुख किया।

स्टीव जॉब्स की भारत यात्रा का रहस्य

  • सच्ची खोज – 1974 में स्टीव जॉब्स, नीम करौरी बाबा से मिलने के लिए कैंची धाम पहुंचे। दुःख की बात यह थी कि बाबा तब तक ‘समाधि’ (Samadhi) ले चुके थे (1973 में)।
  • परिवर्तनकारी अनुभव – बाबा से मुलाकात न हो सकी, लेकिन उन्होंने कुछ समय तक आश्रम में बिताया। कहा जाता है कि इस दौरान उन्हें गहरी ‘शांति’ (Peace) और ‘एकाग्रता’ (Concentration) मिली।
  • ‘एप्पल’ और लोगो का विचार – बहुत से लोग मानते हैं कि स्टीव जॉब्स की यह यात्रा उनके जीवन में एक ‘टर्निंग पॉइंट’ (Turning Point) थी। इस आध्यात्मिक यात्रा के बाद ही उन्होंने वापस जाकर ‘एप्पल’ की स्थापना की। कुछ भक्तों का तो यह भी मानना है कि ‘एप्पल’ के ‘लोगो’ (Logo) का ‘आइडिया’ (Idea) भी उन्हें यहीं से मिला था!
  • अंतिम विदाई – सबसे बड़ी बात यह है कि स्टीव जॉब्स की मृत्यु के बाद, उनके तकिए के नीचे से बाबा नीम करौरी की एक छोटी सी फोटो मिली थी। यह इस बात का प्रमाण है कि बाबा का उनके जीवन पर कितना गहरा ‘असर’ (Impact) था।

मार्क जुकरबर्ग – जब ‘फेसबुक’ (Facebook) मुश्किल में था

‘मेटा’ (Meta) और ‘फेसबुक’ (Facebook) के ‘सीईओ’ (CEO) मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) के जीवन में भी बाबा का बहुत बड़ा ‘योगदान’ (Contribution) है।

जुकरबर्ग को मिली जॉब्स की सलाह

  • संकट का समय – साल 2015 में, जुकरबर्ग ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान खुद इस बात का खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि ‘फेसबुक’ के शुरुआती दिनों में जब उनकी कंपनी मुश्किल दौर से गुज़र रही थी और वह उसे बेचने तक का विचार कर रहे थे, तब उनके ‘मेंटॉर’ (Mentor) स्टीव जॉब्स ने उन्हें एक सलाह दी।
  • जॉब्स की सलाह – स्टीव जॉब्स ने जुकरबर्ग को भारत में कैंची धाम के मंदिर जाने और वहां समय बिताने के लिए कहा।
  • भारत यात्रा और ‘विजन’ (Vision) – जुकरबर्ग ने लगभग एक महीने तक भारत की यात्रा की और कैंची धाम गए। इस यात्रा ने उन्हें ‘लोगों को जोड़ने’ (Connecting People) के ‘मिशन’ (Mission) के महत्व को फिर से समझने में मदद की। वह महसूस कर पाए कि ‘फेसबुक’ का असली ‘मकसद’ क्या है, और इसके बाद ही कंपनी ने बड़ी सफलता हासिल की।

बाबा नीम करौरी की वह शिक्षा, जो अमीरों को भी ‘खींच’ लाती है

यह सवाल उठता है कि दुनिया के भौतिक सुखों से भरे ये लोग, भारत के एक साधारण बाबा की ओर क्यों आकर्षित होते हैं? इसका उत्तर बाबा की ‘सरलता’ (Simplicity) और उनकी ‘अद्वितीय शिक्षाओं’ (Unique Teachings) में छिपा है।

नीम करौली बाबा के 4 मूल मंत्र (4 Core Principles)

बाबा मानते थे कि असली दौलत पैसे में नहीं, बल्कि ‘चरित्र’ (Character) और ‘मानवीय मूल्यों’ (Human Values) में होती है:

  • सबको प्यार करो (Love Everyone) – बाबा का सबसे बड़ा संदेश था- हर प्राणी से प्रेम करो और किसी से ‘द्वेष’ (Hatred) न करो। स्टीव जॉब्स और जुकरबर्ग जैसे लोगों ने शायद यहीं से ‘करुणा’ (Compassion) और ‘मानवता’ (Humanity) के महत्व को समझा।
  • सेवा भावना (Selfless Service) – उनका मानना था कि निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने से ईश्वर आपको कई गुना ज़्यादा लौटाता है। अमीर बनने का यह सबसे बड़ा ‘मंत्र’ (Mantra) है- अपने धन का उपयोग केवल खुद के लिए नहीं, बल्कि ‘परोपकार’ (Charity) के लिए भी करें।
  • सत्य बोलो (Tell the Truth) – ईमानदारी और सच्चाई का मार्ग अपनाना ही स्थायी सफलता की कुंजी है। गलत तरीके से कमाया गया धन कभी नहीं टिकता।
  • ईश्वर पर विश्वास (Faith in God) – भौतिक सुख-सुविधाएं नश्वर हैं, लेकिन ईश्वर में विश्वास और ‘संतोष’ (Contentment) ही असली ‘अमीरी’ (Wealth) है।

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