जय बाबा नीम करौरी! क्या आप भी बाबा के बुलावे पर पहली बार ‘कैंची धाम’ (Kainchi Dham) जाने का प्लान बना रहे हैं? नैनीताल की वादियों में शिप्रा नदी के किनारे बसा यह आश्रम सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि लाखों भक्तों के लिए ‘शांति’ (Peace) और ‘आस्था’ (Faith) का केंद्र है।
लेकिन रुकिए! सिर्फ बैग पैक करके निकल पड़ने से बात नहीं बनेगी। एक ‘लोकल’ (Local) गाइड की तरह और बाबा के भक्त होने के नाते, मैं आपको 5 ऐसी जरूरी बातें बताने जा रहा हूं, जो आपको यात्रा शुरू करने से पहले जरूर जान लेनी चाहिए। ताकि आपके ‘दर्शन’ (Darshan) बिना किसी परेशानी के और सुखद हों।
रहने की व्यवस्था (Accommodation) को लेकर गलतफहमी न पालें
बहुत से लोग यह सोचकर आते हैं कि वे सीधे आश्रम में जाकर रुक जाएंगे। यह एक बहुत बड़ी गलतफहमी है।
- कैंची धाम आश्रम के अंदर रुकने की अनुमति (Permission) केवल उन लोगों को मिलती है जिनके पास आश्रम से पहले से लिखित अनुमति होती है। आम तौर पर, नए भक्तों के लिए वहां रुकने की व्यवस्था नहीं होती।
- आश्रम के सबसे करीब रहने की जगह ‘भवाली’ (Bhowali) है, जो वहां से मात्र 8-9 किलोमीटर दूर है। आप नैनीताल या भवाली में ‘होतेल्स’ (Hotels) या ‘होमस्टे’ (Homestays) पहले से बुक कर लें। पीक सीजन (मई-जून) में तो बिना बुकिंग के कमरे मिलना नामुमकिन हो जाता है।
‘डिजिटल डिटॉक्स’ (Digital Detox) के लिए तैयार रहें
अगर आप वहां जाकर रील (Reels) बनाने या सेल्फी (Selfie) लेने का सोच रहे हैं, तो अपना प्लान बदल लीजिए।
- आश्रम के मुख्य मंदिर परिसर में ‘फोटोग्राफी’ (Photography) और ‘वीडियोग्राफी’ (Videography) पूरी तरह से वर्जित है। वहां के सेवादार इस नियम को लेकर बहुत सख्त हैं।
- इसका उद्देश्य यह है कि आप मोबाइल स्क्रीन के बजाय, अपनी रूह और बाबा के साथ ‘कनेक्शन’ (Connection) बनाएं। फोन को बैग में रखें या ‘साइलेंट’ (Silent) मोड पर, और वहां की दिव्य ऊर्जा को महसूस करें।
सही समय और ट्रैफिक (Timing and Traffic) का खेल
पहाड़ों में दूरी कम लगती है, लेकिन समय ज्यादा लगता है। कैंची धाम अल्मोड़ा-नैनीताल हाईवे पर स्थित है, जो अक्सर जाम रहता है।
- अगर आप सुकून से दर्शन करना चाहते हैं और लंबी कतारों (Queues) से बचना चाहते हैं, तो सुबह 5:00 या 6:00 बजे तक आश्रम पहुंच जाएं।
- आश्रम के पास पार्किंग की जगह बहुत सीमित है। अगर आप अपनी पर्सनल कार (Personal Car) से जा रहे हैं, तो आपको सड़क किनारे गाड़ी लगाने में बहुत दिक्कत हो सकती है। बेहतर होगा कि आप भवाली से ‘शेयर्ड टैक्सी’ (Shared Taxi) लेकर आएं।
प्रसाद और ‘कंबल’ (Blanket) की परंपरा
बाबा नीम करौरी को अक्सर तस्वीरों में एक सादे कंबल में देखा जाता है। इसलिए यहां कंबल चढ़ाने की एक अनोखी परंपरा है।
- आप प्रसाद के साथ-साथ बाबा को चढ़ाने के लिए लाल रंग का ‘कंबल’ (Blanket) ले जा सकते हैं, जिसे बाद में गरीबों में बांट दिया जाता है। लेकिन यह अनिवार्य नहीं है, आपकी श्रद्धा ही सबसे बड़ी भेंट है।
- अगर आप सुबह की आरती के समय जाते हैं, तो वहां मिलने वाले ‘काले चने और मूंग दाल’ के प्रसाद को लेना न भूलें। इसका स्वाद ऐसा है जो आपको दुनिया के किसी ‘फाइव स्टार’ (Five Star) होटल में नहीं मिलेगा।
कपड़ों का चयन (Dress Code) और मौसम
कैंची धाम एक आध्यात्मिक स्थल है, कोई पिकनिक स्पॉट नहीं। इसलिए वहां की मर्यादा का ध्यान रखना जरूरी है।
- शालीन कपड़े पहनें। छोटे या बहुत आधुनिक कपड़े पहनने से बचें जो मंदिर की पवित्रता के अनुरूप न हों।
- पहाड़ों का मौसम कब बदल जाए, कोई नहीं जानता। भले ही आप गर्मियों में जा रहे हों, अपने साथ एक हल्का ‘जैकेट’ (Jacket) या शॉल जरूर रखें। शाम होते ही वहां ठंडक बढ़ जाती है।
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