आत्मतत्वविवेक एक महत्वपूर्ण संस्कृत ग्रन्थ है जिसके लेखक आचार्य श्री उदयनाचार्य हैं। इस ग्रन्थ में आत्मा के स्वरूप, उसके गुणों, और जगत के साथ उसके सम्बन्ध का विस्तृत विवेचन किया गया है।
यह ग्रन्थ न्याय और वैशेषिक दर्शनों का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें आत्मा के अस्तित्व को विभिन्न प्रमाणों के माध्यम से सिद्ध किया गया है। आचार्य उदयनाचार्य ने आत्मा के सम्बन्ध में प्रचलित विभिन्न मतों का खंडन करते हुए अपने सिद्धांतों की स्थापना की है।
आत्मतत्वविवेक ग्रन्थ की विषय-वस्तु
आत्मतत्वविवेक में आत्मा के स्वरूप, उसके ज्ञान, इच्छा, और क्रिया आदि गुणों का वर्णन है। इसके साथ ही, इस ग्रन्थ में यह भी बताया गया है कि आत्मा का शरीर, इन्द्रियों, और मन के साथ क्या सम्बन्ध है। आचार्य उदयनाचार्य ने आत्मा को द्रव्य, गुण, कर्म आदि पदार्थों से भिन्न सिद्ध किया है।
- “आत्मतत्वविवेक” में आत्मा के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए विभिन्न युक्तियों का प्रयोग किया गया है।
- इस ग्रन्थ में आत्मा के ज्ञान, इच्छा, क्रिया आदि गुणों का विस्तृत वर्णन है।
- आत्मतत्वविवेक में आत्मा और जगत के सम्बन्ध पर भी प्रकाश डाला गया है।
- यह ग्रन्थ न्याय और वैशेषिक दर्शनों के सिद्धांतों का प्रतिपादन करता है।