ब्रह्म पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। यह पुराण भगवान ब्रह्मा को समर्पित है, जो सृष्टि के रचयिता माने जाते हैं। ब्रह्म पुराण में ब्रह्मा की महिमा, सृष्टि की उत्पत्ति, धर्म, आचार, पूजा विधियाँ, और पौराणिक कथाओं का विस्तृत वर्णन है। इसे वैदिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
ब्रह्म पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसमें कुल 246 अध्याय हैं और इसमें 10,000 से अधिक श्लोक हैं। यह पुराण चार खंडों में विभाजित है, जो विभिन्न विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं।
ब्रह्म पुराण के प्रमुख विषय
- ब्रह्म पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति का विस्तृत वर्णन है। इसमें बताया गया है कि कैसे भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना की और विभिन्न जीवों को उत्पन्न किया।
- इस पुराण में धार्मिक कर्तव्यों, नैतिक आचरण, और जीवन के विभिन्न चरणों के नियमों का वर्णन है। इसमें वर्णाश्रम धर्म, गृहस्थ जीवन, संन्यास, और भक्ति मार्ग पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- ब्रह्म पुराण में विभिन्न पौराणिक कथाएँ और धार्मिक उपाख्यान भी शामिल हैं। ये कथाएँ नैतिक और धार्मिक शिक्षा प्रदान करती हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं।
- इसमें विभिन्न तीर्थ स्थलों का महत्व, पूजा विधियों, व्रतों, और त्योहारों का विस्तृत वर्णन है। इसमें भगवान विष्णु, शिव, और देवी दुर्गा की पूजा के नियम भी बताए गए हैं।
- ब्रह्म पुराण में ज्योतिष के सिद्धांतों और वास्तुशास्त्र के नियमों का भी उल्लेख है। इसमें ग्रहों की स्थिति, उनके प्रभाव, और शुभ-अशुभ मुहूर्त का वर्णन है।
- इस पुराण में दान के महत्व और उसके फलों का विस्तृत वर्णन है। इसमें बताया गया है कि कौन-कौन से दान करने से व्यक्ति को क्या फल मिलता है और उसके जीवन में क्या परिवर्तन आते हैं।