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करियर को बनाएं ‘श्री यंत्र’ के प्रभाव से – जानें स्थापना और सिद्धि विधि

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क्या आप अपने करियर में रुकावटों का सामना कर रहे हैं? क्या कड़ी मेहनत के बावजूद सफलता आपसे दूर है? अगर हाँ, तो आपको अपनी ऊर्जा को सही दिशा में केंद्रित करने की आवश्यकता है। ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार, ‘श्री यंत्र’ एक ऐसा शक्तिशाली साधन है जो आपके जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और सफलता ला सकता है। यह सिर्फ एक धातु का टुकड़ा नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का एक शक्तिशाली केंद्र है। इस ब्लॉग में, हम श्री यंत्र के महत्व, इसे स्थापित करने की विधि और इसकी सिद्धि के बारे में विस्तार से जानेंगे ताकि आप अपने करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकें।

‘श्री यंत्र’ क्या है और इसका महत्व क्या है?

श्री यंत्र, जिसे ‘यंत्रों का राजा’ भी कहा जाता है, माँ लक्ष्मी का प्रतीक है। यह नौ त्रिकोणों से मिलकर बना एक जटिल ज्यामितीय पैटर्न है, जो ब्रह्मांड की संरचना को दर्शाता है। ये त्रिकोण सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बिंदु बनाते हैं, जो आपके आसपास के वातावरण को शुद्ध करते हैं और नकारात्मकता को दूर करते हैं। श्री यंत्र की पूजा से धन, समृद्धि, सफलता, स्वास्थ्य और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

श्री यंत्र का करियर पर प्रभाव

श्री यंत्र को अपने कार्यस्थल या घर में स्थापित करने से आपके करियर में कई सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं:

  • यह आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, जिससे आप अधिक ध्यान केंद्रित कर पाते हैं और बेहतर निर्णय ले पाते हैं।
  • श्री यंत्र की पूजा से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे आप चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।
  • यह आपके लिए नए अवसरों के द्वार खोलता है और आपको सही दिशा में मार्गदर्शन करता है।
  • यह करियर में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करता है।
  • श्री यंत्र माँ लक्ष्मी का प्रतीक होने के कारण वित्तीय स्थिरता और समृद्धि प्रदान करता है।

श्री यंत्र की स्थापना और सिद्धि विधि

श्री यंत्र को सही ढंग से स्थापित करना और उसकी पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ हम आपको एक सरल और प्रभावी विधि बता रहे हैं:

  • श्री यंत्र की स्थापना के लिए शुक्रवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह माँ लक्ष्मी का दिन है। इसके अलावा, गुरु पुष्य योग, रवि पुष्य योग, दीपावली, अक्षय तृतीया जैसे शुभ मुहूर्त में भी इसे स्थापित किया जा सकता है।
  • सबसे पहले, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • एक शांत और स्वच्छ जगह का चुनाव करें, जहाँ आप श्री यंत्र को स्थापित कर सकें। यह आपके पूजा घर, ऑफिस या कार्यस्थल का उत्तर-पूर्व कोना हो सकता है।
  • चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर श्री यंत्र को रखें। अब श्री यंत्र को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर गंगाजल या शुद्ध जल से धोकर साफ करें।
  • यंत्र को साफ कपड़े से पोंछकर फिर से चौकी पर रखें। रोली और चंदन का तिलक लगाएं और अक्षत अर्पित करें। दीपक जलाएं और धूप करें। लाल फूल और मिठाई अर्पित करें।
  • श्री यंत्र की स्थापना के बाद, उसकी ऊर्जा को जागृत करने के लिए मंत्र जप करना आवश्यक है। एक माला लेकर, कम से कम 108 बार निम्नलिखित मंत्र का जप करें: ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः’। इस मंत्र का प्रतिदिन जप करने से श्री यंत्र की शक्ति बढ़ती है और आपको उसके शुभ फल प्राप्त होते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • श्री यंत्र को हमेशा साफ-सुथरा रखें।
  • उसे प्रतिदिन धूप-दीप दिखाएं।
  • किसी भी नकारात्मक व्यक्ति को यंत्र को छूने न दें।
  • मन में श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करें।

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