श्री त्रिपुरारि स्तोत्रम्

॥ श्रीत्रिपुरारिस्तोत्रम् ॥ नमामोऽसुरारेस्सुरारेर्गणाग्र्यं नमामोऽन्धकारिं मखारिं निजारेः । शिरो गाङ्गवारिप्रचारक्षमोऽस्य नमामः पुरारिम् मुरारेः प्रियं तम् ॥ मुखैः पञ्चभिः पञ्चभिः पञ्चषष्ठं त्रयीसाङ्ख्ययोगाङ्गमारण्यकानि । जगौ भक्तिकाण्डं हरेस्सौख्यभाण्डं नमामः पुरारिं मुरारेः प्रियं तम् ॥ हरेरङ्घ्रितो गाङ्गवारि प्रसूतं कपर्दे कपर्दे कपर्द्दीचकार । अखर्वं च गर्वं हरन् जह्नुजाया नमामः पुरारिं मुरारेः प्रियं तम् ॥ गुरूणां गुरुर्यो मतो नारदेन उपज्ञोऽपि शिष्यः…

सम्पूर्ण प्रदोष व्रत कैलेंडर 2025 – जानें व्रत पूजा विधि और लाभ

Om Namah Shivay

प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर आता है और हर महीने दो बार मनाया जाता है – एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और उनके पूरे परिवार का विधिपूर्वक पूजन किया जाता है। इस दिन शनि देव की भी पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक…

रुद्रयामल भगवान शिव सहस्रनामावली

रुद्रयामल तंत्र भगवान शिव की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन करने वाला एक अद्वितीय ग्रंथ है। इस ग्रंथ में शिव सहस्रनामावली भगवान शिव के एक हजार दिव्य नामों का संग्रह है, जो उनके विभिन्न स्वरूपों, शक्तियों और गुणों को प्रकट करते हैं। यह सहस्रनामावली शिव की अनंत कृपा, उनकी भौतिक और आध्यात्मिक महिमा को व्यक्त करती…

श्री दक्षिणामूर्ति सहस्रनामावलि

श्री दक्षिणामूर्ति सहस्रनामावलि भगवान शिव के दक्षिणामूर्ति स्वरूप को समर्पित है। दक्षिणामूर्ति भगवान शिव का वह रूप है, जिसमें वे ज्ञान, शिक्षा और आत्मबोध के अधिष्ठाता माने जाते हैं। यह सहस्रनामावलि उनके 1000 दिव्य और पवित्र नामों का संग्रह है, जो उनकी महिमा और अनंत शक्ति का वर्णन करती है। श्री दक्षिणामूर्ति को गुरु रूप…

कालभैरव सहस्रनामावली

कालभैरव सहस्रनामावली भगवान कालभैरव के 1000 पवित्र और दिव्य नामों का संग्रह है। कालभैरव को समय के अधिपति, मृत्यु के रक्षक और शिव के अंशावतार के रूप में पूजा जाता है। उनकी शक्ति और भयानक रूप बुराई और नकारात्मकता को समाप्त करते हैं। कालभैरव सहस्रनामावली में उनके अद्वितीय नामों के माध्यम से उनकी महिमा, शक्ति…

महाकाल सहस्रनामावली

श्री महाकाल भगवान शिव का वह स्वरूप हैं जो समय, मृत्यु और सृष्टि के नियंता माने जाते हैं। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को इनका निवास स्थान माना जाता है। श्री महाकाल सहस्रनामावली भगवान महाकाल के एक हजार पवित्र नामों का संग्रह है, जो उनकी शक्ति, करुणा और महिमा का वर्णन करते हैं। यह सहस्रनामावली…

श्री शिव सहस्रनामावली

श्री शिव सहस्रनामावली भगवान शिव के हजार पवित्र नामों का संग्रह है, जो उनकी अनंत शक्तियों, दिव्य स्वरूपों और महिमा का वर्णन करता है। भगवान शिव, जिन्हें महादेव, भोलेनाथ और आदियोगी के नाम से भी जाना जाता है, सृष्टि के संहारक और पुनर्निर्माण के देवता हैं। इस सहस्रनामावली का पाठ करने से भगवान शिव की…

श्री अर्धनारीश्वर सहस्रनामावली

श्री अर्धनारीश्वर सहस्रनामावली भगवान शिव और माता पार्वती के अर्धनारीश्वर स्वरूप को समर्पित है। अर्धनारीश्वर का स्वरूप शिव और शक्ति का अद्वितीय संगम है, जो सृष्टि की संतुलित रचना और समस्त ब्रह्मांड की ऊर्जा के मूल रूप को दर्शाता है। सहस्रनामावली में अर्धनारीश्वर के हजार नामों का उल्लेख किया गया है, जो उनके विभिन्न गुणों…

अर्ध नारीश्वर स्तोत्रम्

॥ अर्ध नारीश्वर स्तोत्रम् ॥ चांपेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय । धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ कस्तूरिकाकुंकुमचर्चितायै चितारजःपुंज विचर्चिताय । कृतस्मरायै विकृतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ झणत्क्वणत्कंकणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय । हेमांगदायै भुजगांगदाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपंकेरुहलोचनाय । समेक्षणायै विषमेक्षणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ मंदारमालाकलितालकायै कपालमालांकितकंधराय । दिव्यांबरायै…

पशुपति व्रत का महत्व, विधि, नियम, कथा, पूजन सामग्री, मंत्र, उद्यापन, और इसके लाभ

pashupati vrat

पशुपति व्रत भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है, को समर्पित एक विशेष व्रत है। यह व्रत उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है जो जीवन में अनेक कठिनाइयों और परेशानियों से जूझ रहे हैं। जब आप निराश और हताश महसूस कर रहे हों, जब आपको अपनी समस्याओं का…

श्री रुद्राष्टकम्

॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥ नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्…

लिङ्गाष्टकम्

॥ लिङ्गाष्टकम् ॥ ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् । सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् । दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं…

श्री शिवमङ्गलाष्टकम्

॥ शिवमङ्गलाष्टकम् ॥ भवाय चन्द्रचूडाय निर्गुणाय गुणात्मने । कालकालाय रुद्राय नीलग्रीवाय मङ्गलम् ॥ वृषारूढाय भीमाय व्याघ्रचर्माम्बराय च । पशूनां पतये तुभ्यं गौरीकान्ताय मङ्गलम् ॥ भस्मोद्धूलितदेहाय व्यालयज्ञोपवीतिने । रुद्राक्षमालाभूषाय व्योमकेशाय मङ्गलम् ॥ सूर्यचन्द्राग्निनेत्राय नमः कैलासवासिने । सच्चिदानन्दरूपाय प्रमथेशाय मङ्गलम् ॥ मृत्युंजयाय सांबाय सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे । त्र्यंबकाय सुशान्ताय त्रिलोकेशाय मङ्गलम् ॥ गंगाधराय सोमाय नमो हरिहरात्मने । उग्राय त्रिपुरघ्नाय…

पशुपतिनाथ व्रत कैसे करें? जानें पूजा सामग्री, मंत्र, नियम और उद्यापन विधि

Pashupatinath

पशुपतिनाथ व्रत भगवान शिव को समर्पित एक विशेष व्रत है। यह व्रत 5 सोमवार को किया जाता है और माना जाता है कि इससे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पशुपतिनाथ व्रत को रखने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। भगवान शिव का एक विशेष रूप पशुपतिनाथ के…

क्या है रुद्राभिषेक? जानें इसकी विधि, महत्व और लाभ

rudraabhisek

अभिषेक शब्द का अर्थ है “स्नान कराना”। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र, यानी भगवान शिव का अभिषेक करना। यह पवित्र स्नान शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के साथ किया जाता है। रुद्राभिषेक एक शक्तिशाली अनुष्ठान है जो भगवान शिव को प्रसन्न करने और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने का एक उत्तम तरीका है। रुद्राभिषेक…

श्री कालभैरवाष्टक स्तोत्रम् अर्थ सहित

॥ कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र पाठ विधि ॥ प्रात: काल सबसे पहले स्नान आदि करके शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा समाप्त होने के बाद कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र का जाप करें। ॥ कालभैरवाष्टकम् पाठ से लाभ ॥ प्रतिदिन कालभैरवाष्टकम् का जाप करने से जीवन का ज्ञान मिलता…

विश्वेश्वर व्रत कथा और व्रत की पूजा विधि

विश्वेश्वर व्रत की पूजा विधि इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव के मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल, दूध, मिठाई और फल अर्पित करें। भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करें और पूरे दिन उपवास…

वैकुण्ठ चतुर्दशी 2024 शुभ मुहूर्त – जानिए व्रत कथा, पूजा विधि और आसान उपाय

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वैकुण्ठ चतुर्दशी 2024 हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना के लिए जाना जाता है। यह दिन विशेष रूप से भक्तों के लिए परम मोक्ष प्राप्ति का समय माना जाता है। वैकुण्ठ, भगवान विष्णु का निवास स्थान है, और यह दिन उन्हीं की कृपा से मोक्ष की…

नागेश्वर मंदिर का इतिहास और तीर्थ स्थल – श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

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भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दसवें स्थान पर स्थित है और यह गुजरात राज्य के द्वारका जिले के गोमती नदी के किनारे स्थित है। यह अत्यंत पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, जहाँ भगवान शिव का दिव्य रूप ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित है। इसे लेकर कुछ मत भिन्नताएँ हैं, जहाँ कुछ…

मल्लिकार्जुन मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी – श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की अद्भुत कथा और मुख्य तीर्थ

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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले में स्थित है। यह पवित्र ज्योतिर्लिंग “दक्षिण के कैलाश” के रूप में प्रसिद्ध है, और श्रीशैल पर्वत पर स्थित है, जिसे श्रद्धालु अत्यधिक पूजनीय मानते हैं। श्रीशैलम की यह भूमि सिर्फ भगवान शिव ही नहीं,…

श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रम्

।। काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्र ।। ।। अथ श्रीविश्वनाथमङ्गलस्तोत्रम् ।। गङ्गाधरं शशिकिशोरधरं त्रिलोकी- रक्षाधरं निटिलचन्द्रधरं त्रिधारम् । भस्मावधूलनधरं गिरिराजकन्या- दिव्यावलोकनधरं वरदं प्रपद्ये ॥ अर्थ :- गंगा एवं बाल चन्द्र को धारण करने वाले, त्रिलोक की रक्षा करने वाले,मस्तक पर चन्द्रमा एवं त्रिधार (गंगा) -को धारण करने वाले, भस्म का उद्धूलन करने वाले तथा पार्वती को…

रामेश्वरम मंदिर के अनसुने रहस्य – श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कथा और प्रमुख तीर्थ स्थल

Rameshwaram Jyotirlinga

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग है, जो तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। इसे केवल एक तीर्थस्थान के रूप में नहीं, बल्कि चार पवित्र धामों में से एक के रूप में भी अत्यधिक पूजनीय माना गया है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की कथा पौराणिक है, जो भगवान…

मंशा महादेव व्रत कथा एवं पूजन विधि

|| पूजन विधि || भगवान शिव का यह व्रत चार वर्ष का रहता है। हर वर्ष यह व्रत सिर्फ चार महीने ही करना रहता है। इस व्रत को करने से भगवान शिव बड़ी से बड़ी मन की इच्छा की पूर्ति करते है। श्रावण से कार्तिक माह तक के हर सोमवार को शिवलिंग की पूजा करें।…

દિવાસો વ્રત કથા

|| દિવાસો વ્રત કથા || એવરત-જીવરતનું વ્રત અષાઢ વદ તેરસથી અમાસ સુધી ત્રણ દિવસ કરવાનું વિધાન છે. વ્રતકર્તાએ મીઠા વિનાનું ભોજન લઈ એકટાણું કરવુું. જાગરણ કરી માતાજીના ગરબા ગાવા અને માતાજી સમક્ષ અખંડ દીવો પ્રગટાવેલો રાખવો. એવરત-જીવરતની કથા આ મુજબ છે. એક જમાનો એવો હતો કે જો સ્ત્રી નિઃસંતાન હોય તો કોઈ તેનું મોઢું ન…

सोमवती अमावस्या व्रत कथा

|| सोमवती अमावस्या व्रत कथा || सोमवती अमावस्या व्रत कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण परिवार था जिसमें पति, पत्नी और उनकी एक पुत्री थी। उनकी पुत्री समय के साथ-साथ बड़ी होने लगी और उसमें सभी स्त्रियोचित सगुणों का विकास होने लगा। वह सुंदर, संस्कारी और गुणवान थी, लेकिन गरीबी के कारण उसका विवाह नहीं…

मासिक शिवरात्रि पौराणिक कथा

|| मासिक शिवरात्रि पौराणिक कथा || धार्मिक पौराणिक कथा के अनुसार चित्रभानु नामक एक शिकारी था। जानवरों की हत्या करके वह अपने परिवार को पालता था। वह एक साहूकार का कर्जदार था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि…

हरियाली और श्रावणी अमावस्या 2024 – जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

hariyali amavsya

हरियाली अमावस्या, जिसे श्रावण अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार आमतौर पर श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह त्योहार 4 अगस्त, 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है।…

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || एक समय राक्षसराज रावण कैलास पर्वत पर भक्तिभावपूर्वक भगवान शिव की आराधना कर रहा था। बहुत दिनों तक आराधना करने के बाद भी जब भगवान शिव उस पर प्रसन्न नहीं हुए, तब वह दूसरी विधि से तप-साधना करने लगा। उसने हिमालय पर्वत से दक्षिण की ओर सघन वृक्षों…

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || शिव पुराण के अनुसार, सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का प्रथम ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना से सम्बंधित कथा इस प्रकार है: प्रजापति दक्ष ने अपनी सभी सत्ताइस पुत्रियों का विवाह चन्द्रमा के साथ कर दिया, जिससे वे बहुत प्रसन्न हुए। चन्द्रमा को पत्नी के रूप में दक्ष…

हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अतिरिक्त अनेक हिरण्यगर्भ शिवलिंग हैं, जिनका बड़ा अद्भुत महातम्य है। इनमें से कई शिवलिंग चमत्कारी हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं तथा सिद्धपीठों में स्थापित हैं। इन्हीं सिद्धपीठों में से एक है श्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मंदिर, जहां स्वयंभू हिरण्यगर्भ दूधेश्वर…

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

|| भीमशंकर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा || भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। शिवपुराण में कहा गया है कि पुराने समय में भीम नाम का एक राक्षस था। वह राक्षस कुंभकर्ण का पुत्र था, परंतु उसका जन्म ठीक उसके पिता की मृत्यु के बाद हुआ था। उसे अपने पिता की मृत्यु भगवान राम…

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा

|| श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा || दारूका एक प्रसिद्ध राक्षसी थी, जो देवी पार्वती से वरदान प्राप्त कर अहंकार में डूबी रहती थी। उसका पति दरुका महान बलशाली राक्षस था। उसने अनेक राक्षसों को अपने साथ मिलाकर समाज में आतंक फैला रखा था। वह यज्ञ और शुभ कर्मों को नष्ट करता और संत-महात्माओं…

शिवलीलामृत – अकरावा अध्याय 11

|| शिवलीलामृत अकरावा अध्याय 11 || श्रीगणेशाय नमः ॥ धन्य धन्य तेचि जन ॥ जे शिवभजनी परायण ॥ सदा शिवलीलामृत श्रवण ॥ अर्चन सदा शिवाचे ॥१॥ सूत म्हणे शौनकादिकांप्रति ॥ जे रुद्राक्षधारण भस्म चर्चिती ॥ त्यांच्या पुण्यास नाही मिती ॥ त्रिजगती तेचि धन्य ॥२॥ जो सहस्त्र रुद्राक्ष करी धारण ॥ त्यासी वंदिती शक्रादि सुरगण ॥…

कौन थे पहले कांवरिया? जानें कांवड़ यात्रा का इतिहास, महत्व और रहस्य

kawad yatra

कांवड़ यात्रा भारत की सबसे प्रमुख और जीवंत हिंदू तीर्थयात्राओं में से एक है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जिन्हें कांवरिया कहा जाता है। इस वार्षिक तीर्थयात्रा में गंगा नदी से पवित्र जल लेकर विभिन्न शिव मंदिरों तक पहुंचाया जाता है। लेकिन पहले कांवरिया कौन थे और इस प्राचीन परंपरा का इतिहास, महत्व और…

ശിവ രക്ഷാ സ്തോത്രം

|| ശിവ രക്ഷാ സ്തോത്രം || ഓം അസ്യ ശ്രീശിവരക്ഷാസ്തോത്രമന്ത്രസ്യ. യാജ്ഞവൽക്യ-ഋഷിഃ. ശ്രീസദാശിവോ ദേവതാ. അനുഷ്ടുപ് ഛന്ദഃ. ശ്രീസദാശിവപ്രീത്യർഥേ ശിവരക്ഷാസ്തോത്രജപേ വിനിയോഗഃ. ചരിതം ദേവദേവസ്യ മഹാദേവസ്യ പാവനം. അപാരം പരമോദാരം ചതുർവർഗസ്യ സാധനം. ഗൗരീവിനായകോപേതം പഞ്ചവക്ത്രം ത്രിനേത്രകം. ശിവം ധ്യാത്വാ ദശഭുജം ശിവരക്ഷാം പഠേന്നരഃ. ഗംഗാധരഃ ശിരഃ പാതു ഭാലമർധേന്ദുശേഖരഃ. നയനേ മദനധ്വംസീ കർണൗ സർപവിഭൂഷണഃ. ഘ്രാണം പാതു പുരാരാതിർമുഖം പാതു ജഗത്പതിഃ. ജിഹ്വാം വാഗീശ്വരഃ പാതു കന്ധരാം ശിതികന്ധരഃ. ശ്രീകണ്ഠഃ പാതു മേ കണ്ഠം സ്കന്ധൗ…

శివ రక్షా స్తోత్రం

|| శివ రక్షా స్తోత్రం || ఓం అస్య శ్రీశివరక్షాస్తోత్రమంత్రస్య. యాజ్ఞవల్క్య-ఋషిః. శ్రీసదాశివో దేవతా. అనుష్టుప్ ఛందః. శ్రీసదాశివప్రీత్యర్థే శివరక్షాస్తోత్రజపే వినియోగః. చరితం దేవదేవస్య మహాదేవస్య పావనం. అపారం పరమోదారం చతుర్వర్గస్య సాధనం. గౌరీవినాయకోపేతం పంచవక్త్రం త్రినేత్రకం. శివం ధ్యాత్వా దశభుజం శివరక్షాం పఠేన్నరః. గంగాధరః శిరః పాతు భాలమర్ధేందుశేఖరః. నయనే మదనధ్వంసీ కర్ణౌ సర్పవిభూషణః. ఘ్రాణం పాతు పురారాతిర్ముఖం పాతు జగత్పతిః. జిహ్వాం వాగీశ్వరః పాతు కంధరాం శితికంధరః. శ్రీకంఠః పాతు మే కంఠం స్కంధౌ…

சிவ ரக்ஷா ஸ்தோத்திரம்

 || சிவ ரக்ஷா ஸ்தோத்திரம் || ஓம் அஸ்ய ஶ்ரீஶிவரக்ஷாஸ்தோத்ரமந்த்ரஸ்ய. யாஜ்ஞவல்க்ய-ருஷி꞉. ஶ்ரீஸதாஶிவோ தேவதா. அனுஷ்டுப் சந்த꞉. ஶ்ரீஸதாஶிவப்ரீத்யர்தே ஶிவரக்ஷாஸ்தோத்ரஜபே விநியோக꞉. சரிதம் தேவதேவஸ்ய மஹாதேவஸ்ய பாவனம். அபாரம் பரமோதாரம் சதுர்வர்கஸ்ய ஸாதனம். கௌரீவிநாயகோபேதம் பஞ்சவக்த்ரம் த்ரிநேத்ரகம். ஶிவம் த்யாத்வா தஶபுஜம் ஶிவரக்ஷாம் படேன்னர꞉. கங்காதர꞉ ஶிர꞉ பாது பாலமர்தேந்துஶேகர꞉. நயனே மதனத்வம்ஸீ கர்ணௌ ஸர்பவிபூஷண꞉. க்ராணம் பாது புராராதிர்முகம் பாது ஜகத்பதி꞉. ஜிஹ்வாம் வாகீஶ்வர꞉ பாது கந்தராம் ஶிதிகந்தர꞉. ஶ்ரீகண்ட꞉ பாது மே கண்டம் ஸ்கந்தௌ…

श्री शिव तांडव स्तोत्रम्

॥ शिव तांडव स्तोत्र ॥ जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं, चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥ जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी, विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥ धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर, स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि, क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥ जटा भुजङ्ग पिङ्गल स्फुरत्फणा मणिप्रभा, कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे। मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे, मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥ सहस्र लोचनप्रभृत्य शेष लेखशेखर, प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः। भुजङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटक,…

ಶಿವ ರಕ್ಷಾ ಸ್ತೋತ್ರ

|| ಶಿವ ರಕ್ಷಾ ಸ್ತೋತ್ರ || ಓಂ ಅಸ್ಯ ಶ್ರೀಶಿವರಕ್ಷಾಸ್ತೋತ್ರಮಂತ್ರಸ್ಯ. ಯಾಜ್ಞವಲ್ಕ್ಯ-ಋಷಿಃ. ಶ್ರೀಸದಾಶಿವೋ ದೇವತಾ. ಅನುಷ್ಟುಪ್ ಛಂದಃ. ಶ್ರೀಸದಾಶಿವಪ್ರೀತ್ಯರ್ಥೇ ಶಿವರಕ್ಷಾಸ್ತೋತ್ರಜಪೇ ವಿನಿಯೋಗಃ. ಚರಿತಂ ದೇವದೇವಸ್ಯ ಮಹಾದೇವಸ್ಯ ಪಾವನಂ. ಅಪಾರಂ ಪರಮೋದಾರಂ ಚತುರ್ವರ್ಗಸ್ಯ ಸಾಧನಂ. ಗೌರೀವಿನಾಯಕೋಪೇತಂ ಪಂಚವಕ್ತ್ರಂ ತ್ರಿನೇತ್ರಕಂ. ಶಿವಂ ಧ್ಯಾತ್ವಾ ದಶಭುಜಂ ಶಿವರಕ್ಷಾಂ ಪಠೇನ್ನರಃ. ಗಂಗಾಧರಃ ಶಿರಃ ಪಾತು ಭಾಲಮರ್ಧೇಂದುಶೇಖರಃ. ನಯನೇ ಮದನಧ್ವಂಸೀ ಕರ್ಣೌ ಸರ್ಪವಿಭೂಷಣಃ. ಘ್ರಾಣಂ ಪಾತು ಪುರಾರಾತಿರ್ಮುಖಂ ಪಾತು ಜಗತ್ಪತಿಃ. ಜಿಹ್ವಾಂ ವಾಗೀಶ್ವರಃ ಪಾತು ಕಂಧರಾಂ ಶಿತಿಕಂಧರಃ. ಶ್ರೀಕಂಠಃ ಪಾತು ಮೇ ಕಂಠಂ ಸ್ಕಂಧೌ…

शिव रक्षा स्तोत्र

|| शिव रक्षा स्तोत्र || ओम् अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य। याज्ञवल्क्य-ऋषिः। श्रीसदाशिवो देवता। अनुष्टुप् छन्दः। श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थे शिवरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः। चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम्। अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम्। गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम्। शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः। गङ्गाधरः शिरः पातु भालमर्धेन्दुशेखरः। नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषणः। घ्राणं पातु पुरारातिर्मुखं पातु जगत्पतिः। जिह्वां वागीश्वरः पातु कन्धरां शितिकन्धरः। श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ…

ശിവ പഞ്ചാക്ഷര നക്ഷത്രമാലാ സ്തോത്രം

|| ശിവ പഞ്ചാക്ഷര നക്ഷത്രമാലാ സ്തോത്രം || ശ്രീമദാത്മനേ ഗുണൈകസിന്ധവേ നമഃ ശിവായ ധാമലേശധൂതകോകബന്ധവേ നമഃ ശിവായ. നാമശേഷിതാനമദ്ഭവാന്ധവേ നമഃ ശിവായ പാമരേതരപ്രധാനബന്ധവേ നമഃ ശിവായ. കാലഭീതവിപ്രബാലപാല തേ നമഃ ശിവായ ശൂലഭിന്നദുഷ്ടദക്ഷപാല തേ നമഃ ശിവായ. മൂലകാരണായ കാലകാല തേ നമഃ ശിവായ പാലയാധുനാ ദയാലവാല തേ നമഃ ശിവായ. ഇഷ്ടവസ്തുമുഖ്യദാനഹേതവേ നമഃ ശിവായ ദുഷ്ടദൈത്യവംശധൂമകേതവേ നമഃ ശിവായ. സൃഷ്ടിരക്ഷണായ ധർമസേതവേ നമഃ ശിവായ അഷ്ടമൂർതയേ വൃഷേന്ദ്രകേതവേ നമഃ ശിവായ. ആപദദ്രിഭേദടങ്കഹസ്ത തേ നമഃ ശിവായ…

శివ పంచాక్షర నక్షత్రమాలా స్తోత్రం

|| శివ పంచాక్షర నక్షత్రమాలా స్తోత్రం || శ్రీమదాత్మనే గుణైకసింధవే నమః శివాయ ధామలేశధూతకోకబంధవే నమః శివాయ. నామశేషితానమద్భవాంధవే నమః శివాయ పామరేతరప్రధానబంధవే నమః శివాయ. కాలభీతవిప్రబాలపాల తే నమః శివాయ శూలభిన్నదుష్టదక్షపాల తే నమః శివాయ. మూలకారణాయ కాలకాల తే నమః శివాయ పాలయాధునా దయాలవాల తే నమః శివాయ. ఇష్టవస్తుముఖ్యదానహేతవే నమః శివాయ దుష్టదైత్యవంశధూమకేతవే నమః శివాయ. సృష్టిరక్షణాయ ధర్మసేతవే నమః శివాయ అష్టమూర్తయే వృషేంద్రకేతవే నమః శివాయ. ఆపదద్రిభేదటంకహస్త తే నమః శివాయ…

சிவா பஞ்சாக்ஷர நக்ஷத்ராமாலா ஸ்தோத்திரம்

|| சிவா பஞ்சாக்ஷர நக்ஷத்ராமாலா ஸ்தோத்திரம் || ஶ்ரீமதாத்மனே குணைகஸிந்தவே நம꞉ ஶிவாய தாமலேஶதூதகோகபந்தவே நம꞉ ஶிவாய। நாமஶேஷிதானமத்பவாந்தவே நம꞉ ஶிவாய பாமரேதரப்ரதானபந்தவே நம꞉ ஶிவாய। காலபீதவிப்ரபாலபால தே நம꞉ ஶிவாய ஶூலபின்னதுஷ்டதக்ஷபால தே நம꞉ ஶிவாய। மூலகாரணாய காலகால தே நம꞉ ஶிவாய பாலயாதுனா தயாலவால தே நம꞉ ஶிவாய। இஷ்டவஸ்துமுக்யதானஹேதவே நம꞉ ஶிவாய துஷ்டதைத்யவம்ஶதூமகேதவே நம꞉ ஶிவாய। ஸ்ருஷ்டிரக்ஷணாய தர்மஸேதவே நம꞉ ஶிவாய அஷ்டமூர்தயே வ்ருஷேந்த்ரகேதவே நம꞉ ஶிவாய। ஆபதத்ரிபேதடங்கஹஸ்த தே நம꞉ ஶிவாய…

ಶಿವ ಪಂಚಾಕ್ಷರ ನಕ್ಷತ್ರಮಾಲಾ ಸ್ತೋತ್ರ

|| ಶಿವ ಪಂಚಾಕ್ಷರ ನಕ್ಷತ್ರಮಾಲಾ ಸ್ತೋತ್ರ || ಶ್ರೀಮದಾತ್ಮನೇ ಗುಣೈಕಸಿಂಧವೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ ಧಾಮಲೇಶಧೂತಕೋಕಬಂಧವೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ. ನಾಮಶೇಷಿತಾನಮದ್ಭವಾಂಧವೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ ಪಾಮರೇತರಪ್ರಧಾನಬಂಧವೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ. ಕಾಲಭೀತವಿಪ್ರಬಾಲಪಾಲ ತೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ ಶೂಲಭಿನ್ನದುಷ್ಟದಕ್ಷಪಾಲ ತೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ. ಮೂಲಕಾರಣಾಯ ಕಾಲಕಾಲ ತೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ ಪಾಲಯಾಧುನಾ ದಯಾಲವಾಲ ತೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ. ಇಷ್ಟವಸ್ತುಮುಖ್ಯದಾನಹೇತವೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ ದುಷ್ಟದೈತ್ಯವಂಶಧೂಮಕೇತವೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ. ಸೃಷ್ಟಿರಕ್ಷಣಾಯ ಧರ್ಮಸೇತವೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ ಅಷ್ಟಮೂರ್ತಯೇ ವೃಷೇಂದ್ರಕೇತವೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ. ಆಪದದ್ರಿಭೇದಟಂಕಹಸ್ತ ತೇ ನಮಃ ಶಿವಾಯ…

शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र

|| शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र || श्रीमदात्मने गुणैकसिन्धवे नमः शिवाय धामलेशधूतकोकबन्धवे नमः शिवाय। नामशेषितानमद्भवान्धवे नमः शिवाय पामरेतरप्रधानबन्धवे नमः शिवाय। कालभीतविप्रबालपाल ते नमः शिवाय शूलभिन्नदुष्टदक्षपाल ते नमः शिवाय। मूलकारणाय कालकाल ते नमः शिवाय पालयाधुना दयालवाल ते नमः शिवाय। इष्टवस्तुमुख्यदानहेतवे नमः शिवाय दुष्टदैत्यवंशधूमकेतवे नमः शिवाय। सृष्टिरक्षणाय धर्मसेतवे नमः शिवाय अष्टमूर्तये वृषेन्द्रकेतवे नमः शिवाय। आपदद्रिभेदटङ्कहस्त ते नमः शिवाय…

शिव जी स्तुति

॥ शिव स्तुति ॥ आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥ निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव, जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा ॥ आशुतोष शशाँक शेखर… निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा, दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा ॥ आशुतोष शशाँक शेखर… शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी,…

शिव चालीसा

॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल…

शिव जी आरती

॥आरती॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे । त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला…