देवी-भागवतम् पुराण, हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक है। यह पुराण देवी भागवत के नाम से भी जाना जाता है और इसकी विशेषता यह है कि इसमें देवी शक्ति, विशेष रूप से माता दुर्गा, काली, और अन्य शक्ति रूपों की महिमा का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह पुराण भक्ति, धर्म और आध्यात्मिकता के मार्ग को दर्शाता है और यह विशेष रूप से शाक्त संप्रदाय में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
देवी-भागवतम् पुराण कुल 18 अध्यायों में विभाजित है। इसमें 12 कांड और 1 उपकांड है। इसमें मुख्यतः देवी की आराधना, उनकी महिमा और भक्तों के लिए मार्गदर्शन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पुराण का मुख्य उद्देश्य देवी की शक्ति और उसकी उपासना के महत्व को समझाना है।
देवी-भागवतम् पुराण के मुख्य विषय
- देवी-भागवतम् पुराण में देवी की सृजनात्मक शक्ति और उसके विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन है। इसमें देवी की शक्ति, उनके अवतार और उनके भक्तों पर उनके अनुग्रह का विस्तृत वर्णन किया गया है।
- इस पुराण में शक्ति पूजा और उसकी विधियों पर गहरा प्रकाश डाला गया है। इसमें देवी की आराधना, पूजा विधियाँ, और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली कृपा के बारे में विस्तार से बताया गया है।
- देवी-भागवतम् पुराण में कई भक्तों की कथाएँ और उनकी देवी के प्रति भक्ति का वर्णन किया गया है। ये कहानियाँ भक्ति के आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती हैं और भक्तों को प्रेरित करती हैं।
- यह पुराण धार्मिक कर्तव्यों और नैतिकता पर भी प्रकाश डालता है। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लिए धार्मिक और नैतिक मार्गदर्शन प्रदान किया गया है।