हरियाली तीज, भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है और कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं। हरियाली तीज पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, झूला झूलती हैं और पारंपरिक गीत गाकर खुशियां मनाती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि साल 2025 में हरियाली तीज कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है, पूजा विधि क्या है और इससे जुड़ी व्रत कथा क्या है।
हरियाली तीज 2025 कब है?
हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। साल 2025 में हरियाली तीज 28 जुलाई, 2025 सोमवार को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
हरियाली तीज 2025 शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त से लेकर प्रदोष काल तक पूजा की जा सकती है।
- तृतीया तिथि प्रारंभ: 27 जुलाई 2025, रविवार, शाम 04:30 बजे से
- तृतीया तिथि समाप्त: 28 जुलाई 2025, सोमवार, शाम 06:10 बजे तक
- उदया तिथि के अनुसार हरियाली तीज: 28 जुलाई 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।
हरियाली तीज पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। पूजा विधि इस प्रकार है:
- हरियाली तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और हरे रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा का संकल्प लें।
- एक स्वच्छ स्थान पर चौकी स्थापित करें और उस पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं।
- चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री जैसे चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, महावर, चुनरी, साड़ी आदि अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल और माता पार्वती को लाल फूल अर्पित करें। फल, मिठाई, सूखे मेवे और घेवर का भोग लगाएं।
- धूप और दीपक प्रज्ज्वलित करें।
- हरियाली तीज की व्रत कथा का श्रवण करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
- पूजा के बाद देवी-देवताओं की परिक्रमा करें और किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें।
- पूजा के बाद ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।
हरियाली तीज व्रत कथा
हरियाली तीज की व्रत कथा भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम और तपस्या से जुड़ी है। पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने 107 जन्मों तक तपस्या की, लेकिन भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए। 108वें जन्म में माता पार्वती ने घोर तपस्या की। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया कि उन्होंने भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को उनका वरण किया था। तभी से यह दिन हरियाली तीज के रूप में मनाया जाने लगा और मान्यता है कि इस दिन जो भी सुहागिन स्त्री सच्चे मन से शिव-पार्वती की पूजा करती है, उसे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व महिलाओं को एक साथ आने, खुशियां मनाने और अपनी संस्कृति से जुड़ने का अवसर देता है। इस दिन मायके से ससुराल में बेटियों के लिए ‘सिंधारा’ भेजने की परंपरा भी है, जिसमें मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार सामग्री शामिल होती है। यह परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सम्मान को दर्शाता है।
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