बुधवार, 29 अक्टूबर 2025 (कार्तिक शुक्ल सप्तमी), हर साल, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गुजरात और पूरे विश्व में संत शिरोमणि जलाराम बापा जयंती 2025 (Jalaram Bapa Jayanti 2025) बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाएगी। यह पर्व केवल एक संत का जन्मदिन नहीं है, बल्कि मानव सेवा और निःस्वार्थ करुणा की उस अद्भुत गाथा का स्मरण है, जिसने लाखों लोगों के जीवन को नई दिशा दी।
जलाराम बापा, जिनका जन्म गुजरात के वीरपुर (Virpur) गाँव में हुआ, ने अपने सम्पूर्ण जीवन को “सदाव्रत” यानी हर आने वाले व्यक्ति को मुफ्त भोजन कराने के संकल्प को समर्पित कर दिया। आइए, इस विशेष अवसर पर हम उनके जीवन के ऐसे अद्भुत और प्रेरक रहस्यों को जानें, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
जलाराम बापा जयंती – संत जलाराम से जुड़े अद्भुत रहस्य
‘सदाव्रत’ का संकल्प – सेवा ही सर्वोच्च धर्म (Service is Supreme Religion)
जलाराम बापा का सबसे बड़ा योगदान उनका “सदाव्रत” था। उन्होंने अपने घर के द्वार हर किसी के लिए खोल दिए, चाहे वह अमीर हो या गरीब, किसी भी जाति या धर्म का हो। उनके वीरपुर स्थित आश्रम में आज भी यह परंपरा अविराम जारी है, जो दुनिया में अपने आप की अनूठी मिसाल है, जहाँ दशकों से बिना किसी सरकारी सहायता के लाखों लोगों को भोजन कराया जाता है।
अद्वितीय रहस्य
- ईश्वर पर अटूट विश्वास (Unwavering Faith) – बापा के सदाव्रत का संचालन कभी भी धन-संग्रह या दान के सहारे नहीं चला। उनका अटूट विश्वास था कि जिसे भगवान ने भेजा है, उसके भोजन का प्रबंध भी वही करेंगे। यह विश्वास ही इस सेवा की “आधारशिला” (foundation) था।
- वीरबाई माँ का समर्थन – बापा की पत्नी, वीरबाई माँ, ने उनके इस कठिन संकल्प को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका गृहस्थ जीवन त्याग और सेवा का अप्रतिम उदाहरण है।
गृहस्थ जीवन में अध्यात्म – त्याग का मार्ग (Path of Renunciation in Household Life)
कई संत सांसारिक जीवन त्याग कर मोक्ष की तलाश करते हैं, लेकिन जलाराम बापा ने गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी उच्चतम अध्यात्म को प्राप्त किया। उन्होंने अपने घर को ही “धर्मशाला” (Dharamshala) और भोजन को “प्रसाद” (Prasad) बना दिया।
अद्वितीय रहस्य
- गुरू की परीक्षा और आशीर्वाद – कहा जाता है कि उनके गुरु संत श्री भोजलराम ने बापा की सेवा भावना की परीक्षा लेने के लिए उन्हें एक बार अपनी पत्नी वीरबाई को सौंपने को कहा। बापा ने बिना किसी संकोच के यह स्वीकार कर लिया। बापा के इस त्याग और समर्पण को देखकर गुरु अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें वापस वीरबाई सौंपते हुए आशीर्वाद दिया कि उनकी सेवा और करुणा की कीर्ति पूरे जगत में फैलेगी। यह घटना उनके अनासक्ति (detachment) को दर्शाती है।
- राम नाम की शक्ति – बापा भगवान राम के अनन्य भक्त थे। उनकी करुणा और सेवा का मूल मंत्र ‘राम नाम’ ही था।
जलाराम बापा के चमत्कारी अनुभव (Miraculous Experiences)
जलाराम बापा के जीवन में कई ऐसे चमत्कारी प्रसंग मिलते हैं, जो उनकी दैवीय शक्ति और करुणा को दर्शाते हैं। ये चमत्कार किसी शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि मानव कल्याण के लिए हुए।
अद्वितीय रहस्य
- सूखे कुएं में जल – एक समय वीरपुर में भयंकर अकाल पड़ा और आश्रम का कुआँ सूख गया। भक्तों के भोजन के लिए पानी की कमी हुई। बापा ने ईश्वर से प्रार्थना की, और कहते हैं कि अगले ही दिन कुएं में पानी का “अद्भुत प्रवाह” (miraculous flow) शुरू हो गया, जो आज तक अनवरत चल रहा है।
- चमत्कारिक अनाज की टोकरी – कई बार जब आश्रम में अनाज लगभग समाप्त हो जाता था, तब बापा के विश्वास के चलते वह टोकरी कभी खाली नहीं होती थी। यह भक्तों को यह सिखाता है कि निस्वार्थ सेवा में लगी शक्ति को प्रकृति भी अपना आशीर्वाद देती है।
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