|| जयस्तुतिः अथवा शिवचामरस्तोत्रम् ||
जय सर्वजनाधीश जय गौरीपते शिव ।
जय देव महादेव जयगङ्गाधरेश्वर ॥ १॥
जय दग्धपुराध्यक्ष जय कालान्तकारक ।
जय कामविरामेश जय भक्तानुकम्पक ॥ २॥
जय त्रैलोक्यसंरक्षिन् जय निर्गुण सद्गुण ।
जयानन्तगुणारम्भ जय घोर महेश्वर ॥ ३॥
जय चन्द्रकलाक्रान्त जय नागेन्द्रभूषण ।
जय पुङ्गवसत्केतो जय त्र्यक्ष महेश्वर ॥ ४॥
जयान्तकरिपो शम्भो जय ब्रह्मादिकारण ।
जय पञ्चकलातीत जय शूलिन्कपालभृत् ॥ ५॥
जयोपेन्द्रेन्द्रचन्द्राद्य जय नन्द्यादिवन्दित ।
जयानेकगणाधीश जय स्वामिन् महेश्वर ॥ ६॥
जय विश्वाद्य विश्वेश जय विश्वैककारण ।
जय विश्वसृजां मुख्य जय विश्वस्य सद्गुरो ॥ ७॥
जय निरामय जय सुधामय जय धृतामृतदीधिते
जय हतान्तक जय कृतान्तक जय पुरान्तक सद्गते ।
जय परापर जय दयापर जय नतार्पितसद्गते
जय जितस्मर जय महेश्वर जय जय त्रिजगत्पते ॥ ८॥
इति जयस्तुतिः समाप्ता ।
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