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कजरी तीज व्रत कथा एवं पूजन विधि

Kajri Teej Vrat Katha Pujan Vidhi Hindi

MiscVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
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कजरी तीज व्रत कथा का पठन सुहागिन स्त्रियों के लिए अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निराहार रहकर पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। कजरी तीज व्रत कथा PDF डाउनलोड करके कथा को पढ़ना और सुनना बहुत सरल हो गया है, जिससे व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। इस कथा में एक निर्धन ब्राह्मण परिवार की श्रद्धा और मां भगवती की कृपा का सुंदर वर्णन है, जो भक्तों के जीवन को संवार देता है।

|| कजरी तीज की कथा (Kajri Teej Vrat Katha PDF) ||

पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में एक ब्राह्मण और ब्राह्मणी रहते थे, जो बहुत गरीब थे। ब्राह्मण की पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा। व्रत की पूजा करने के लिए उसने अपनी पति से कहा कि वो उसके लिए चने का सत्तू लेकर आए। ये सुनकर पति बहुत हैरान-परेशान हो गया क्योंकि उसके पास सत्तू खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। बहुत देर सोचने के बाद उसने चोरी करने का विचार बनाया।

रात का समय था और ब्राह्मण चोरी करने निकल गया। वो एक साहूकार की दुकान में पहुंचा। चोरी करने के बाद वो जैसे ही बाहर निकलने लगा। साहूकार की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया। उधर चांद निकल गया था ब्राह्मण की पत्नी बेसब्री से अपने पति के आने का इन्तजार कर रही थी।

जब ब्राह्मण पकड़ा गया तो उसने साहूकार से बहुत मांफी मांगी और कहा कि वो कोई चोर नहीं है, मजबूरी की वजह से उसे चोरी करनी पड़ी। पहले उस साहूकार को ब्राह्मण की बात पर यकीन नहीं हुआ लेकिन जब उसने छान-बीन की तो सत्तू के अलावा ब्राह्मण के पास से कुछ नहीं मिला।

ब्राह्मण की सारी बातें सुनने के बाद साहूकार ने कहा कि वो उसे माफ कर देगा लेकिन एक शर्त पर। वो शर्त ये थी कि आज से वो उसकी पत्नी को अपनी धर्म बहन मानेगा। इन सारी बातों के बाद साहूकार ने बहुत सा सत्तू, गहने, मेहंदी और पैसे दे कर ब्राह्मण को प्रेम से विदा कर दिया।

जिस प्रकार उस ब्राह्मण के जीवन से दुःख चला गया। उसी तरह कजली तीज माता सब की मनोकामना को पूर्ण कर सुखी जीवन का आशीर्वाद आप सब पर बनाए रखें।

|| कजरी तीज पूजा विधि ||

  • कजरी तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
  • फिर घर के मंदिर में एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • इसके बाद चौकी पर मां पार्वती और शिवजी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • अब माता पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
  • वहीं शिवजी की प्रतिमा पर गंगाजल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और आक के फूल चढ़ाएं।
  • इसके बाद भगवान शिव और मां पार्वती की विधि- विधान से पूजा करें।
  • पूजा के बाद इस दिन कजरी तीज व्रत की कथा जरूर सुनें।
  • इसके बाद विवाहित महिलाओं को सुहाग की सामग्री दान करें।

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