हर घर की रसोई (Kitchen) सिर्फ भोजन बनाने का स्थान नहीं, बल्कि वह पवित्र कोना है जहाँ माँ अन्नपूर्णा (Maa Annapurna) निवास करती हैं। अन्नपूर्णा जयंती (Annapurna Jayanti) का दिन, जो मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इस बात का स्मरण कराता है कि भोजन का सम्मान और रसोई की पवित्रता कितनी आवश्यक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माँ पार्वती ने पृथ्वी पर अन्न की कमी दूर करने के लिए माँ अन्नपूर्णा के रूप में अवतार लिया था।
यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में कभी अन्न और धन की कमी न हो, सुख-समृद्धि (Happiness and Prosperity) बनी रहे, तो अन्नपूर्णा जयंती के अवसर पर विशेष रूप से अपनी रसोई से जुड़े इन 7 महत्वपूर्ण वास्तु (Vastu) और धार्मिक नियमों को अपनाएं। माँ की कृपा पाने का यह सबसे सरल और प्रभावी उपाय है।
किचन में रखें इन 7 बातों का ध्यान (7 Essential Kitchen Care Tips)
रसोई की दिशा और चूल्हे का स्थान (Kitchen Direction and Placement of Stove)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, रसोई का स्थान आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में होना सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह अग्नि तत्व का कोना है। यदि आपकी रसोई इस दिशा में नहीं है, तो एक उपाय करें: चूल्हा (Gas Stove) हमेशा ऐसे रखें कि खाना बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) और अच्छी सेहत लाती है।
- अन्नपूर्णा जयंती पर उपाय – इस दिन अपने चूल्हे (स्टोव) की हल्दी, कुमकुम और अक्षत से विधि-विधान से पूजा करें, क्योंकि इसे माँ का स्वरूप माना जाता है।
पानी और आग का संतुलन (Balance of Water and Fire Elements)
किचन में पानी (जैसे सिंक, पानी का बर्तन) और अग्नि (जैसे गैस स्टोव) का स्थान एक साथ नहीं होना चाहिए। वास्तु के अनुसार, ये दोनों विपरीत तत्व हैं और इनके टकराव से घर में कलह (Conflict) और धन हानि (Financial Loss) हो सकती है। सिंक को हमेशा उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें।
- अन्नपूर्णा जयंती पर उपाय – चूल्हे के पास एक छोटा तांबे का कलश (Copper Pot) जल से भरकर रखें, जो अग्नि और जल तत्व के बीच संतुलन बनाएगा।
अन्न का सम्मान (Respect for Food Grain)
माँ अन्नपूर्णा को अन्न की देवी कहा जाता है, इसलिए अन्न का कभी भी अपमान (Disrespect) या बर्बादी (Wastage) नहीं करनी चाहिए। अनाज को हमेशा सम्मानपूर्वक संभालकर रखें। अनाज के भंडारण (Storage) का स्थान रसोई के उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए।
- अन्नपूर्णा जयंती पर उपाय – इस दिन अपने अन्न के भंडार (चावल, गेहूं आदि) की पूजा करें और उसमें एक चांदी का सिक्का (Silver Coin) या कुछ चावल के दाने (Rice Grains) हल्दी से रंगकर रखें। साथ ही, किसी ज़रूरतमंद को अन्न का दान (Donation of Food) अवश्य करें।
स्वच्छ और व्यवस्थित रसोई (Clean and Organized Kitchen is Key)
गंदी और अव्यवस्थित रसोई (Messy Kitchen) घर में नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) को आमंत्रित करती है, जिससे धन की देवी माँ लक्ष्मी और अन्न की देवी माँ अन्नपूर्णा दोनों अप्रसन्न होती हैं। रात में जूठे बर्तन सिंक में बिल्कुल न छोड़ें। रसोई को हमेशा साफ-सुथरा (Spotless) और व्यवस्थित रखें।
- अन्नपूर्णा जयंती पर उपाय – इस दिन रसोई की गहन सफाई (Deep Cleaning) करें, कबाड़ या टूटे-फूटे बर्तन (Broken Utensils) तुरंत बाहर निकाल दें।
ताज़ा भोजन और प्रसन्न मन (Fresh Food and Happy Mind)
हमेशा ताज़ा (Fresh) और सात्विक भोजन ही पकाएँ। बासी या बचा हुआ खाना (Leftover Food) नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। सबसे महत्वपूर्ण, भोजन बनाते समय मन में प्रेम, शांति और अच्छे विचार (Positive Thoughts) रखें। गुस्से या तनाव (Stress) में बनाया गया भोजन आपके परिवार के स्वास्थ्य (Health) और रिश्तों (Relationships) पर बुरा असर डालता है।
- अन्नपूर्णा जयंती पर उपाय – इस दिन माँ को भोग लगाने के लिए अपने हाथों से हलवा-पूरी या खीर जैसा कोई सात्विक प्रसाद (Naivedya) तैयार करें।
रसोई में दर्पण का प्रयोग (Use of Mirror in the Kitchen)
वास्तु के अनुसार, रसोईघर में कभी भी दर्पण (Mirror) नहीं लगाना चाहिए। अगर गलती से भी दर्पण में चूल्हा दिखाई देता है, तो यह अग्नि तत्व को दोगुना कर देता है, जिससे घर में समस्याएँ और दुर्घटनाएँ (Accidents) बढ़ सकती हैं।
- उपाय – अगर दर्पण लगा है, तो उसे तुरंत हटा दें। अगर हटाना संभव न हो, तो उसे कपड़े से ढक दें।
पहला भोग और अंतिम रोटी (First Offering and Last Roti)
घर में भोजन बनने के बाद पहली रोटी हमेशा गाय (Cow) के लिए या पक्षियों के लिए निकालनी चाहिए। धार्मिक रूप से गाय में तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसी तरह, भोजन परोसने से पहले थोड़ा सा भोजन अग्नि को अर्पित कर ‘अग्नि-भोग’ लगाना चाहिए, जिसे वैश्वदेव कहते हैं।
- अन्नपूर्णा जयंती पर उपाय – इस पावन दिन पर, पहली रोटी गाय को, दूसरी कुत्ते को और तीसरी रोटी कौए को खिलाने का संकल्प लें। इससे माँ अन्नपूर्णा अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
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