मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा PDF हिन्दी
Download PDF of Masik Durgashtami Vrat Katha Puja Vidhi
Durga Ji ✦ Vrat Katha (व्रत कथा संग्रह) ✦ हिन्दी
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा हिन्दी Lyrics
|| मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा ||
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में असुर दंभ को महिषासुर नाम का एक पुत्र हुआ। महिषासुर में बचपन से ही अमर होने की प्रबल इच्छा थी। इस इच्छा को पूरा करने के लिए उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या शुरू की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे वरदान मांगने को कहा। महिषासुर ने अमरता का वरदान मांगा।
ब्रह्मा जी ने उसे अमरता का वरदान देने से इनकार कर दिया क्योंकि जन्म और मृत्यु का चक्र अटल है। तब महिषासुर ने वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु केवल एक स्त्री के हाथों हो, न कि किसी देवता, मानव या अन्य दैत्य के हाथों। ब्रह्मा जी ने यह वरदान दे दिया।
इस वरदान से अहंकारी महिषासुर ने अपनी सेना के साथ पृथ्वी पर आक्रमण कर दिया, जिससे चारों ओर तबाही मच गई। उसने पृथ्वी और पाताल पर कब्जा करने के बाद इंद्रलोक पर भी आक्रमण किया और इंद्र देव को पराजित कर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया।
महिषासुर से परेशान होकर सभी देवी-देवता त्रिदेवों – महादेव, ब्रह्मा और विष्णु के पास सहायता मांगने पहुंचे। विष्णु जी ने देवी शक्ति के निर्माण की सलाह दी। सभी देवताओं ने मिलकर देवी शक्ति को पुकारा। सभी देवताओं के शरीर से निकले तेज से एक अत्यंत सुंदर सुंदरी का निर्माण हुआ। यह थीं मां आदिशक्ति, जिनके रूप और तेज से सभी देवता भी आश्चर्यचकित हो गए।
त्रिदेवों की मदद से निर्मित हुई देवी दुर्गा को हिमवान ने सिंह की सवारी दी और अन्य देवताओं ने उन्हें अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र सौंपे। स्वर्ग में देवी दुर्गा को इस समस्या से निपटने के लिए तैयार किया गया।
महिषासुर देवी दुर्गा के सौंदर्य से आकर्षित हो गया और विवाह का प्रस्ताव भेजा। इस प्रस्ताव ने देवी भगवती को क्रोधित कर दिया और उन्होंने महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारा। ब्रह्मा जी से मिले वरदान के अहंकार में डूबा महिषासुर युद्ध के लिए तैयार हो गया।
इस युद्ध में देवी दुर्गा ने महिषासुर की संपूर्ण सेना का नाश कर दिया। यह युद्ध नौ दिनों तक चला। महिषासुर ने विभिन्न रूप धारण कर देवी को छलने की कोशिश की, लेकिन अंततः देवी भगवती ने अपने चक्र से उसका सिर काटकर उसे मार डाला।
कहा जाता है कि जिस दिन मां भगवती ने महिषासुर के पापों से स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल को मुक्त किया, उसी दिन से दुर्गा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है।
मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि
- माता दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें।
- माता को लाल चंदन, सिंदूर, बिंदी और चुनरी से श्रृंगार करें।
- लाल रंग के जवा कुसुम के फूल चढ़ाएं।
- घी का दीपक जलाकर माता को अर्पित करें।
- जल से अर्ध्य दें।
- दूध, दही, घी, शहद आदि से अभिषेक करें।
- धूप और दीप दिखाएं।
- माता को खीर, फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
- माता की आरती उतारें।
मासिक दुर्गाष्टमी पर मंत्र जाप
- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।।
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
- ॐ दुर्गे देवि सर्वभूतेषु माता सर्वभूतेषु शक्तिः सर्वभूतेषु लक्ष्मीः सर्वभूतेषु गौरी।
- ॐ नमः कलिकायै
Join HinduNidhi WhatsApp Channel
Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!
Join Nowमासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा
READ
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा
on HinduNidhi Android App