भगवान मुरुगन, जिन्हें स्कंद, कार्तिकेय, सुब्रह्मण्यम और षडानन के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र, और भगवान गणेश के छोटे भाई हैं। दक्षिण भारत में उनकी पूजा विशेष रूप से लोकप्रिय है, जहाँ उन्हें ‘तमिल कडवुल’ यानी तमिलों के भगवान के रूप में पूजा जाता है। वे युद्ध के देवता, ज्ञान के प्रतीक और युवाओं के आदर्श माने जाते हैं। उनके अनेक मंदिर हैं, जिनमें से कई अपने अद्वितीय स्थापत्य, चमत्कारों और रहस्यों के लिए जाने जाते हैं। आइए, जानते हैं भगवान मुरुगन के कुछ प्रमुख और रहस्यमयी मंदिरों के बारे में।
भगवान मुरुगन की उत्पत्ति और महत्व
भगवान मुरुगन की उत्पत्ति की कथा कई पुराणों में वर्णित है। सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, जब तारकासुर नामक राक्षस के अत्याचार बढ़ गए और उसे केवल भगवान शिव के पुत्र ही मार सकते थे, तब देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव के तेज से मुरुगन का जन्म हुआ। उन्हें देवताओं का सेनापति बनाया गया और उन्होंने तारकासुर का वध किया।
उनके छह मुख (षडानन) हैं, जो छह गुणों या दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं:
- ज्ञान
- शक्ति
- यश
- वैराग्य
- ऐश्वर्य
- तेज
वे मोर पर सवार रहते हैं और उनके हाथों में शक्ति वेल (भाला) होता है, जो ज्ञान और विजय का प्रतीक है।
भगवान मुरुगन के प्रमुख और रहस्यमयी मंदिर
दक्षिण भारत में भगवान मुरुगन के कई प्राचीन और शक्तिशाली मंदिर हैं, जिनमें से छह मंदिर विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं और इन्हें अरुवदु वीडु (Arupadai Veedu) यानी “छह सैन्य निवास” कहा जाता है। ये मंदिर भगवान मुरुगन के जीवन की विभिन्न घटनाओं और उनके युद्ध अभियानों से जुड़े हुए हैं।
1. पलानी मुरुगन मंदिर (Palani Murugan Temple), तमिलनाडु
यह अरुवदु वीडु में सबसे प्रसिद्ध और श्रद्धेय मंदिर है। यह मंदिर डिंडीगुल जिला, तमिलनाडु एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और माना जाता है कि भगवान मुरुगन यहीं पर ज्ञान की तलाश में आए थे।
रहस्य और चमत्कार
- यहाँ की मुख्य मूर्ति ‘भोगी सिद्धर’ नामक एक सिद्ध योगी द्वारा नवपाषाण (नौ जहरीले पदार्थों के मिश्रण) से बनाई गई है। माना जाता है कि इस मूर्ति से निकलने वाले पदार्थ में औषधीय गुण होते हैं और यह कई बीमारियों को ठीक कर सकता है।
- मूर्ति पर किए जाने वाले अभिषेकम का प्रसाद (पंचामृत) भक्तों के लिए अत्यधिक पवित्र माना जाता है।
- भक्तों को पहाड़ी पर चढ़ने के लिए 600 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, जो तपस्या और समर्पण का प्रतीक है।
2. तिरुचेंदूर मुरुगन मंदिर (Thiruchendur Murugan Temple), तमिलनाडु
यह अरुवदु वीडु में एकमात्र मंदिर है जो थूथुकुड़ी जिला, तमिलनाडु समुद्र तट पर स्थित है। यहीं पर भगवान मुरुगन ने तारकासुर को पराजित किया था।
रहस्य और चमत्कार
- मंदिर बंगाल की खाड़ी के ठीक किनारे पर है। आश्चर्यजनक रूप से, उच्च ज्वार के दौरान भी समुद्र का पानी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं करता।
- मंदिर के ठीक बगल में समुद्र के खारे पानी के बीच एक मीठे पानी का कुआँ (नाज़ी-किणरु) है, जिसे भगवान मुरुगन ने अपने भाले से बनाया था। इसका पानी औषधीय गुणों वाला माना जाता है।
- यहाँ हर साल सुर-संहारम नामक भव्य उत्सव मनाया जाता है, जो भगवान मुरुगन की राक्षस सुरपद्मन पर विजय का प्रतीक है।
3. थिरुपरमकुंद्रम मुरुगन मंदिर (Thiruparankundram Murugan Temple), तमिलनाडु
यह मदुरै, तमिलनाडु, अरुवदु वीडु में पहला मंदिर माना जाता है और यहीं पर भगवान मुरुगन ने देवसेना से विवाह किया था।
रहस्य और चमत्कार
- यह मंदिर पूरी तरह से एक विशाल चट्टान को काटकर बनाया गया है, जो प्राचीन कारीगरों की अद्भुत वास्तुकला को दर्शाता है।
- मंदिर के गर्भगृह में भगवान मुरुगन के साथ-साथ भगवान शिव, भगवान विष्णु, भगवान गणेश और देवी दुर्गा की मूर्तियां भी हैं, जो इसकी अनूठी विशेषता है।
4. स्वामीमलाई मुरुगन मंदिर (Swamimalai Murugan Temple), तमिलनाडु
मदुरै, तमिलनाडु, इस मंदिर का नाम ‘स्वामीमलाई’ इसलिए पड़ा क्योंकि यहीं पर भगवान मुरुगन ने अपने पिता भगवान शिव को ‘प्रणव मंत्र’ (ओम) का अर्थ समझाया था।
रहस्य और चमत्कार
- यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहाँ पुत्र (मुरुगन) अपने पिता (शिव) को गुरु के रूप में शिक्षा देते हैं। यह दर्शाता है कि ज्ञान उम्र से नहीं बल्कि योग्यता से आता है।
- मंदिर में 60 कदम या सीढ़ियाँ हैं, जो तमिल कैलेंडर में 60 वर्षों के चक्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रत्येक वर्ष का अपना महत्व होता है।
5. तिरुत्तनी मुरुगन मंदिर (Thiruthani Murugan Temple), तमिलनाडु
तिरुवल्लूर जिला, तमिलनाडु। यह वह स्थान है जहाँ भगवान मुरुगन ने युद्ध के बाद अपना क्रोध शांत किया और शांति प्राप्त की।
रहस्य और चमत्कार
- यह मंदिर शांति और आत्म-नियंत्रण का प्रतीक है। माना जाता है कि यहाँ दर्शन करने से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
- यहाँ की मुख्य मूर्ति की ‘वेल’ (भाला) भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति और सुरक्षा प्रदान करने वाला माना जाता है।
6. पाझामुदिरचोलाई मुरुगन मंदिर (Pazhamudircholai Murugan Temple), तमिलनाडु
यह अरुवदु वीडु में अंतिम मंदिर है और मदुरै के पास, अज़गरकोविल पहाड़ी पर, तमिलनाडु, एक घने जंगल के भीतर स्थित है। यह मंदिर प्रकृति की सुंदरता और आध्यात्मिकता के मिश्रण का प्रतीक है।
रहस्य और चमत्कार
- यह मंदिर घने जंगल और हरे-भरे वातावरण से घिरा हुआ है, जो इसे एक शांत और ध्यानपूर्ण स्थान बनाता है।
- इस मंदिर से जुड़ी एक प्रसिद्ध कहानी है जहाँ भगवान मुरुगन ने एक बूढ़ी महिला (कवि औवाइयार) को ज्ञान का महत्व सिखाया था।
- मंदिर के पास एक पवित्र झरना है, जिसे नूपुरा गंगा कहा जाता है, जहाँ से पानी निकलता रहता है।
अन्य महत्वपूर्ण कुमार स्वामी मंदिर
इन छह अरुवदु वीडु मंदिरों के अलावा भी भारत और दुनिया भर में भगवान मुरुगन के कई अन्य महत्वपूर्ण और प्राचीन मंदिर हैं:
- मुरुगा मंदिर, मालगुमुरुगन (Muruga Temple, Maalgumurugan), केरल – यह केरल के सबसे पुराने मुरुगन मंदिरों में से एक है।
- इरुगुंडी सुब्रह्मण्य स्वामी मंदिर (Irugundi Subramanya Swamy Temple), कर्नाटक – यह कर्नाटक में एक प्राचीन मंदिर है, जो अपने स्थापत्य और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
- कठारगामा मंदिर (Kataragama Temple), श्रीलंका – यह श्रीलंका में एक बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण मंदिर है, जो हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के लोगों द्वारा पूजा जाता है।
- बाटू गुफाएं (Batu Caves), मलेशिया – मलेशिया में स्थित यह विशाल चूना पत्थर की गुफाएं एक विशाल मुरुगन प्रतिमा के साथ एक प्रमुख तीर्थ स्थल हैं, विशेष रूप से थाईपुसम उत्सव के दौरान। 272 सीढ़ियों से ऊपर स्थित यह मंदिर पर्वत और गुफा के अद्भुत संगम पर बना है।
- कालीमपोंग मुरुगन मंदिर (नेपाल) – भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित यह मंदिर भक्तों की लंबी आस्था से जुड़ा है।
भगवान मुरुगन की पूजा विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मंदिर या घर में मुरुगन की मूर्ति/चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
- केवड़ा, केला, गुड़, और पंचामृत अर्पित करें।
- “ॐ सरवनभवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- स्कंद षष्ठी कवच या सुब्रह्मण्य भुजंग स्तोत्र का पाठ करें।
भगवान मुरुगन की कृपा से मिलने वाले लाभ
- शत्रु बाधा से रक्षा
- मन की शांति और आत्मबल में वृद्धि
- बुद्धि और ज्ञान में तेज़ी
- विवाह और संतान से जुड़ी बाधाओं का समाधान
- आध्यात्मिक उन्नति और भक्ति में वृद्धि
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