॥ श्री नवनाग स्तोत्र पाठ विधि ॥
- श्री नवनाग स्तोत्र का पाठ शुरू करने से पहले प्रातः नित्य कर्मों से निवृत्त होकर भगवान शंकर का ध्यान करें।
- इस दौरान कालसर्प दोष यंत्र का भी पूजन कर सकते हैं।
- सबसे पहले दूध से कालसर्प दोष यंत्र का अभिषेक करें और फिर इसे गंगाजल से स्नान कराएं।
- इसके पश्चात सफेद पुष्प, धूप और दीप से यंत्र का पूजन करें।
- इसके बाद पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री नवनाग स्तोत्र का पाठ आरंभ करें।
- इस पाठ से कालसर्प दोष का निवारण होता है।
- मनुष्य को अपने सभी कार्यक्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
- पाठ के प्रभाव से जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।
॥ श्री नवनाग स्तोत्र एवं अर्थ ॥
श्री गणेशाय नमः।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्खपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
अर्थ: अनंत, वासुकी, शेषनाग, पद्मनाभ, कंबल, शंखपाल, धृतराष्ट्र और तक्षक यह नाग देवता के प्रमुख नौ नाम माने गये हैं।
एतानि नवनामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः ॥
अर्थ: जो लोग नित्य ही सायंकाल और विशेष रूप से प्रातःकाल इन नामों का उच्चारण करते हैं।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥
अर्थ: उन्हें सर्प और विष से कोई भय नहीं रहता तथा उनकी सब जगह विजय होती है, अर्थात सफलता मिलती हैं।
॥ इति श्री नवनाग नाम स्तोत्रम् सम्पूर्णम्॥
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