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नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा क्यों है विशेष? जानें पूरी विधि और लाभ

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नवरात्रि, यानी नौ रातों का त्योहार, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का एक भव्य उत्सव है। हर दिन देवी के एक विशेष स्वरूप की आराधना की जाती है, और इनमें से सातवां दिन देवी कालरात्रि को समर्पित है। यह दिन न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है, बल्कि इस दिन की गई पूजा का प्रभाव भी अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कालरात्रि की पूजा क्यों इतनी विशेष है, इसकी पूरी विधि क्या है और इसके क्या-क्या लाभ हैं।

कौन हैं देवी कालरात्रि?

देवी कालरात्रि, मां दुर्गा का सातवां और सबसे उग्र रूप हैं। उनका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘काल’ (समय या मृत्यु) और ‘रात्रि’ (रात)। इसका अर्थ है, जो काल का भी नाश कर दे। उनका स्वरूप भयानक प्रतीत हो सकता है, लेकिन वह भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी हैं। उनके चार हाथ हैं, जिनमें से एक में खड्ग और दूसरे में वज्र है, और बाकी दो हाथ वरद और अभय मुद्रा में हैं। उनका वाहन गधा है। उनके गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है, और उनके केश बिखरे हुए हैं। उनका यह रूप दुष्टों और नकारात्मक शक्तियों का विनाश करने वाला है।

कालरात्रि की पूजा क्यों है विशेष?

नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा को विशेष माना जाता है क्योंकि:

  • कालरात्रि की पूजा से व्यक्ति अपने जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बुरी आत्माओं और भय का नाश कर सकता है। यह पूजा हमें आंतरिक शक्ति प्रदान करती है ताकि हम अपने जीवन की बाधाओं से लड़ सकें।
  • जो लोग अपने शत्रुओं से परेशान हैं, उनके लिए यह पूजा बहुत लाभकारी है। देवी कालरात्रि अपने भक्तों को शत्रुओं पर विजय दिलाती हैं और उन्हें सुरक्षा प्रदान करती हैं।
  • कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को अज्ञात भय (unknown fears) से मुक्ति मिलती है। यह मन में शांति और आत्मविश्वास (self-confidence) का संचार करती है।
  • ज्योतिष के अनुसार, देवी कालरात्रि की पूजा से शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर है, उन्हें इस दिन विशेष पूजा करनी चाहिए।
  • यह माना जाता है कि देवी कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कालरात्रि पूजा की विधि

देवी कालरात्रि की पूजा का विधान सरल और प्रभावी है। नीचे दी गई विधि का पालन करके आप इस पूजा को सफलतापूर्वक कर सकते हैं:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा शुरू करने से पहले देवी के सामने हाथ जोड़कर पूजा का संकल्प लें।
  • पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में लाल रंग के फूल, गुड़ का भोग, दीपक, धूप, रोली, कुमकुम, चावल, और जल शामिल करें। गुड़ का भोग लगाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • सबसे पहले गणेश जी और नवग्रहों की पूजा करें। इसके बाद देवी कालरात्रि का आह्वान करें।
  • देवी कालरात्रि की पूजा में मंत्र जाप का विशेष महत्व है। निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें: “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।” या “एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥”
  • पूजा के अंत में देवी कालरात्रि की आरती करें और भोग लगाएं।
  • पूजा के बाद प्रसाद को सभी परिजनों और मित्रों में बांटें।

कालरात्रि पूजा के लाभ

देवी कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं:

  • यह पूजा व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाती है और उसे आंतरिक शांति की अनुभूति होती है।
  • इस दिन की गई पूजा से घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा (positive energy) का संचार होता है।
  • यह पूजा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य (mental and physical health) के लिए भी लाभकारी है। यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करती है।
  • देवी कालरात्रि की कृपा से व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों से मुक्ति पा सकता है।

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