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जानिये निधिवन मंदिर के रहस्य का वास्तविक कारण और वास्तुशास्त्रीय विश्लेषण

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निधिवन मंदिर, वृन्दावन में स्थित एक पवित्र स्थल है, जिसे उसके गूढ़ रहस्यों के लिए प्रसिद्ध किया जाता है। वृन्दावन की धरती पर स्थित निधिवन, पवित्रता, रहस्य और प्रेम का अद्भुत संगम है। यहाँ भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा की अर्द्धरात्रिकालीन रासलीला की कथाएं प्रचलित हैं, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं।

इसके कुछ रहस्यमय तथ्य इस प्रकार हैं:

  • राधा-कृष्ण का रात्रिकालीन आगमन: मान्यता है कि रात के समय राधा और भगवान कृष्ण यहां आकर रासलीला करते हैं। इस दिव्य लीला में शामिल न होने के लिए मंदिर के द्वार रात में बंद कर दिए जाते हैं। किंवदंती है कि जो कोई भी रात में मंदिर में रहने का प्रयास करता है, वह अंधा हो जाता है या उसकी वाणी और सुनने की शक्ति चली जाती है। ऐसा माना जाता है कि रात में निधिवन में रासलीला देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा, पागल और उन्मादी हो जाता है।
  • हवा में तैरते पेड़: निधिवन में पाए जाने वाले तुलसी के पेड़ों की बनावट अद्भुत है। ये पेड़ छोटे होते हैं और इनकी डालें नीचे की ओर झुकी हुई रहती हैं। ऐसा लगता है मानो ये पेड़ हवा में तैर रहे हों। कुछ लोगों का मानना है कि ये पेड़ असली नहीं हैं, बल्कि राधा और कृष्ण के साथ रासलीला करने वाली गोपियां हैं।
  • रंग महल का रहस्य: निधिवन के परिसर में रंग महल नामक एक स्थान है। ऐसा माना जाता है कि रात में राधा और कृष्ण यहां विश्राम करने आते हैं। पुजारी प्रतिदिन रात में कृष्ण  और राधा आरती के बाद रंग महल में श्रीकृष्ण और श्रीराधा के शयन के लिए पलंग लगाते हैं सुबह बिस्तर अस्त-व्यस्त पाया जाता है। मानो कोई सोकर गया हो।
  • पशु-पक्षी भी नहीं रुकते रात में: कहा जाता है कि मंदिर में रहने वाले बंदर भी शाम को आरती के बाद चले जाते हैं। माना जाता है कि रात के समय पूरा परिसर दिव्य हो जाता है और वहां रहना उचित नहीं होता।
  • प्यास बुझाने की कथा: जैसा कि आपने बताया, जब कृष्ण गोपियों के साथ रास रचा रहे थे, तब उनकी सखी विशाखा को प्यास लगी। पानी न होने पर, कृष्ण ने अपनी बंशी से जमीन खोदकर एक कुंड बनाया और उसमें से निकले जल से विशाखा ने अपनी प्यास बुझाई। माना जाता है कि वही कुंड आज विशाखा कुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुंड में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है। कुछ लोगों का मानना है कि इस कुंड में स्नान करने और पूजा करने से भगवान कृष्ण उनकी इच्छाओं को पूरा करते हैं। निधिवन में स्थित विशाखा कुंड, अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
  • बंशी चोर राधा रानी मंदिर, निधिवन में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है जो राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि श्री कृष्ण अपनी बंशी को बजाने में इतने मग्न रहते थे कि राधा और गोपियों को उनकी उपेक्षा महसूस होती थी। एक दिन राधा रानी ने कृष्ण की बंशी चुरा ली और तब तक नहीं लौटाने का फैसला किया जब तक कि कृष्ण उनसे माफी नहीं मांग लेते। यह मंदिर राधा-कृष्ण के बीच प्रेम और शरारत का प्रतीक है।
  • यह मंदिर 19वीं शताब्दी में स्वामी हरिदास जी ने बनवाया था। संगीत सम्राट और धुपद के जनक श्री स्वामी हरिदास जी की जीवित समाधि निधिवन परिसर में ही स्थित है। बांके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल भी निधिवन में ही माना जाता है। माना जाता है कि राधा रानी की सखी ललिता ने स्वामी हरिदास के रूप में अवतार लिया था।

निधिवन के रहस्यों का वास्तुशास्त्रीय विश्लेषण

वास्तु गुरु कुलदीप सालूजा निधिवन के रहस्यों का वास्तुशास्त्र के आधार पर विश्लेषण करते हैं और बताते हैं कि निधिवन का वास्तु ही इस स्थान को रहस्यमय बनाता है।

  • अनियमित आकार: निधिवन का अनियमित आकार और चारदीवारी रहस्यमय माहौल बनाते हैं।
  • पूर्व दिशा में दबाव: पूर्व और पूर्व-उत्तर दिशा में दबाव होने से नकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
  • छोटा क्षेत्रफल: 16000 वृक्षों का दावा झूठा है। छोटे क्षेत्रफल में इतने वृक्ष नहीं लग सकते।
  • बंदरों का प्रवास: रात में बंदरों का चले जाना चारदीवारी और ऊंचे मकानों के कारण है।
  • रासलीला का रहस्य: रासलीला के दर्शन का प्रभाव मनोवैज्ञानिक है।
  • समाधियां: 15-20 समाधियां स्वामी हरिदास और अन्य आचार्यों की हैं।
  • रंगमहल का भ्रम: रंगमहल में गीली दातून और बिखरा हुआ सामान विशाखा कुंड के कारण भ्रम पैदा करते हैं।
  • गुंथे हुए वृक्ष: वृक्षों का गुंथा हुआ होना कुछ विशेष नहीं है।
  • उत्तर दिशा का महत्व: वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा में नीचाई और पानी प्रसिद्धि का कारण बनते हैं।
  • निधिवन का वास्तु: उत्तर दिशा में यमुना नदी निधिवन को प्रसिद्ध बनाती है।
  • शुभ मार्ग प्रहार: उत्तर-उत्तर-पूर्व, पूर्व-उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पूर्व दिशा से मार्ग प्रहार शुभ हैं।

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