श्याम बाबा के दर पर लाखों कदम, करोड़ों आस्थाएँ! यह सिर्फ यात्रा नहीं, यह जीवन का सार है! हर साल फाल्गुन महीने में राजस्थान की पावन धरा, सीकर जिले के खाटूधाम में, बाबा श्याम का भव्य लक्खी मेला (Lakhi Mela) सजता है। यह सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों के लिए जीवन का सबसे बड़ा पर्व होता है। और इस पर्व की जो सबसे अद्भुत और भावनात्मक (Emotional) परंपरा है, वह है पैदल निशान यात्रा।
क्या आपने कभी सोचा है कि भरी धूप में, नंगे पैर, सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करने वाले इन श्याम प्रेमियों के दिल में क्या होता होगा? यह ब्लॉग आपको उसी अनदेखे और अविस्मरणीय (Unforgettable) अनुभव से रूबरू कराएगा।
निशान यात्रा क्या है और क्यों है इतनी खास?
निशान (Flag) एक विशेष ध्वज होता है, जिसे भक्त खाटूश्याम जी के मंदिर के शिखर पर चढ़ाने के लिए, अपनी यात्रा के दौरान लेकर चलते हैं। यह निशान आस्था, समर्पण और बाबा श्याम के प्रति प्रेम का प्रतीक है।
लाखों श्रद्धालु राजस्थान के विभिन्न शहरों (जैसे जयपुर, सीकर, रींगस) से लेकर, दिल्ली, हरियाणा और अन्य राज्यों से भी सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते हैं। रींगस से खाटू तक का लगभग 17 किलोमीटर का मार्ग इस यात्रा का केंद्र बिंदु होता है।
आँखें नम कर देने वाला वह सफर!
यह सफर सिर्फ शारीरिक नहीं, आत्मिक (Spiritual) होता है।
- सेवा की अद्भुत मिसाल (Incredible Service) – रास्ते भर आपको जगह-जगह लगे भंडारे और सेवा शिविर (Seva Camps) दिखाई देंगे। भक्तों के लिए पानी, भोजन, चाय, प्राथमिक उपचार (First Aid) और मालिश की व्यवस्था… यह सब कौन कर रहा है? वे लोग जो खुद बाबा के भक्त हैं! इस निःस्वार्थ सेवा को देखकर सचमुच आँखें भर आती हैं। यह दर्शाता है कि धार्मिक यात्राएं हमें एक-दूसरे से कैसे जोड़ती हैं।
- नंगे पैर चलते भक्त – कई भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर नंगे पैर यात्रा करते हैं। उनके पैरों के छाले (Blisters) उनकी आस्था की गहराई बयां करते हैं। जब कोई सेवादार उनके पैरों की मालिश करता है, तो दर्द में भी उनके चेहरे पर एक अलौकिक मुस्कान (Divine Smile) दिखाई देती है, जो यह बताती है कि यह पीड़ा भी बाबा के लिए मीठी है।
- श्याम भजनों की गूंज – पूरी यात्रा में “जय श्री श्याम”, “हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा” के जयकारे गूंजते रहते हैं। जब लाखों लोग एक लय में भजन गाते हुए चलते हैं, तो माहौल ऊर्जा (Energy) और भक्ति से भर जाता है। आपको लगेगा जैसे आप किसी और ही लोक में आ गए हैं।
- बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक – इस यात्रा में हर उम्र के लोग शामिल होते हैं। छोटे बच्चे जो अपने माता-पिता के साथ कदम मिलाते हैं, और वे बुजुर्ग जो लाठी के सहारे ही सही, मगर बाबा के दर तक पहुँचने की जिद्द रखते हैं। उनका यह दृढ़ संकल्प (Determination) हर किसी को प्रेरित करता है।
मंदिर में निशान चढ़ाने का दिव्य क्षण
पैदल चलते-चलते जब भक्त खाटूधाम की सीमा में प्रवेश करते हैं, तो उनकी थकान पल भर में काफूर (Vanishes) हो जाती है। लंबी लाइनों में घंटों खड़े रहने के बाद जब उनकी नजर बाबा श्याम के शीश पर पड़ती है, तो सारा संघर्ष सफल हो जाता है।
निशान को मंदिर के शिखर पर चढ़ाना एक गौरवपूर्ण (Proud) क्षण होता है। जब आपका लाया हुआ ध्वज हवा में लहराता है, तो लगता है जैसे आपने अपनी सारी श्रद्धा सीधे बाबा के चरणों में अर्पित कर दी है। इस पल आँखों से निकले आंसू, खुशी और कृतज्ञता (Gratitude) के होते हैं।
Found a Mistake or Error? Report it Now

