पितर हमारे अदृश्य सहायक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखी गई एक अद्भुत पुस्तक है, जिसमें हमारे पूर्वजों या पितरों की भूमिका और उनके महत्व पर प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक समझाती है कि पितर केवल हमारे अतीत का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन में अदृश्य सहायक की भूमिका निभाते हैं।
इस पुस्तक में यह वर्णन किया गया है कि हमारे पितर, जिनका हम श्राद्ध, तर्पण और पूजा करते हैं, वास्तव में हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके आशीर्वाद और सहायता से हम जीवन के अनेक कठिनाइयों का सामना कर पाते हैं और समृद्धि की ओर बढ़ते हैं।
पितर हमारे अदृश्य सहायक पुस्तक प्रमुख विषय
- पितरों का अस्तित्व: पुस्तक में यह बताया गया है कि पितर भले ही हमारे सामने भौतिक रूप में नहीं होते, परंतु उनकी उपस्थिति हमारे चारों ओर होती है। वे हमें शुभ और अशुभ कार्यों का ज्ञान देते हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
- अदृश्य सहायक के रूप में पितर: पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने इस पुस्तक में यह समझाया है कि पितर हमारे अदृश्य सहायक होते हैं। उनकी आत्माएं हमें जीवन में मार्गदर्शन देती हैं और हमारे जीवन के विभिन्न निर्णयों में सहायक होती हैं। जब हम उनकी पूजा करते हैं या श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, तो उनके आशीर्वाद से हमारा जीवन सफल बनता है।
- श्राद्ध और तर्पण का महत्व: इस पुस्तक में श्राद्ध और तर्पण के महत्व को विस्तार से बताया गया है। श्राद्ध कर्म पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है और इसके माध्यम से हम उनके प्रति अपना सम्मान और श्रद्धा प्रकट करते हैं। तर्पण एक माध्यम है, जिससे हम पितरों को जल और अन्न अर्पित करते हैं, जिससे वे संतुष्ट होते हैं और हमें अपने आशीर्वाद से लाभान्वित करते हैं।
- पितृ दोष और उसका निवारण: “पितर हमारे अदृश्य सहायक” में पितृ दोष के बारे में भी जानकारी दी गई है। पितृ दोष हमारे पितरों की अशांति के कारण उत्पन्न होता है और हमारे जीवन में अनेक समस्याओं का कारण बन सकता है। इस दोष का निवारण करने के लिए पुस्तक में विशेष विधियों और उपायों का वर्णन है, जिससे हम पितरों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
- आध्यात्मिक दृष्टिकोण: पुस्तक में पितरों के प्रति हमारे आध्यात्मिक कर्तव्यों का भी उल्लेख है। पितर हमारे साथ हर समय होते हैं और वे हमारे जीवन के प्रत्येक कार्य में सहायक होते हैं। इस आध्यात्मिक दृष्टिकोण से हम पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान की भावना को बढ़ा सकते हैं और जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।