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राधारानी मंदिर में दर्शन की नई व्यवस्था लागू, बढ़ती भीड़ पर कोर्ट का हस्तक्षेप, गोस्वामी समाज नाराज़

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विश्वप्रसिद्ध राधारानी मंदिर, जो ब्रह्मांचल पर्वत की चोटी पर स्थित है, प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना रहता है। बढ़ती भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने मंदिर प्रबंध समिति को दर्शन के लिए एक सुव्यवस्थित मार्ग तैयार करने के आदेश दिए हैं। इस निर्देश के पालन में नगर पंचायत और पुलिस प्रशासन ने मंदिर परिसर में रेलिंग लगाने का कार्य शुरू कर दिया है।

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दर्शन मार्ग का होगा नियोजन

न्यायालय के आदेश के अनुसार, मंदिर में दर्शन के लिए वी-आकार की रेलिंग लगाई जा रही है, जिसकी चौड़ाई छह फीट रखी गई है। यह रेलिंग प्रवेश द्वार से लेकर निकास द्वार तक फैलेगी, जिससे प्रत्येक श्रद्धालु को सीधे राधारानी के समीप जाकर दर्शन करने का अवसर प्राप्त होगा। इससे न केवल भीड़ पर नियंत्रण रहेगा, बल्कि भक्तों को सुगम और अनुशासित तरीके से दर्शन की सुविधा भी मिलेगी।

एसडीएम ने किया निरीक्षण, दिए स्पष्ट निर्देश

शनिवार को गोवर्धन की एसडीएम नीलम श्रीवास्तव ने थाना बरसाना पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लिया। उन्होंने न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए मंदिर परिसर में रेलिंग कार्य को शीघ्र पूरा करने के निर्देश अधिशासी अधिकारी और थाना प्रभारी को दिए। इसके बाद प्रशासनिक सहयोग से रेलिंग लगाने का कार्य पुनः आरंभ कर दिया गया।

प्रबंध समिति की योजना: प्रसाद वितरण और वीआईपी एंट्री की विशेष व्यवस्था

मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य सुशील गोस्वामी के अनुसार, दर्शन मार्ग पर विशेष वीआईपी गेट्स भी बनाए जा रहे हैं, जो तीन फीट चौड़े होंगे। इसके अतिरिक्त, छह फीट का एक विशेष द्वार राधारानी के डोला के लिए तैयार किया जाएगा, जो प्रमुख त्योहारों पर खोला जाएगा। इन विशेष प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा व्यवस्था भी तैनात रहेगी। साथ ही, राम मंदिर की तर्ज पर जल्द ही यहां भी श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क प्रसाद वितरण की योजना लागू की जाएगी।

समाज में मतभेद: गोस्वामी समाज ने जताई आपत्ति

हालांकि, इस नई व्यवस्था को लेकर मंदिर सेवायतों के एक वर्ग में असंतोष व्याप्त है। सेवायत मुकेश गोयल का मानना है कि रेलिंग लगने से मंदिर की पारंपरिक संरचना पर असर पड़ेगा। वहीं किशोरी गोस्वामी का कहना है कि राधारानी के समक्ष रेलिंग लगाना उचित नहीं है, क्योंकि पहले से ही दर्शन व्यवस्था बेहतर है। उनका यह भी तर्क है कि रेलिंग से सीढ़ियों तक लंबी लाइनें लग जाएंगी और भक्तों को असुविधा होगी।

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