राधिका देवी आरती PDF

राधिका देवी आरती PDF हिन्दी

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॥ आरती ॥ आरति श्रीवृषभानुलली की। सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥ भयभन्जिनि भव-सागर-तारिणि, पाप-ताप-कलि-कल्मष-हारिणि, दिव्यधाम गोलोक-विहारिणि, जनपालिनि जगजननि भली की॥ आरति श्रीवृषभानुलली की। अखिल विश्व-आनन्द-विधायिनि, मंगलमयी सुमंगलदायिनि, नन्दनन्दन-पदप्रेम प्रदायिनि, अमिय-राग-रस रंग-रली की॥ आरति श्रीवृषभानुलली की। नित्यानन्दमयी आह्लादिनि, आनन्दघन-आनन्द-प्रसाधिनि, रसमयि, रसमय-मन-उन्मादिनि, सरस कमलिनी कृष्ण-अली की॥ आरति श्रीवृषभानुलली की। नित्य निकुन्जेश्वरि राजेश्वरि, परम प्रेमरूपा परमेश्वरि, गोपिगणाश्रयि गोपिजनेश्वरि, विमल विचित्र...

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