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Ramcharitmanas mantra – रामचरितमानस के सिद्ध मंत्र रोग, शोक और शत्रु नाश के लिए अचूक उपाय

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रामचरितमानस, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक महाकाव्य, न केवल भगवान राम के जीवन और गुणों का वर्णन करता है, बल्कि इसमें ऐसी चौपाइयाँ और दोहे भी शामिल हैं जो साधकों के लिए रोग, शोक और शत्रु नाश के अचूक उपाय माने जाते हैं। इन मंत्रों का नियमित जाप व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और अनेक कष्टों से मुक्ति दिलाता है।

इन मंत्रों का श्रद्धा और विश्वास के साथ नियमित जाप करने से व्यक्ति के जीवन में रोग, शोक और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है, साथ ही मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। रामचरितमानस के ये सिद्ध मंत्र साधकों के लिए एक सरल और प्रभावी उपाय हैं।

Ramcharitmanas mantra – रामचरितमानस के सिद्ध मंत्र

रामचरितमानस न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसमें निहित मंत्र और चौपाइयाँ हमें सकारात्मक और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। यह लेख आपको रामचरितमानस के सिद्ध मंत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, जिनका उपयोग आप अपने जीवन में रोग, शोक और शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए कर सकते हैं।

रोगों से मुक्ति के लिए मंत्र

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहिं ब्यापा।।

इसका अर्थ है कि भगवान राम के राज्य में किसी भी प्रकार के शारीरिक, दैविक या भौतिक कष्ट नहीं होते थे। इस चौपाई का नियमित जाप करने से व्यक्ति के जीवन से ऐसे सभी कष्ट दूर हो सकते हैं।

शोक निवारण के लिए मंत्र

राजीव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।

इसका भावार्थ है कि कमलनयन भगवान राम धनुष और बाण धारण किए हुए हैं, जो भक्तों की विपत्तियों का नाश करके उन्हें सुख प्रदान करते हैं। इस चौपाई का स्मरण करने से शोक और दुःख दूर होते हैं।

शत्रु नाश के लिए मंत्र

बयरू न कर काहू सन कोई। रामप्रताप विषमता खोई।।

इसका तात्पर्य है कि भगवान राम के प्रताप से सभी प्रकार की वैमनस्यता समाप्त हो जाती है, इसलिए किसी से भी वैर नहीं करना चाहिए। इस चौपाई का जाप शत्रुओं के द्वेष को समाप्त करता है।

अमंगल नाश के लिए

मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी।।

यह चौपाई सभी प्रकार के अमंगल को दूर करने में सहायक मानी जाती है। दशरथजी के आंगन में खेलने वाले श्रीराम सभी अमंगलों का नाश करने वाले हैं।

सही निर्णय लेने के लिए

जेहि बिधि नाथ होइ हित मोरा, करहु सो बेगि दास मैं तोरा।।

इस चौपाई का जाप सही निर्णय लेने में सहायता प्रदान करता है। हे नाथ! जिस विधि से मेरा हित हो, उसे शीघ्र कीजिए, मैं आपका दास हूँ।

संकट नाश के लिए

दीनदयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।

यह चौपाई बड़े से बड़े संकट को दूर करने में प्रभावी है। हे नाथ! दीनों पर दया करना आपका स्वभाव है, उसे स्मरण कर मेरे भारी संकट को हर लीजिए।

मनोरथ प्राप्ति के लिए

मोर मनोरथु जानहु नीके। बसहु सदा उर पुर सबही के।।

अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए इस चौपाई का जाप किया जाता है। मेरे मनोरथ को आप भली-भांति जानते हैं; आप सभी के हृदय में सदा निवास करें।

संतान प्राप्ति के लिए

प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।

संतान सुख की प्राप्ति के लिए इस चौपाई का जाप लाभकारी माना गया है। प्रेम में मग्न कौसल्या दिन-रात का भान नहीं रखतीं; पुत्र स्नेह में माता बाल लीलाओं का गान करती हैं।

सर्वसुख प्राप्ति के लिए

सुनहि विमुक्त बिरत अरू विशई। लहहि भगति गति संपति सई।।

सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति के लिए इस चौपाई का जाप किया जाता है। विमुक्त, विरक्त और विषयासक्त सभी इस कथा को सुनकर भक्ति, गति और संपत्ति प्राप्त करते हैं।

सिद्धि प्राप्ति के लिए

साधु के नाम जपहि लय लाएं। होहि सिद्ध अनिमादिक पाएं।।

सिद्धियों की प्राप्ति के लिए इस चौपाई का जाप किया जाता है। साधुजन भगवान के नाम का लयपूर्वक जप करते हैं, जिससे उन्हें सिद्धियाँ और अनिमा आदि प्राप्त होती हैं।

श्रीजानकीजी के दर्शन के लिए

जनकसुता जगजननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की।।

माँ जानकी के दर्शन हेतु इस चौपाई का जाप किया जाता है। जनकसुता, जगत जननी जानकी, करुणानिधान श्रीराम को अत्यंत प्रिय हैं।

सीताराम की प्रसन्नता के लिए

सीय राममय सब जग जानी। करउं प्रनाम जोरि जुग पानी।।

श्री सीताराम की प्रसन्नता के लिए इस चौपाई का जाप किया जाता है। सीता और राममय इस समस्त जगत को जानकर, मैं दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ।

माँ जानकी की कृपा पाने के लिए

जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की।।

माँ जानकी की कृपा प्राप्त करने हेतु इस चौपाई का जाप किया जाता है। जनकसुता, जगत जननी जानकी, करुणानिधान श्रीराम को अत्यंत प्रिय हैं।

स्त्री को अपना दुःख दूर करने के लिए

सीतल निसित बहसि बर धारा। कह सीता हरू मम दुख भारा।।

स्त्रियों के दुःख निवारण हेतु इस चौपाई का जाप लाभकारी है। शीतल, तीक्ष्ण और उत्तम वाणी बोलते हुए सीता ने कहा, ‘हे प्रभु! मेरे भारी दुःख को हर लीजिए।’

निर्मल मन हेतु

निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।।

मन की निर्मलता के लिए इस चौपाई का जाप किया जाता है। निर्मल मन वाले जन ही मुझे प्राप्त करते।

मंत्र जाप की विधि

  • प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • श्रीराम के चित्र या मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
  • शुद्ध मन से उपरोक्त मंत्रों में से अपनी आवश्यकता अनुसार किसी एक का चयन करें।
  • तुलसी की माला से कम से कम 108 बार (एक माला) मंत्र का जाप करें।
  • नियमित रूप से सुबह या शाम के समय शांत मन से मंत्रों का जाप करें।
  • मंत्र जाप के समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
  • संभव हो तो मंत्र जाप से पहले और बाद में भगवान राम की आरती करें।

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