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रंगभरी एकादशी 2026 – भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित त्योहार, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत पारण का समय

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वर्ष 2026 में रंगभरी एकादशी 27 फरवरी, शुक्रवार को मनाई जाएगी। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की इस तिथि को ‘आमलकी एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह साल की एकमात्र एकादशी है जिसका संबंध भगवान विष्णु के साथ-साथ महादेव से भी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव माता पार्वती का गौना कराकर पहली बार अपनी प्रिय नगरी काशी लाए थे। उनके स्वागत में शिवगणों और भक्तों ने जमकर अबीर-गुलाल उड़ाया था, तभी से वाराणसी में इसी दिन से होली का औपचारिक शुभारंभ माना जाता है।

इस दिन भक्त बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती का विशेष श्रृंगार करते हैं और उन्हें रंग अर्पित करते हैं। साथ ही, आरोग्य की प्राप्ति के लिए आंवले (आमलकी) के वृक्ष की पूजा का भी विधान है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।  रंगभरी एकादशी, जिसे आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम और काशी में होली के उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।

रंगभरी एकादशी 2026 का पौराणिक महत्व

मान्यता है कि महाशिवरात्रि के पश्चात भगवान शिव माता पार्वती के साथ पहली बार काशी आए थे, और इस अवसर पर भक्तों ने उनका स्वागत रंग और गुलाल से किया था। तभी से इस एकादशी को ‘रंगभरी एकादशी’ कहा जाने लगा।

यह पर्व होली के आगमन का संकेत भी माना जाता है, जब भक्त भगवान शिव और माता पार्वती के साथ रंगों की होली खेलते हैं। रंगभरी एकादशी का विशेष महत्व है, खासकर काशी में। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव इस अवसर पर, माता पार्वती को गुलाल अर्पित किया और उनके साथ होली खेली।

रंगभरी एकादशी न केवल एक रंगीन त्योहार है, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी है। यह त्योहार हमें भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम और समर्पण की याद दिलाता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि जीवन में रंग और खुशियाँ कितनी महत्वपूर्ण हैं।

रंगभरी एकादशी 2026 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि – 27 फरवरी, शुक्रवार 2026
  • एकादशी तिथि प्रारंभ – 27 फरवरी 2026 को सुबह 12 बजकर 33 मिनट
  • एकादशी तिथि समाप्त – 27 फरवरी 2026 को रात्रि 10 बजकर 32 मिनट
  • व्रत पारण का समय – 28 फरवरी को सुबह 6 बजकर 47 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट के बीच

रंगभरी एकादशी की पूजा विधि

  • इस दिन, भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करते हैं।
  • भगवान शिव को भांग, धतूरा, और सफेद फूल अर्पित किए जाते हैं, जबकि माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं और लाल फूल चढ़ाए जाते हैं। शिव-पार्वती की आरती करें।
  • काशी में, इस दिन विशेष रूप से भगवान विश्वनाथ और माता पार्वती की शोभा यात्रा निकाली जाती है, जिसमें भक्त गुलाल और रंगों से होली खेलते हैं।
  • संभव हो तो इस दिन व्रत रखें और शिव-पार्वती की कथा का पाठ करें।

रंगभरी एकादशी का व्रत काशी में उत्सव

रंगभरी एकादशी के दिन, भक्त निर्जला व्रत रखते हैं। अगले दिन, शुभ मुहूर्त में व्रत पारण किया जाता है। व्रत के दौरान, भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप किया जाता है और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया जाता है।

वाराणसी में रंगभरी एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव का विशेष श्रृंगार किया जाता है और भक्तों द्वारा रंग और गुलाल अर्पित किया जाता है। यहां से होली के उत्सव की शुरुआत मानी जाती है, जो अगले कुछ दिनों तक चलती है।

रंगभरी एकादशी 2026 की पूजा में सावधानियां

  • व्रतधारी को सात्विक आहार लेना चाहिए और तामसिक वस्तुओं से परहेज करना चाहिए।
  • पूजा के समय मन को शुद्ध और एकाग्र रखें।
  • व्रत के दौरान क्रोध, लोभ और अन्य नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।

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