जीवन की आपाधापी में हर कोई सुख-शांति और समृद्धि की कामना करता है। कई बार प्रयास करने के बावजूद भी वांछित फल नहीं मिल पाता, तब श्रद्धा और विश्वास का सहारा लेना स्वाभाविक है। ऐसा ही एक शक्तिशाली और चमत्कारी व्रत है – संतोषी माता का व्रत।
विशेष रूप से शुक्रवार के दिन किए जाने वाले इस व्रत को भक्तों के बीच त्वरित मनोकामना पूर्ति और कष्ट निवारण के लिए जाना जाता है। आखिर क्यों माना जाता है संतोषी माता व्रत इतना चमत्कारी? आइए जानते हैं इस व्रत की विधि, नियम और अद्भुत लाभों के बारे में, जो इसे अन्य व्रतों से विशिष्ट बनाते हैं।
क्यों माना जाता है संतोषी माता व्रत चमत्कारी?
संतोषी माता, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, संतोष और शांति की देवी हैं। मान्यता है कि सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से उनका व्रत करने वाले भक्तों को वे कभी निराश नहीं करतीं। इस व्रत की चमत्कारी शक्ति के पीछे कई कारण माने जाते हैं:
- भक्तों का अनुभव है कि संतोषी माता का व्रत तुरंत फल देता है। अटके हुए काम बनना, आर्थिक संकट दूर होना, पारिवारिक क्लेश मिटना और मनोवांछित जीवनसाथी मिलना, ऐसे कई उदाहरण हैं जो इस व्रत की त्वरित प्रभावशीलता को दर्शाते हैं।
- अन्य जटिल व्रतों की तुलना में संतोषी माता का व्रत अपेक्षाकृत सरल है। इसमें विशेष पूजा-सामग्री या कठिन नियमों का बंधन नहीं है, जिससे आम व्यक्ति भी इसे आसानी से कर सकता है।
- इस व्रत का मूल आधार भक्त का अटूट विश्वास और माता के प्रति गहरी श्रद्धा है। यह भावनात्मक जुड़ाव ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है, जो धन और समृद्धि की प्रतीक हैं। संतोषी माता को लक्ष्मी का ही एक रूप माना जाता है। इसलिए, शुक्रवार के दिन यह व्रत करने से आर्थिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
- संतोषी माता स्वयं संतोष का प्रतीक हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति में संतोष का भाव विकसित होता है, जिससे वह अपनी परिस्थितियों में भी प्रसन्न रहना सीखता है। यह सकारात्मक दृष्टिकोण जीवन की कई समस्याओं को स्वयं ही हल कर देता है।
संतोषी माता शुक्रवार व्रत की विधि
संतोषी माता का व्रत सोलह शुक्रवार तक किया जाता है, लेकिन विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए इसे बीच में भी शुरू किया जा सकता है। इसकी सरल विधि इस प्रकार है:
- शुक्रवार के दिन प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर संतोषी माता का व्रत करने का संकल्प लें। घर के किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर संतोषी माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- एक कलश में जल भरकर उस पर रोली और मौली बांधें। कलश के ऊपर एक कटोरी में अनाज भरकर रखें।
- माता को लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें। फूल, धूप, दीप और नैवेद्य (गुड़ और भुने हुए चने) चढ़ाएं।
- संतोषी माता की व्रत कथा सुनें या पढ़ें। यह कथा व्रत के महत्व और नियमों को बताती है। माता की आरती गाएं।
- “जय संतोषी माता” या “ओम श्री संतोषी देव्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
- पूरे दिन फलाहार करें। यदि संभव हो तो एक समय भोजन करें, जिसमें खट्टी चीजें शामिल न हों। पूरे दिन जल का सेवन कर सकते हैं।
- शाम को पुनः माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें। शाम को बिना खट्टी चीजों का भोजन करें।
संतोषी माता शुक्रवार व्रत के नियम
इस व्रत को पूर्ण फलदायी बनाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है:
- खट्टी चीजों का त्याग: व्रत के दिन और भोजन में खट्टी चीजों जैसे नींबू, इमली, दही, छाछ आदि का प्रयोग बिल्कुल न करें। माना जाता है कि खट्टी चीजें माता को अप्रिय हैं।
- किसी को उधार न दें: व्रत के दिन किसी को भी पैसे या कोई अन्य वस्तु उधार न दें।
- किसी से उधार न लें: स्वयं भी इस दिन किसी से कोई वस्तु उधार न लें।
- घर में शांति बनाए रखें: व्रत के दिन घर में शांति और सौहार्द का वातावरण बनाए रखें। किसी से वाद-विवाद या झगड़ा न करें।
- पवित्रता: शारीरिक और मानसिक पवित्रता बनाए रखें।
- श्रद्धा और विश्वास: व्रत के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
- सोलह शुक्रवार का पालन: संकल्प लेने के बाद लगातार सोलह शुक्रवार तक इस व्रत का पालन करें। यदि किसी कारणवश व्रत टूट जाए तो अगले शुक्रवार से पुनः शुरू करें।
- उद्यापन: सोलह शुक्रवार पूरे होने के बाद विधि-विधान से उद्यापन करें। इसमें आठ बालकों को खीर-पूरी का भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें।
संतोषी माता व्रत के अद्भुत लाभ
संतोषी माता का व्रत करने से भक्तों को अनेक अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:
- यह व्रत मनोवांछित फल प्रदान करने के लिए जाना जाता है, चाहे वह विवाह, संतान, धन, नौकरी या कोई अन्य इच्छा हो।
- माता संतोषी धन और समृद्धि की देवी हैं। इस व्रत को करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं और आय के नए स्रोत खुलते हैं।
- यह व्रत परिवार में प्रेम, harmony और समझ को बढ़ाता है, जिससे क्लेश और मतभेद दूर होते हैं। संतोषी माता शांति और संतोष प्रदान करती हैं। इस व्रत को करने से मन शांत रहता है और तनाव कम होता है।
- जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों को दूर करने में यह व्रत अत्यंत सहायक माना जाता है।
- यह व्रत भाग्य को प्रबल करता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। व्रत के नियमों का पालन करने और मनोकामनाएं पूर्ण होने से आत्मविश्वास बढ़ता है।
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