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घर पर कैसे करें सत्यनारायण व्रत? श्री सत्यनारायण व्रत कथा, विधि, सामग्री और महत्व

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सत्यनारायण व्रत कथा का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की पूजा के रूप में किया जाता है। इस व्रत की कथा का श्रवण एवं पूजा से सुख, शांति, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

सत्यनारायण व्रत को पूर्ण विधि-विधान और श्रद्धा के साथ करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याएं और बाधाएं दूर होती हैं और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत प्रत्येक माह की पूर्णिमा को विशेष रूप से किया जाता है, लेकिन इसे किसी भी शुभ अवसर पर भी किया जा सकता है।

सत्यनारायण व्रत की उत्पत्ति की कथा पुराणों में मिलती है। इसे विशेष रूप से कलियुग में प्रभावकारी माना गया है। इस व्रत की कथा विष्णु पुराण में वर्णित है और यह बताया गया है कि इसे करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

सत्यनारायण व्रत कथा भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की महिमा का वर्णन करती है। इसमें मुख्यतः पाँच अध्याय होते हैं जो विभिन्न पात्रों और घटनाओं के माध्यम से सत्यनारायण भगवान की महिमा का गुणगान करते हैं।

श्री सत्यनारायण पूजन विधि

  1. पूजा स्थल को गाय के गोबर से पवित्र करें।
  2. अल्पना बनाकर उस पर पूजा की चौकी रखें।
  3. चौकी के चारों पायों के पास केले के पत्ते लगाएं और पत्तों के वंदनवार से एक सुंदर मंडप तैयार करें।
  4. मंडप में ठाकुर जी और भगवान श्री सत्यनारायण की प्रतिमाएं स्थापित करें।
  5. पूजा की शुरुआत गणपति जी की पूजा से करें।
  6. नवग्रहों की स्थापना करके उनकी पूजा करें।
  7. ठाकुर जी और भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा करें।
  8. पूजा के बाद सभी सत्यनारायण की आरती करें।
  9. चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण करें।
  10. पुरोहित जी को उचित दक्षिणा और वस्त्र दें।
  11. पुरोहित जी को भोजन कराएं।
  12. पुरोहित जी के भोजन के बाद उनसे आशीर्वाद लेकर आप स्वयं भोजन करें।

सत्यनारायण पूजन सामग्री

  • गाय का गोबर
  • अल्पना
  • पूजा की चौकी
  • केले के पत्ते
  • मंडप बनाने के लिए पत्तों का वंदनवार
  • ठाकुर जी और भगवान श्री सत्यनारायण की प्रतिमाएं
  • गणपति जी की प्रतिमा
  • नवग्रह की प्रतिमाएं
  • दीप, घी, कपूर, चंदन, फूल, फल, मिठाई, इत्यादि
  • आरती की थाली
  • चरणामृत
  • दक्षिणा
  • वस्त्र
  • भोजन

सत्यनारायण व्रत के लाभ

सत्यनारायण व्रत के अनेक लाभ होते हैं। यह व्रत भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की आराधना है और इसे करने से विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। नीचे कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  • सत्यनारायण व्रत करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है। सभी प्रकार की आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  • यह व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के संकट और बाधाएं दूर हो जाती हैं। जीवन में आने वाली समस्याओं और कष्टों का समाधान होता है।
  • सत्यनारायण व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से इस व्रत को करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  • इस व्रत को करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और परिवार के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
  • जिन दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा है, वे इस व्रत को करके संतान प्राप्त कर सकते हैं। यह व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
  • सत्यनारायण व्रत करने से व्यक्ति को सद्गति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत पापों का नाश करता है और व्यक्ति को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है।
  • इस व्रत को करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। घर में सुख-शांति और सकारात्मक वातावरण बना रहता है।

व्रत विधि का महत्त्व

सत्यनारायण व्रत की विधि सरल है और इसे कोई भी व्यक्ति अपने घर में कर सकता है। इस व्रत में सत्यनारायण कथा का पाठ किया जाता है और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा के दौरान पवित्रता और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

सत्यनारायण व्रत का पालन नियमित रूप से करने से जीवन में सभी प्रकार की खुशियों और सफलताओं की प्राप्ति होती है। इसलिए इसे अत्यंत शुभ और लाभकारी माना गया है।

सत्यनारायण पूजा मंत्र

गणेश वंदना

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।

सत्यनारायण स्वामी का ध्यान

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

सत्यनारायण स्वामी मंत्र

सत्यनारायणम् देवम् वन्देऽहं कामदं प्रभुम्।
सर्वमंगलमांगल्यं सर्वपापप्रणाशनम्।।

आचमन मंत्र

ॐ केशवाय नम: (जल ग्रहण करें)
ॐ नारायणाय नम: (जल ग्रहण करें)
ॐ माधवाय नम: (जल ग्रहण करें)

पंचामृत स्नान मंत्र

ॐ श्री सत्यनारायणाय नम:।
दुग्धस्नानं समर्पयामि।

पुष्पांजलि मंत्र

ॐ श्री सत्यनारायणाय नम:।
पुष्पांजलिं समर्पयामि।

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