![शैलपुत्री माता व्रत कथा और पूजा विधि PDF](https://hindunidhi.com/wp-content/uploads/img/shailputri-mata-katha-pooja-vidhi-pdf.webp)
शैलपुत्री माता व्रत कथा और पूजा विधि PDF हिन्दी
Download PDF of Shailputri Mata Katha Pooja Vidhi
Misc ✦ Vrat Katha (व्रत कथा संग्रह) ✦ हिन्दी
शैलपुत्री माता व्रत कथा और पूजा विधि हिन्दी Lyrics
।। शैलपुत्री माता व्रत कथा ।।
मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालय के वहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। यही देवी प्रथम दुर्गा हैं। ये ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। उनकी एक मार्मिक कहानी है।
एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।
सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा।
वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया।
यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।
।। शैलपुत्री माता पूजा विधि ।।
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा में सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है। पहले से लेकर आखिरी दिन तक नवरात्रि की पूजा में कपूर का इस्तेमाल बेहद शुभ माना गया है। कहते हैं कि मां दुर्गा की पूजा में कपूर के इस्तेमाल से उनकी विशेष कृपा भक्तों को प्राप्त होती है
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
मां शैलपुत्री को क्या भोग लगाएं?
मान्यता है कि मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं प्रिय हैं। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप को सफेद मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही उन्हें श्वेत पुष्प अर्पित करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
|| शैलपुत्री माता आरती ||
शैलपुत्री मां बैल पर सवार।
करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे।
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू।
दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के।
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं।
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे।
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो।
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
Join HinduNidhi WhatsApp Channel
Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!
Join Nowशैलपुत्री माता व्रत कथा और पूजा विधि
![शैलपुत्री माता व्रत कथा और पूजा विधि PDF](https://hindunidhi.com/wp-content/uploads/img/shailputri-mata-katha-pooja-vidhi-pdf.webp)
READ
शैलपुत्री माता व्रत कथा और पूजा विधि
on HinduNidhi Android App
DOWNLOAD ONCE, READ ANYTIME
![Download HinduNidhi Android App](https://hindunidhi.com/wp-content/themes/generatepress_child/img/hindunidhi-app-download.png)