शेषनाग की आरती PDF

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|| आरती || आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की। उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त, सभी करते है सेवा॥ मनोकामना पूरण करते, तन-मन से जो सेवा करते। आरती कीजे श्री नागदेवता की , भूमि का भार वहनकर्ता की॥ भक्तो के संकट हारी की, आरती कीजे श्री नागदेवता की। आरती कीजे...

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शेषनाग की आरती
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